Monday, December 23, 2024
चर्चित समाचार

चुनाव के शोर दब गई किसान की समस्या

Top Banner

*जौनपुर।* चुनावी शोर में जनता की वास्तविक समस्याओं को सभी दलों ने भुला दिया है। चाहे वह मंहगी षिक्षा, मंहगे इलाज, मंहगी यात्रायें, गैस, पेट्रोल की मंहगी कीमतें इस पर चर्चा नहीं हो रही है। सभी दल एक दूसरे पर दोषारोपण कर अपने को सही और विकास को धार देने की बात कर रहे है। आम आदमी बुनियादी समस्याओं से उबर नहीं पा रहा हैं उसकी सारी ताकत अपने परिवार के भरण पेाषण में खर्च हो जा रही है। जनता की समस्याओं के समाधान अधिकारी विफल साबित हो रह है। पीड़ित दर्जनों बार प्रार्थना देकर अपनी पीड़ायें बताते है लेकिन उनका निराकरण नहीं हो पाता। ज्ञात हो कि सरकार की एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) और सीएम हेल्पलाइन 1076 के माध्यम से प्राप्त जन शिकायतों का समय पर समाधान नहीं कर पा रहे थे।इसके बाद सीएम कार्यालय ने 73 ऐसे अफसरों की सूची तैयार की जो शिकायतों के निस्तारण में बाधक साबित हो रहे थे।
आधिकारिक सूत्रों ने यह भी दावा किया कि सीएम को उन अधिकारियों की एक गोपनीय सूची मिली थी जो राज्य प्रशासन से लेकर तहसील और पुलिस स्टेशन स्तर तक सार्वजनिक शिकायतों का समय पर गुणवत्तापूर्ण निवारण करने में असमर्थ थे। कारण बताओ नोटिस में आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से प्राप्त शिकायतों के निवारण के डेटा द्वारा समर्थित प्रश्न शामिल हैं। इसके अलावा सरकार किसानों की फसलों को बर्बाद होने से नहीं बचा पा रही है। आवारा जानवर किसानों की फसलों का सत्यानाष कर रहे है। उनके खून पसीने की कमाई जानवर चर जा रहे है। आवारा जानवरों को पकड़कर अस्थायी पषु ष्षाला में बन्द करने का फरमान भले ही जारी कर दिया गया है लेकिन उनका पालन नहीं हो रहा है। जहां गोषालायेंह ै भी पषुओं का पर्याप्त चारा नहीं मिल पा रहा है वे आये दिन दर्जनों की संख्या में दम तोड़ रही है।
ज्ञात हो कि किसान आवारा जानवरों से परेशान हो चुके हैं। अपने खेतों को बचाने के लिए किसानों ने खेतों के किनारों पर लोहे के तार लगा दिए हैं, लेकिन खुले में घूम रहे जानवर उन्हें भी तोड़कर खेतों में घुस जाते हैं। हर क्षेत्र में इस वक्त गांव में सैकड़ों की संख्या में गाय, सांड , बछड़े खुलो घूम रहे हैं, जो आए दिन लोगों के खेतों में घुसने के साथ-साथ लोगों को दौड़ाते भी हैं। इस डर की वजह से गांव में बच्चों ने निकलना तक कम कर दिया है। सब्ज्यिों की फसले बर्बाद कर रहे है। इन जानवरों को कई बार गांव के बाहर तक खदेड़ा गया है, मगर कुछ दिनों बाद फिर से ये अपने आप गांव में आ जाते हैं। इनके उत्पात से चैपट हो रही फसलों को बचाने के लिए किसानों ने कई बार प्रशासन से से बात भी की, मगर आज तक किसानों की मदद के लिए तथा आवारा पशुओं को पकड़वाने के लिए प्रशासन के अलावा किसी ने भी किसानों की फसल को बचाने का प्रयास नहीं किया है। किसानों की फसल पिछले कई सालों चैपट हो जाती है। किसान रात दिन मेहनत कर फसल बचाने का काफी प्रयास करने के बाद भी अब किसानों के लिए घाटे की खेती हो रही है।