विकास दुबे के साथ पुलिस की मिलीभगत की जांच करने के लिए SIT का गठन किया, उत्तर प्रदेश सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने गैंगस्टर विकास दुबे द्वारा की गई आपराधिक गतिविधियों और अधिकारियों द्वारा उस पर कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए उठाए गए कदमों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। इस SIT का नेतृत्व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी संजय भुसरेड्डी को सौंपा गया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, हरिराम शर्मा और डीआईजी रवींद्र गौड़ भी इस एसआईटी में शामिल किया गया है और इसे 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रस्तुत करने को कहा गया है।
* दुबे के खिलाफ लंबित आरोपों के संबंध में दुबे और उसके सहयोगियों के खिलाफ क्या प्रभावी कार्रवाई की गई।
* इस तरह के एक विस्तृत आपराधिक इतिहास वाले ऐसे खूंखार अपराधी की जमानत रद्द करने के लिए क्या कदम उठाए गए।
* दुबे के खिलाफ कितनी शिकायतें मिलीं और उसके और उसके साथियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, एनएसए, आदि के तहत क्या कार्रवाई की गई।
* इतने अपराधों में शामिल होने के बावजूद, दुबे और उसके सहयोगियों के लिए हथियार लाइसेंस किसने और क्यों स्वीकृत किया।
पिछले एक साल में कितने पुलिस अधिकारी दुबे के संपर्क में आए और उनके बीच मिलीभगत को लेकर सबूत, अगर कोई हो।
* दुबे और उसके सहयोगियों द्वारा अवैध रूप से अर्जित संपत्ति, व्यापार और आर्थिक गतिविधियों के सुराग का पता लगाएं और बताएं कि क्या स्थानीय पुलिस की किसी भी तरह की शिथिलता, लापरवाही या भागीदारी रही है। एसआईटी को यह भी जांच करने के लिए कहा गया है कि दुबे और उसके सहयोगियों के पास हथियारों की उपलब्धता के बारे में जानकारी एकत्र करने में लापरवाही क्यों हुई। यह किस स्तर पर हुआ, पुलिस थाने में इसके बारे में पर्याप्त जानकारी क्यों नहीं थी; और इसके लिए कोई अपराधी हो तो चिह्नित करें। हत्या के आरोप सहित 60 से अधिक आपराधिक मामले दुबे के खिलाफ लंबित थे, जिसे शुक्रवार सुबह पुलिस मुठभेड़ में कथित रूप से मार दिया गया। इस घटना ने पुलिस / गैंगस्टर के साथ राजनीतिक भागीदारी के आसपास एक बड़ी बहस को जन्म दिया है और कई अभ्यावेदन सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सामने रखे गए हैं और न्यायिक जांच की मांग की गई है।