हाथ मलती रह गई … यू पी पुलिस
कानपुर में आठ पुलिसवालों को मारने वाला गैंगस्टर विकास दुबे आखिरकार मिल गया है. पिछले एक हफ्ते से जिस अपराधी को उत्तर प्रदेश की पुलिस कई राज्यों में तलाश रही थी, उसने खुद मध्य प्रदेश के उज्जैन में सरेंडर कर दिया. पुलिस की कहानी में झोल ही झोल हैं. दरअसल, विकास दुबे की ‘गिरफ्तारी’ जिस नाटकीय ढंग से हुई, उसने अनेक सवाल खड़े किये. मंदिर परिसर में सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारी द्वारा विकास को देखने की सूचनाएं आयीं. इसके बाद उसने तत्काल आला अफसरों को अलर्ट किया और पुलिस ने विकास को ‘आसानी’ से हिरासत में ले लिया. विकास की गिरफ्तारी से ठीक पहले मीडिया भी मौके पर पहुंच गया. मीडिया कर्मियों ने विकास को ले जाने की घटना की रिकॉर्डिंग की. मीडिया के सामने पुलिस ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन विकास ने खुद आगे आकर चिल्लाते हुए कहा, ‘मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला.’ सवाल यह है कि बुधवार को हरियाणा के फरीदाबाद में नजर आया विकास गुरूवार को आखिर उज्जैन कैसे पहुंच गया? फरीदाबाद से उज्जैन तक का सड़क मार्ग से रास्ता करीब 12 घंटे का है. राज्यों की सीमाओं को उसने पार कैसे किया? सरगर्मी से तलाश में जुटे पुलिस दलों को उसने आखिर चकमा कैसे दिया? विकास महाकाल का भक्त है. इसी के चलते वह आया, ऐसा माना गया. कोरोना काल की वजह से बाहरी लोगों को दर्शन के लिए ऑनलाइन पर्ची लेनी होती है. विकास के पास ढाई सौ रुपये की जो पर्ची निकली है, वह फर्जी थी और किसी और के नाम पर थी.
साधारण कर्मचारी ने कैसे पकड़ लिया ….
शुरुआती सूचनाओं के अनुसार, दर्शन करने जाते वक्त संदेह होने पर सुरक्षा कर्मी ने उसका मास्क हटवाया और तब पता चला कि वह विकास दुबे है. सुरक्षा कर्मी ने मौके पर मौजूद सहयोगियों को बुलाया और पुलिस के आला अधिकारियों को सूचना दी. बताया गया है कि पकड़े जाने पर विकास ने सुरक्षा कर्मियों से हाथापाई की और भागने का प्रयास किया. लेकिन पुलिस के ये दावे गले नहीं उतर रहे हैं. विकास बेहद शातिर और क्रूर है. ऐसे में वह निहत्था रहे. पुलिस उसे आसानी से पकड़ ले? यह बातें हजम होने के लायक नहीं हैं. विकास दुबे और उसके गैंग के हमले में शहीद हुए पुलिस वालों के परिजनों ने भी विकास की मध्य प्रदेश में कथित नाटकीय ‘गिरफ्तारी’ पर सवाल उठाये हैं. परिजनों ने संकेतों में आरोप लगाया कि विकास की गिरफ्तारी ‘फ़िक्सिंग’ है. यूपी पुलिस पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए कि उत्तर प्रदेश की पुलिस विकास दुबे के गुर्गों के एनकाउंटर में उलझी रही और उधर वह मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में मिला. दरअसल, सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर विकास दुबे फरीदाबाद से उज्जैन कैसे पहुंच गया. आखिर कौन विकास दुबे की मदद कर रहा था. बताया जा रहा है कि विकास दुबे ने महाकालेश्वर मंदिर की पर्ची कटाई और इसके बाद खुद ही सरेंडर कर दिया. फिलहाल, स्थानीय पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया है. आपको बता दे कि मीडिया द्वारा दी जा रही खबरों के अनुसार यूपी पुलिस ने भी विकास दुबे की गिरफ्तारी की पुष्टि की है. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि अभी विकास दुबे मध्य प्रदेश पुलिस की कस्टडी में है. गिरफ्तारी कैसे हुई? इसके बारे कुछ भी कहना ठीक नहीं है. मंदिर के अंदर से या बाहर से गिरफ्तारी को लेकर कहना भी ठीक नहीं है. उसने क्रूरता की हदें शुरू से ही पार कर दी थी. वारदात होने के बारे से ही हमने पुलिस को अलर्ट पर रखा था. इससे पहले विकास दुबे के साथियों पर लगातार एक्शन हो रहा है. उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार पिछले कई दिनों से विकास दुबे के गुर्गों का एनकाउंटर कर रही थी.