ग़ज़ल
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हीरालाल यादव हीरा
ख़्वाब होते रहे धुआँ अक्सर
हाथ आईं उदासियाँ अक्सर
दिल के जज़्बात घुट गये दिल में
कर न पाये उन्हें बयाँ अक्सर
तोड़ देती हैं हौसले दिल के
वक़्त की बेवफ़ाइयाँ अक्सर
गुम है इंसानियत नहीं मिलती
ढूँढता हूँ यहाँ-वहाँ अक्सर
हाथ ख़ुशियाँ छुड़ाते फिरती हैं
ग़म ही रहते हैं मेह्रबाँ अक्सर
दिल की बातें बयान करने में
लड़खड़ा जाती है ज़ुबाँ अक्सर
ख़ुद का कर लेता है बुरा हीरा
आदमी हो के बदगुमाँ अक्सर