Sunday, December 22, 2024
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*पहले दिल्ली की साक्षी, अब पालघर की आरती*.

*वो सड़क पर कत्ल करता रहा और तमाशा देखते रहे लोग*……

कैमरे में कैद इस वारदात को देखा जाए तो वो लड़का एक के बाद एक लगातार उस लड़की पर वार करता जा रहा है. एक, दो, तीन, चार, पांच, छह… आप गिनते-गिनते थक जाएंगे, लेकिन हमला करने वाले लड़के के हाथ नहीं थकते और वो लगातार लड़की को अपना निशाना बनाता रहता है.

*सौरभ वक्तानिया .. सुप्रतिम बनर्जी .. पालघर .. महाराष्ट्र*

कहनेए,z, को वो जिंदा लोगों का एक शहर है. ऐसा शहर है जो पूरी रफ्तार से दौड़ता है. और शहर की रफ्तार से सड़क पर कदमताल मिलाते उस शहर के लोग हैं. तभी सीसीटीवी कैमरे के एक फ्रेम में उसी सड़क पर एक लड़की दाखिल होती है. लड़की के साथ एक लड़का भी नजर आता है. अचानक वो लड़का उस लड़की पर हमला कर देता है. वो हमला करता है, और वहां सड़क पर मौजूद लोग इस हमले के चश्मदीद बन जाते हैं और फिर यूं ही वहां से गुजरने लगते हैं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं. और हमले का शिकार बनी वो लड़की उसी सड़क पर दम तोड़ देती है. और वो कातिल लड़का उस लड़की की लाश के करीब बैठ जाता है. और वो उस मुर्दा लड़की से बातें करने लगता है. और तब तक बातें करता है, जब तक पुलिस मौके पर नहीं पहुंच जाती. दिल दहला देने वाली ये कहानी महाराष्ट्र के पालघर जिले की है.

*18 जून 2024, वसई इलाका, पालघर महाराष्ट्र*

सुबह का वक़्त है. और लोग अपने-अपने काम पर जा रहे हैं. इन्हीं लोगों में एक ये लड़की भी है, जो एक बैग लिए रास्ते से गुजर रही है, तभी पीछे से एक लड़का उसके पास आता है और अचानक वो लड़की पर किसी भारी चीज़ से वार कर देता है. ये एक वार ही इतना खतरनाक है कि लड़की को संभलने का मौका ही नहीं मिलता और वो चक्कर खा कर बीच सड़क पर गिर जाती है. लेकिन इसके बाद जो कुछ होता है, उसे देखने के लिए भी हिम्मत जरूरी है. हमला करने वाला लड़का एक के बाद एक अपने पास मौजूद हथियार से लड़की पर वार करने लगता है और हर वार के साथ लड़की के जिस्म में हरकत थोड़ी कम होती जाती है.

*दो अलग-अलग वारदात, एक अंजाम*…

ऐसी ही एक वारदात ठीक एक साल पहले दिल्ली में हुई थी. जब एक लड़की को गलियों के बीच चाकुओं मार कर और पत्थर से कुचल कर एक लड़के ने ठीक ऐसी ही मौत दी थी. दिल्ली और पालघर के बीच फ़ासला बेशक हजार किलोमीटर से भी ज्यादा को हो, लेकिन इन दोनों ही वारदातों में एक गजब की सिमिलैरिटी यानी एकरूपता है. इन दोनों वारदातों के इस कनेक्शन की बात भी करेंगे लेकिन आईए पहले पालघर की घटना पर फोकस करते हैं.

*लोहे के पाने से हमला*……

पालघर की सड़क पर हुए इस खौफनाक हमले से महज चंद सेकेंड्स के अंदर लड़की पूरी तरह से बेसुध या यूं कहें कि बेजान होकर सड़क पर निढाल हो जाती है. अब तक ये साफ हो चुका है कि लड़के के हाथों में मौजूद वो हथियार कुछ और नहीं, बल्कि लोहे का एक पाना है. जिससे नट-बोल्ट कसे जाते हैं. अब एक इतने भारी-भरकम औज़ार को अगर कोई हथियार बना कर किसी पर हमला करे और वो भी सिर जैसे नाजु़क और अहम हिस्से पर, तो फिर किसी की हालत क्या हो सकती है, ये समझना मुश्किल नहीं है और यहां इस वक़्त इस लड़की के साथ वही हो रहा है.

