नीतीश मौर्य के स्थानांतरण के लिए जिला विकास अधिकारी जौनपुर के समक्ष आखिर गिड़गिड़ाये क्यो ? मंत्री और विधायक
जौनपुर .जन सूचना और जन सूचना अधिकारीयो की बात जब किया जाता है तो किसी हिंदी फिल्म के गीत के बोल याद आते है जिसकी बोल है कि ʺ कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया ʺ जी हा क्योकि आज सूचना अधिकार कानून की जो दशा है उसको देखकर यह लगता है कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उद्श्य से बनाया गया कानून खुद ही भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया है। अगर यह कार्य किसी नीचले दर्जे का अधिकारी/कर्मचारी करे तो बात समझ मे आती है कि शायद इसे विभाग द्वारा जबरजस्ती सूचना अधिकारी का पद भार दे दिया गया है इस लिए यह सूचना कानून से बिल्कुल अंजान है। मगर इस तरह की छिछोरी गल्ती जिले का आला अधिकारी करता है तो मामाला पूरी तरह से सोचनीय हो जाता है। प्राप्त सूचना के अनुसार दिनांक 22मई 2023 को आवेदक जिला विकास अधिकारी जौनपुर के समक्ष सशुल्क आवेदन करते हुए मे 7 बिन्दुओ की सूचना मागा जिस पर नियमानुसार 30 दिन मे सूचना उपलब्ध कराने का प्राविधान है परंतु जनपद जौनपुर के जिला विकास अधिकारी द्वारा सूचना अधिकार कानून को ठेंगा दिखा दिया गया । आवेदक के अनुसार जिला विकास अधिकारी को शायद अपने पद एवं गरीमा का कुछ ख्याल आया होगा इस लिए कानून की धज्जिया उड़ाने के बावजूद 60 दिन मे आवेदक के पास पंजीकृत डाक से एक पत्र पेषित किये। जिला विकास अधिकारी जौनपुर द्वारा भेजे गये जबाब को यदि संज्ञान लिया जाये तो हिंदी फिल्म का मशहूर गाना ʺ मै बोली कि लाना तु ईमली का दाना, मगर वो छुहारे ले आया दिवाना ʺ बतादे कि आवेदक ने अपने सवाल मे जो भी जानकारी चाहा था उसका जबाब पूरी तरह से भ्रामक एवं घुमावदार है जिसका अर्थ समझपाना शायद कठीन होगा। बता दें कि आवेदक ने अपने सवाल में जानना चाहा था कि जिला प्रशिक्षण संस्थान सिद्धीकपुर में श्री नीतीश मौर्य द्वारा चार्ज लेने की तिथि वार विवरण की प्रमाणित प्रति की मांग किया था जिसके एवज में जिला विकास अधिकारी ने लिखा है कि नीतीश कुमार मौर्य के योगदान की छाया प्रति संलग्न है यहां जिला विकास अधिकारी को नीतीश कुमार का चार्ज लेना भी योगदान समझ में आ रहा है यहां चाटुकारिता की सारी हदें पार हो गई हैं अगर ग्राम विकास अधिकारी एक जिला विकास अधिकारी की चाटुकारिता की बात करे तो समझ मे आता है परंतु यहां तो पूरी की पूरी कायनात ही उल्टी चलती समझ मे आ रही है जिसका मुख्य कारण है ग्राम विकास विभाग के मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह एवं डॉ हरेंद्र प्रसाद सिंह उक्त दोनों माननीय जन प्रतिनिधि एक ही लेटर पैड पर हस्ताक्षर करते हुए लिखा है कि श्री मौर्य मेरे परिचितो में से हैं अतः आपसे सादर आग्रह है कि कृपया श्री नितीश मौर्य की उक्त परिस्थितियों को देखते हुए जिला ग्राम्य विकास संस्थान जौनपुर में स्थानांतरण करने की कृपा करें इस खबर ने यह साबित कर दिया है कि अगर नितीश मौर्य की तरह जिसकी पकड़ जन प्रतिनिधियो (मंत्री एवं विधायक) तक हो तो तंत्र के सबसे निचले पायदान पर बैठा कर्मचारी (एक मामली सा ग्राम विकास अधिकारी ) भी अपने सर्वोच्च अधिकारी ( जिला विकास अधिकारी ) को अपनी चाटुकारिता करने पर मजबूर कर देगा। यह मजे की बात यह है कि यह प्रकरण 23-9-2019 का है और आज 2023 है यानी कुल 4 साल बीतने के बाद भी नीतीश मौर्य की बेचारी पत्नी चारपाई पर पड़ी है और नीतीश कुमार अपनी ड्यूटी से छुट्टी लेकर उसकी सेवा में लगे हैं और उक्त मंत्री और विधायक के संयुक्त पत्र आज भी नितीश मौर्य की ढाल बनकर उनको बचाने हेतु अधिकारिये के हाथ मे दिखाई दे रही है। दीप चन्द यादव