ग़ज़ल
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हीरालाल यादव हीरा
ज़र्रे ज़र्रे में नज़र आता है जल्वा तेरा
आदमी को है फ़क़त जग में सहारा तेरा
एक तिनका भी नहीं हिलता तेरी मर्ज़ी बिन
आदमी करने को करता रहे मेरा-तेरा
ये ज़मीं, चाँद-सितारे हैं तेरी मुट्ठी में
किसमें कूवत है मिटा पाये जो लिक्खा तेरा
पूरी करता है मुरादें तू बिना माँगे ही
है मदद करने का आला ही तरीका तेरा
राह जीवन की वो दुश्वार करेगा ख़ुद ही
जो न समझेगा ज़माने में इशारा तेरा
इब्तिदा तू ही, मेरी इंतेहा भी है तू ही
अब सिवा तेरे कहाँ जाए भी बंदा तेरा
तूने जिस तर्ह से संसार रचा है दाता
देख हैरान है इंसान करिश्मा तेरा
आख़िरी साँस तलक तेरी इबादत में रहूँ
नाम होठों पे मेरे सिर्फ़ हो दाता तेरा
कुछ न कुछ तेरी इबादत में कमी हीरा है
ख़्वाब दुनिया में जो हर इक है अधूरा तेरा