Sunday, October 6, 2024
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रिस्वतखोर प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पैसा वापस कराने की सलाह दिये जिला विद्यालय निरीक्षक

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चांपा। आत्मानंद स्कूल के प्रभारी प्राचार्य पर आवेदन फार्म के बदले छात्रों से 100- 100 रिश्वत लिए जाने की शिकायत जब सार्वजनिक रूप से जिले के शिक्षा अधिकारी की उपस्थिति में हुई बैठक में सामने आई और ग्रामीण हंगामा करने लगे। तब डीईओ का बयान भी हैरान करने वाला था। उन्होंने बैठक में कहा संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करने के बदले पैसा वापस करा देता हूं, इस वाक्ये ने जिले की शिक्षा व्यवस्था की कलई खोलकर रख दिया है।

यह मामला ग्राम डोंगाकोहरौद का है, जहां शासन ने शासकीय हाईस्कूल में हिंदी मीडियम में स्वामी आत्मानंद स्कूल की स्वीकृति प्रदान की है और हाईस्कूल में भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई। स्वीकृति मिलने के महीनों बाद डीईओ, बीईओ ने एक नया आदेश जारी किया, जिसमें गांव के हाईस्कूल कैंपस से बाहर पुरानी मिडिल स्कूल व प्राथमिक स्कूल को स्वामी आत्मानंद स्कूल के अधीन करना शामिल है। दूसरी ओर, स्वामी आत्मानंद स्कूल में आवेदन फार्म के नाम पर 100 रूपए लिए जाने व पुरानी मिडिल व प्राथमिक स्कूल को उसमें शामिल करने के आदेश की जब गांव में फैली, तब ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा से कलेक्टर, डीईओ से करते हुए लिखित व मौखिक शिकायत दर्ज कराई। में साथ ही पुराने स्कूल को यथावत व आवेदन के नाम पर रुपए लेने वाले प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग रखी गई। इसके बाद डीईओ ने गांव आकर मामले में चर्चा करने की बात कही। ग्रामीण इस पर राजी हो गए, लेकिन डीईओ कई तय समय के बाद 27 जुलाई को गांव पहुंचे। वहां डीईओ ने ग्रामीणों की बैठक ली, जिसमें पालकों ने प्रभारी प्राचार्य पर प्रवेश के लिए 100 रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की, तब डीईओ ने जब लिए रूपए को वापस करा देने की बात कही तो ग्रामीण भड़क गए और वहां हंगामा शुरू हो गया। तब डीईओ साहब चलते बने। इधर, बैठक में ग्रामीणों ने पुराने मिडिल स्कूल व प्राथमिक स्कूल को स्वामी आत्मानंद स्कूल के अधीन करने का सवाल उठाते हुए डीईओ से राज्य सरकार के आदेश के कापी की  मांग की, तब बैठक में मौजूद डीईओ व बीईओ आदेश कापी भी नही दिखा पाए, जिससे पुराने मिडिल व प्राथमिक स्कूल को कुछ निहित लोगों द्वारा लाभ कमाने के उद्देश्य की भी चर्चा जोरों पर है। इन अधिकारियो के इस कृत्य से लगता है कि कार्यवाही न कराने के पिछे इन लोगो का कुछ न कुछ खुद का लाभ छिपा है इसी लिए उक्त लोग खुदगर्ज बनकर रिस्वतखोर प्राचार्य को बचाने मे बेशर्मी की हद पार कर दिये।