क्या अब भारत ही में रहेगी शेख हसीना का ठिकाना
*क्या भारत ही रहेगा शेख हसीना का ठिकाना?*
*बांग्लादेश सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ लिया बड़ा फैसला*
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है. पासपोर्ट रद्द करने के पीछे कारण दिया गया है कि शेख हसीना के खिलाफ अब तक 44 आपराधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं.
*नई दिल्ली*। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है. इसके साथ ही उनके अन्य सहयोगियों का भी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है. डिप्लोमेटिक पासपोर्ट के रद्द होने के बाद अब शेख हसीना का दूसरे देशों में जाना और कठिन हो गया है.
पासपोर्ट रद्द करने के पीछे कारण दिया गया है कि शेख हसीना के खिलाफ अब तक 44 आपराधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. इसके साथ ही कुछ और मुकदमे अभी दर्ज हो सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि उन पर पाबंदी लगाने के लिए उनका डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया जाए.
*अब क्या होगा शेख हसीना के साथ?*
बता दें कि शेख हसीना अभी फिलहाल भारत में शरण ली हुई हैं और वह कुछ अन्य देशों में भी शरण लेने की योजना के तहत काम कर रही हैं. बांग्लादेश की अंतिम सरकार द्वारा उनका डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द किए जाने के बाद उनको विदेश में शरण मिलना मुश्किल हो जाएगा. इसके साथ ही अंतिम सरकार ने उनके अनेक सहयोगियों के भी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं, जिससे वह बांग्लादेश छोड़कर भाग न पाएं या यदि उनमें से कुछ लोग जो बाहर चले गए हैं वह अन्य देशों की यात्रा न कर पाएं.
*हसीना के प्रत्यर्पण की मांग जोरों पर*……
हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. सूत्रों की मानें तो बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर विचार कर रही है. बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, ताकि उन पर बांग्लादेश में मुकदमा चलाया जा सके. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में हत्या समेत कई मामले दर्ज हैं. मंगलवार तक उनके खिलाफ दर्ज केसों की संख्या करीब 25 पहुंच चुकी है. बांग्लादेश में 5 अगस्त को छात्रों का विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी. उस बवाल के बाद शेख हसीना को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी और 6 अगस्त को वह बांग्लादेश छोड़कर भारत भाग आई थीं.