दया चाइल्ड केयर अस्पताल की लापरवाही ने लिया एक नवजात शिशु की जान
राजगढ़,मिर्जापुर। राजगढ़ में संचालित दया चाइल्ड केयर अस्पताल के संचालक की लापरवाही ने बीते शनिवार को एक नवजात शिशु की जान ले ली। अस्पताल संचालक द्वारा मामले को दफा दफा कर दिया गया। इसके पूर्व में भी दया चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में कई नवजात शिशुओं की जाने जा चुकी है। इसके बावजूद भी जिले के जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दया चाइल्ड केयर हॉस्पिटल के ऊपर आखिर क्यों मेहरबान हैं? उनके खिलाफ कार्रवाई करने में देरी क्यों हो रही है ?इस बात की चर्चा खुलेआम चट्टी चौराहों पर हो रही है।आम लोगों एवं बुद्धिजीवियों के लिए यह यक्ष प्रश्न बन चुका है। जबकि बीते 16 सितंबर को अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल डॉ विनोद कुमार चौधरी एवं परियोजना निदेशक की टीम ने क्षेत्र में संचालित हो रहे अवैध हॉस्पिटलों की गहनता पूर्वक स्थलीय जांच एक-एक बिंदुओं पर की गई थी। जिसमें जांच में यह हॉस्पिटल बंद पाये जाने का उल्लेख है। लेकिन जांच अधिकारियों द्वारा अभी तक इन अवैध रूप से संचालित हो रहे हॉस्पिटलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। मजे की बात यह है कि जांच के बाद से अस्पताल संचालक अस्पताल के नाम का बोर्ड उतार करके रख दिया है एवं अंदर बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने में मशगुल है ।नवजात शिशु की मृत्यु के मामले में सिर्फ अभी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा खाना पूर्ति की जा रही है। जबकि रविवार के अधिकांश अखबारों ने दया चाइल्ड केयर हॉस्पिटल के कुकृत्यों की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की है । इसके बावजूद कार्रवाई न होने से जिम्मेदार अधिकारी संदेश के घेरे में हैं। राजगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर पवन कुमार कश्यप द्वारा डॉक्टर संतलाल एवं डॉ अनूप कुमार के नेतृत्व में जांच करनी थी लेकिन झोलाछाप डॉक्टर फरार है और लेकिन इस संबंध में जब डॉक्टर पवन कुमार कश्यप से बात हुई तो उन्होंने कहा कि आज भी डॉक्टर के क्लीनिक पर भेजा गया था लेकिन डॉक्टर का क्लीनिक बंद था निगरानी की जा रही है जैसे ही जिले के सीमाओं का आदेश आता है तुरंत क्लीनिक को सीज किया जाएगा। इस संबंध में जब राजगढ़ के डॉक्टर संतलाल से बात हुई जो उन्होंने कहा कि अभी तक कोई भी सदस्य टीम गठित नहीं की गई है पेरो के माध्यम से पता चला लेकिन अगर ऐसा होता है तो उक्त क्लीनिक के ऊपर जांच कर कर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल डॉक्टर विनोद कुमार चौधरी ने बताया कि कोई लिखित सूचना हमारे पास नहीं है। यह पूछे जाने पर की सभी प्रमुख अखबारों ने दया चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में हुई नवजात की मृत्यु का खबर प्रकाशित किया था, तो उन्होंने यह कहा कि हमारे पास अखबार नहीं आता है और पढ़ने का समय नहीं मिल पाता है। इस तरह का बयान जांच अधिकारी के ऊपर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयो की उदासीनता से क्षेत्र में अवैध अस्पताल संचालित हो रहे हैं एवं शासन की मंसा पर पानी फेर रहे हैं। जिसके वजह से क्षेत्र में सरकार की भारी बदनामी हो रही है। स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि अवैध रूप से संचालित क्षेत्र के अस्पतालों को बंद कराया जाए। नवजात शिशु के मामले में दया चाइल्ड केयर हॉस्पिटल के खिलाफ कड़ी विधि कार्रवाई की भी अपील की है। देखना अब यह होगा कि ऐसे लापरवाह जिम्मेदार अधिकारियों पर मुख्यमंत्री योगी