*एक के बाद एक कई वार*……..

कैमरे में कैद इस वारदात को देखा जाए तो वो लड़का एक के बाद एक लगातार उस लड़की पर वार करता जा रहा है. एक, दो, तीन, चार, पांच, छह… आप गिनते-गिनते थक जाएंगे, लेकिन हमला करने वाले लड़के के हाथ नहीं थकते और वो लगातार लड़की को अपना निशाना बनाता रहता है. लेकिन आखिर एक लड़का बीच सड़क पर ऐसा हैवान क्यों बन गया? इस लड़के का इस पीड़ित लड़की से आखिर क्या रिश्ता है? दोनों के बीच ऐसी क्या दुश्मनी है? हम आपको इन सारे सवालों के जवाब बताएंगे.

*एक शख्स की नाकाम कोशिश*..

इस पूरी वारदात में सबसे अजीब और हैरान करने वाली बात है मौके पर इतने सारे लोगों की मौजूदगी. कैसे ये सबकुछ सैकड़ों लोगों की आंखों के सामने हो रहा है. लेकिन वहां मौजूद लोग एकजुट होकर लड़के को रोकने की कोई असरदार कोशिश नहीं करते. एक के बाद एक कई वार के बाद एक शख्स लड़के को रोकने के लिए आगे बढ़ता है, वो दो से तीन बार लड़के को पकड़ता है, उसे रोकता-समझाता हुआ दिखता है, लेकिन जब लड़का उसी शख्स को हमले की धमकी देता, तो घबरा कर वो भी पीछे हट जाता है.

*वो मारता रहा, लोग तमाशा देखते रहे*…

लेकिन इतने लोगों के बीच सिर्फ एक ही शख्स का आगे बढ़ कर लड़की को बचाने की कोशिश करना बहुत अजीब है. बाकी के सभी लोग अब भी बस हाथ पर हाथ धरे मौके पर खड़े-खड़े तमाशा देख रहे हैं. हमले की तस्वीरों को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि कैसे वहां बीसियों लोग बीच सड़क पर हो रही इस वारदात से महज चंद क़दम के फासले पर चुपचाप खड़े हैं, लेकिन लड़की को बचाने की पहल नहीं कर रहे हैं. कुछ तो वहां से ऐसे आगे निकलते जा रहे हैं, मानों उन्हें वहां हो रही वारदात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता.

*मुझे क्या’ वाली सोच*…….

एक शख्स अगर लड़के को रोकने की कोशिश कर भी रहा है, तो बाकी के लोग उसका भी साथ नहीं दे रहे. और ऐसे ही संवेदनहीन, कायर और “मुझे क्या” वाली सोच रखने वाले लोगों के चलते सबकी आंखों के समने एक बेगुनाह लड़की की जान चली जाती है और लोग कुछ देर तमाशा देखने के बाद अपने-अपने रस्ते निकल लेते हैं.

*दिल्ली के साक्षी मर्डर केस से पालघर की इस वारदात का कनेक्शन*

अब बाद एक साल पहले दिल्ली में हुए साक्षी मर्डर केस से पालघर के इस वारदात के कनेक्शन की. ये वारदात बेशक राजधानी दिल्ली से करीब 1372 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पालघर में हुई हो, लेकिन ये तस्वीरें दिल्ली में हुए उस साक्षी हत्याकांड की याद दिलाती है, जिसमें एक सिरफिरे लड़के ने शाहबाद डेरी इलाके की तंग गलियों में 28 मई 2023 को महज 16 साल की एक लड़की साक्षी की सबकी आंखों के सामने चाकुओं से गोद कर और पत्थरों से कुचल कर हत्या कर दी थी.

