सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़की के रेप के आरोपी 84 वर्षीय व्यक्ति के DNA टेस्ट के निर्देश दिए
सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के आरोपी 84 साल के एक व्यक्ति का डीएनए टेस्ट कराने का निर्देश दिया है। नाबालिग के साथ बलात्कार के आरोप में एक व्यक्ति को प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) एक्ट के तहत बुक किया गया है। पीड़ित लड़की ने 5 जुलाई को एक बच्चे को जन्म दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत से स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और इसलिए उसने शीर्ष अदालत के समक्ष एक विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।
याचिका में प्रस्तुत किया कि वह यह सत्यापित करने के लिए डीएनए परीक्षण करवाने का इच्छुक है कि वह शिकायतकर्ता की बेटी के गर्भधारण के लिए जिम्मेदार नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस संबंध में उच्च न्यायालय के समक्ष उसकी रिट याचिका अभी भी लंबित है। उसके अनुसार, शिकायतकर्ता द्वारा उसके खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज किया गया है, जो उसका किराएदार है और किराए का भुगतान न करने को लेकर उनके बीच विवाद था।जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टि एमआर शाह की शीर्ष अदालत की बेंच के सामने जब मामला आया, तो उस व्यक्ति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि आरोपी की उम्र 84 वर्ष है, और वह यौन गतिविधियों के लिए अक्षम है। याचिकाकर्ता ने दोहराया कि आरोपी डीएनए टेस्ट से गुजरने को तैयार है और उसने जेल से छूटने की प्रार्थना की। राज्य के लिए पेश हुए एडवोकेट लिज़ मैथ्यू ने बेंच के सामने स्टेटस रिपोर्ट रखी कि डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल पहले ही ले लिया गया है।
इन पर ध्यान देते हुए, पीठ ने इस प्रकार आदेश दिया: ” हमने स्टेटस रिपोर्ट से नोट किया है कि याचिकाकर्ता के डीएनए टेस्ट के लिए नमूना लिया जा चुका है। बच्चे के पितृत्व को निर्धारित करने के लिए डीएनए परीक्षण किया जाए। इस मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें जिस अवधि में डीएनए रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लाया जाए।”