इसके अलावा इटावा में भी पुलिस ने गैंगस्टर विकास दुबे के साथ बउआ दुबे उर्फ प्रवीन को ढेर कर दिया है. खास बात है कि एनकाउंटर के दौरान पुलिस को पता नहीं था कि बदमाश विकास दुबे का करीबी है. बाद में शिनाख्त होने पर पता चला कि यह कानपुर शूटआउट का एक आरोपी था और इस पर 50 हजार रुपये का इनाम था. कानपुर कांड का मास्टरमाइंड विकास दुबे आखिरकार मध्य प्रदेश के उज्जैन में पुलिस के समक्ष सरेंडर करने में कामयाब हो गया. उसने महाकाल थाना क्षेत्र में जाकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया. इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. अब उसे कानपुर लाने की तैयारी की जा रही है. एक क्षेत्राधिकारी यानी डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत का जिम्मेदार विकास दुबे यूपी पुलिस को चकमा देकर यहां से वहां घूमता रहा. दरअसल, विकास हमेशा पुलिस को अपने इशारे पर चलाता रहा है. उसकी करतूतों को जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कोई साधारण अपराधी नहीं है. उसका आपराधिक इतिहास लंबा है. वर्ष 2000 से लेकर आज तक उसने अनगिनत जुर्म किए. कई मामलों में वो बरी हुआ तो कई मामले अभी भी अदालत में लंबित हैं. विकास दुबे ने कुछ ऐसी वारदातों को अंजाम दिया था, जो पुलिस और सरकार के लिए चुनौती बन गई. ये वही अपराधी है, जिसने 2001 में राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री का दर्जा पाए संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी. इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था. लेकिन उसका खौफ इस वारदात से इस कदर हो गया था कि उसके खिलाफ गवाही देने वाले थाने के 19 पुलिसकर्मी भी कोर्ट में अपने बयान से मुकर गए थे. विकास के खिलाफ 60 केस दर्ज हैं. साल 2000 में विकास दुबे पर कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या का आरोप लगा था. इसके अलावा साल 2000 में ही उस पर कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में रामबाबू यादव की हत्या मामले में जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप लगा था. साल 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे हत्या मामले में भी विकास पर आरोप है. वहीं 2018 में अपने ही चचेरे भाई अनुराग पर विकास दुबे ने जानलेवा हमला करवाया था. इस दौरान भी विकास जेल में बंद था और वहीं से सारी साजिश रची थी. इस मामले में अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था. बताया जाता है कि उत्तरप्रदेश में सभी राजनीतिक दलों के ऊपर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की पकड़ है. साल 2002 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे किए. गैर कानूनी तरीके से काफी सारी संपत्ति बनाई. इस दौरान बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में विकास दुबे का दबदबा था. बता दें कि कानपुर में 8 पुलिसवालों का खून करके भागा विकास दुबे पुलिस को दिखाई तो दिया था, लेकिन हाथ नहीं आया. जी हां हरियाणा के फरीदाबाद में विकास दुबे देखते ही देखते ऑटो पकड़कर रफू चक्कर हो गया था. इसके बाद यूपी पुलिस कह रही थी कि अब विकास दुबे का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. विकास दुबे को यूपी पुलिस की 50 टीम और एसटीएफ का पूरा लाव लश्कर तलाश कर रहा था. लेकिन इसके बावजूद विकास कानपुर में 8 पुलिसवालों का खून करके हरियाणा के फरीदाबाद तक पहुंच गया. फरीदाबाद में भी वो सबके सामने आया. लेकिन पुलिस एनकाउंटर तो दूर, उसे छू तक नहीं पाई. एक दम फिल्मी स्टाइल में वो पुलिस को चैलेंज देकर निकल गया. मानो विकास दुबे कह रहा हो, पकड़ सको तो पकड़ लो. गौरतलब है कि पिछले 7 दिनों से यूपी पुलिस विकास दुबे को ढूंढ रही थी. लेकिन विकास दुबे लगातार पुलिस की आंखों से ओझल हो रहा था. लेकिन अब खुद विकास दुबे ने उज्जैन में सरेंडर कर यूपी पुलिस के अरमानों पर पानी फेर दिया.