*बुजदिल और बेदिल होने का सबूत*……

तब भी ये वारदात रिहायशी इलाके की तंग गलियों के बीच हुई, जहां से सैकड़ों लोग आ जा रहे थे, लेकिन किसी ने भी हमलावर लड़के के चंगुल से लड़की को बचाने की कोशिश नहीं कही. दिल्ली वाले मामले में तो लड़के के हाथ में एक तेजधार चाकू था, जिससे बचाने के दौरान लोगों के जख्मी होने का खतरा था, लेकिन मुंबई में तो हमलावर के पास एक ब्लंट यानी भारी और कुंद हथियार था, जिससे अगर लोग एकजुट होते, तो लड़की को बचा भी सकते थे. वैसे दिल्ली में भी जिस जगह पर ये वारदात हुई, वहां ईंट पत्थरों के ढेर पड़े थे, तब अगर लोग चाहते तो उन ईंट पत्थरों से ही हमलावर पर वार कर उसे डरा सकते थे, पीछे धकेल सकते थे, लेकिन तब दिल्ली वालों ने भी अपने बुजदिल और बेदिल होने का सबूत दिया था और अब पालघर के बाशिंदों ने एक बार फिर से वही सोच दिखाई है.

*6 साल की रिलेशनशिप*……..

अब आइए पालघर की इस वारदात के पीछे छुपे पहलुओं के बारे में आपको बताते हैं. बीच सड़क पर कातिल का शिकार बनी लड़की का नाम आरती यादव है. आरती की उम्र 20 साल की थी. जबकि जिस लड़के ने आरती की हत्या की उसका नाम रोहित यादव है. रोहित आरती से कुछ साल बड़ा है. रोहित अपने परिवार में अकेला है और वो करीब छह सालों से आरती के साथ रिलेशन में था.

*सब कुछ आरती पर लुटाता रहा रोहित*….

पुलिस सूत्रों की मानें तो रोहित ने ही आरती को जॉब भी दिलाई थी. शुरू में कुछ सालों तक तो सबकुछ ठीक ठाक रहा, लेकिन धीरे-धीरे आरती ने रोहित से दूरी बनाने की शुरुआत कर दी. और ऐसा तब था, जब रोहित तकरीबन अपनी पूरी की पूरी सैलरी ही आरती और उसके घरवालों के हवाले कर देता था. रोहित को 12 हजार रुपये पगार के तौर पर मिलते थे, इनमें से वो 11 हजार रुपये आरती के घरवालों को दे दिया करता था, जबकि एक हजार रुपये अपने पास रखता था. यानी वो एक कमिटेड रिलेशनशिप में था.

*रोहित से दूर होती जा रही थी आरती*…….

लेकिन इसके उलट आरती के दूसरे कुछ लड़कों से भी दोस्ती थी. रोहित ने आरती को किसी दूसरे लड़के के साथ देख लिया था, जिसके बाद उसने आरती से ऐतराज भी किया, लेकिन रोहित की मानें तो आरती ने पलट कर रोहित से ही ब्रेक अप कर लेने की बात कही और इसके बाद रोहित ने आरती से बदला लेने का फैसला कर लिया.

*कत्ल के बाद रोहित भागा नहीं*….

वारदात के दिन यानी 18 जून को दोनों दफ्तर के रास्ते पर थे, तभी रोहित ने आरती को रोक कर उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन आरती बेरुखे तरीके से पेश आई, जिसके बाद रोहित वहां से चला गया और किसी दुकान से एक भारी सा पाना लेकर आया, जिससे उसने आरती के सिर पर ताबड़तोड़ वार करना शुरू कर दिया और उसकी जान ले ली. चश्मदीदों की मानें तो आरती की हत्या करने के बाद रोहित उसकी लाश के पास ही देर तक बैठा रहा और उसकी लाश से ही बातें करता रहा, हालांकि तब तक लोगों ने पुलिस को खबर दे दी थी. पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और उसने लड़के को गिरफ्तार करने के साथ-साथ लड़की को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक लड़की की जान जा चुकी थी.