गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा आरक्षण को यथावत रखने सौंपा ज्ञापन !
तौशिफ रजा मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर
छ०ग०राज्य में अनुसूचित जनजातियों के लिए 32% आरक्षण को यथावत् करने के संबंध में संदर्भः- माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर छ0ग0 के द्वारा छ0ग0 राज्य में प्रभावशील 32% आरक्षण को दिनांक 19.09.2022 को असंवैधानिक करार दिये जाने के संबंध में ।
विषयांतर्गत लेख हैं कि, आदिवासी समाज के द्वारा आर्थिक एवं समाजिक स्थिति
का आकलन करते हुए सरकारों से अपने हितों की रक्षा हेतु आरक्षण की मांग की जाती रही।
है।ताकि समाज में एकरूकता बनी रहे आदिवासी समाज अन्य समाजों से बहुत ही पिछड़ा
जीवनयापन कर रहा है। इन्हीं मांगों को लेकर आदिवासी समाज अपनी बातों को सरकार तक
कई माध्यमों से पहुँचाती रही है । गोंडवाना गणतन्त्र पार्टी के युग पुरूष दादा हीरा सिंह
मरकाम जी के द्वारा आरक्षण को लेकर विभिन्न आन्दोलन का संचालन किया गया । जिससे
पूर्ववती सरकार वर्ष 2012 में आदिवासी समाज को 32% आरक्षण का लाभ दिया गया । परन्तु यह आरक्षण निति तैयार करते वक्त कई तकनिकी खामियाँ रह गई।जिस कारण माननीय
उच्च न्यायालय के समक्ष आरक्षण को लेकर विचारण चालू किया गया। जिसके फलस्वरूप
वर्तमान में 50% से अधिक आरक्षण न होने का लेख करते हुए 32% के आरक्षण को कम किया गया व .50% आरक्षण की सीमा तय की गई । जबकि भारत के अनेक राज्यों में आर्थिक
समाजिक, पिछड़ापन को देखते हुए 50% से अधिक आरक्षण का प्रावधान किया गया है । इसी
भांति केन्द्र सरकार के द्वारा 2019 में 10% स्वर्ण आरक्षण के साथ 50% से बढ़कर 59.5%
आरक्षण प्रावधान लागू किया गया है। परन्तु छ०ग० राज्य में प्रति व्यक्ति दर आय शैक्षणिक स्तर
व नौकरी पेशा में आदिवासी समाज की संख्या बहुत ही कम है । जबकि छ0ग0 राज्य मूल रूप
से आदिवासी बहुल्य राज्य है । परन्तु शैक्षणिक स्तर न होने के कारण आदिवासी समाज अनेक
समाजों से बहुत पिछड़ा हुआ है । छ0ग0 राज्य में उच्च स्तर पर आरक्षण के माध्यम से पिछड़े
आदिवासी अपनी पहुंच बड़ी मुश्किल से बना पाते है।नौकरी पेशा में पहुंचने के लिए आरक्षण
ही एक माध्यम से जिससे समाज के लोग अपनी उन्नति एवं विकास कर रहे है। आरक्षण की 32% कम करने से पूर्व कई विभागों एवं शैक्षणिक स्तर से प्रवेश व
नौकरी के लिए आवेदन किया गया है । जो कि 32% आरक्षण कम हो जाने के कारण आवेदनकर्ताओं पर असर पड़ेगा । जो कि आदिवासी समाज के हित में नहीं होगा।ज्ञापन के
माध्यम से निवेदन है कि, शासन को आदेशित किया जाये कि, पूर्व में 32% आरक्षण को लेकर
जो भर्ती प्रक्रिया हो रही है । उसे यथावत् रखा जाये एवं शासन के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष 32% आरक्षण के संबंध में अपना पक्ष उचित रूप से न रख पाने के कारण जो आदिवासी समाज को हानि हो रही है । उसे ध्यान में रखते हुए शासन अपना पक्ष मजबूती से व तर्कसंगत न्यायालय में रखते हुए आदिवासी समाज के हितों की रक्षा करते हुए
शासन 32 प्रतिशत आरक्षण को दिलाने के लिए भरपूर प्रायास करें व न्यायालय में इस्टे आर्डर लेते हुए आदिवासी समाज को अस्वस्थ करें की उनके हितों की रक्षा सरकार कर रही है ।
महामहिम राष्ट्रपति महोदया से निवेदन है कि, ज्ञापन पत्र का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को
मार्गदर्शन दें की आदिवासियों के आर्थिक समाजिक, शैक्षणिक एवं अन्य कारणों को ध्यान में
रखते हुए आरक्षण को मूलतः बनाये रखे ।महामहिम राज्यपाल महोदया, छ०ग० शासन रायपुर, राज्य भवन की ओर आवश्यक कार्यवाही हेतु सादर प्रेषित ।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय छ0ग0 शासन रायपुर की ओर आवश्यक कार्यवाही हेतु सादर प्रेषित