Sunday, October 6, 2024
कविता

आदित्य एल वन चला सूर्य की ओर

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                       जितेन्द्र यादव

हुई घोषणा नए मिशन में जुटे है सभी लगा के जोर ।
अन्वेषक बन आदित्य एल वन आज चला सूरज की ओर ।।

एक जीत अधिकाधिक हारों का प्रभाव हर लेती है ।
पथरीले पथ में पथिको के कष्ट दूर कर देती है ।।

कठिनाई में समाधान के जो अभिलाषी साधक है ।
उज्ज्वल कल के नव विहान के वे सच्चे आराधक हैं ।।

समय कभी ना बांध सका है पौरुष की परिपाटी को ।
श्रम के सुमन सुगन्ध स्नेह से पुलकित किए है माटी को ।।

कुशल हौसलों के उड़ान का अंतरिक्ष अभिलाषी है ।
अप्रत्याशित परिणामों पर भी ना हमे उदासी है ।।

मार्तंड के दीप्ति पुंज की प्रकट प्रभा प्रकटाती भोर ।
अन्वेषक बन आदित्य एल वन आज चला सूरज की ओर ।।

पंद्रह लाख किलोमीटर की तय होगी जो दूरी ।
ब्योमांचल के उस बिन्दु से मिलेंगे तथ्य जरूरी ।।

कुदरत के हर कृतियों में जादू जैसी गहराई ।
समझेंगे करके प्रयास जो बात समझ न आई ।।

गुण विशेष कुछ कणों से जो निर्वात वहां है निर्मित ।
देखेंगे विस्तार अंश का अंश अल्प अपरिमित ।।

गुरुत्व बल की गुरूता का परिमाण तलाशा जाएगा ।
आकर्षण प्रतिकर्षण का निर्माण तलाशा जाएगा ।।

बिन वायु वायुमंडल का प्राण तलाशा जायेगा ।
इलेक्ट्रान प्रोटान और न्यूट्रान तलाशा जायेगा ।।

अंशुमाली के मरीचियों का मर्म निकाला जाएगा ।
ऊर्जा के उफानों का आवेग खंगाला जायेगा ।।

आगामी घटनाओं का तब अनुमानित आयेगा दौर ।
अन्वेषक बन आदित्य एल वन आज चला सूरज की ओर ।। 

ज्ञान सत्य, विज्ञान सिद्ध ,संयोग, सुगमता लायेगा ।
सदुपयोग से समृद्धि की ओर हमे ले जाएगा ।।

आधुनिक वैज्ञानिक का विज्ञान अगर अड़ जायेगा ।
उच्च शिखर तक भारत का गौरव वैभव बढ़ जायेगा ।।

और सभी आगंतुक पीढ़ी हम पर फक्र मनाएगी ।
इतिहासों में उपलब्धि की नई कीर्ति जुड़ जाएगी ।।

इसरो जैसी कश्ती के पतवार बनेंगे वैज्ञानिक ।
देश की अदभुत क्षमता के आधार बनेंगे वैज्ञानिक ।।

सकल विश्व का जनमानस अब उन्नति को लालायित हैं ।
भारत इसको साध्य करेगा सुदृढ़ विचार प्रवाहित है ।।

संभवतः इस सफल प्रयास की गूंज जहां में करेगी शोर ।
अन्वेषक बन आदित्य एल वन आज चला सूरज की ओर ।।