चोरो के सरदार तुम्हारी जय हो।
जौनपुर, सत्तासीन सरकार चाहे जितना कोशिश करे परंतु अधिकारियो के नश नश मे मानो करप्शन खून के रूप मे दौड़ रहा है तभी तो भारतीय संसद द्वारा बनाये गये कानून को इस कदर अनदेखा करते है कि जैसे भ्रष्ट अधिकारी देश के हर कानून से सर्वोपरि है। आपको बतादे कि भ्रष्टाचार तो आज लगभग हर विभाग मे अपना पैर पसार चुका है परंतु पंचायती राज विभाग के अधिकारीयो के कृत्य सबसे दो कदम आगे है। प्राप्त सूचना के अनुसार पंचायती राज विभाग जौनपुर के अंतर्गत कार्य करने वाले अधिकारी/कर्मचारी पूरी तरह से भ्रष्टाचार मे लिप्त है जिसका जीता जागता सबूत है कि यदि सूचना का अधिकार अंतर्गत किसी ग्राम सभा मे होन वाली खुली बैठक की जानकारी मांगी जाये तो अधिकतम लोगो को सामान्य बैठक और खुली बैठक मे कोई अंतर ही समझ मे नही आता है। पंचायती राज विभाग मे रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले ग्राम विकास अधिकारी अथवा ग्राम पंचायत अधिकारी तो जनता को इस कदर गुमराह करते है जैसे सारे जहां मे सबसे बुद्धजीवी यही लोग है अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए दो लाईन का रटा रटाया शब्द लिखते है कि आपको सूचना नही दिया जा सकता अथवा आपको सूचना प्राप्त करने के लिए इतना पैसा जमा करना होगा। इसी तरह का एक जबाब विकास खण्ड बक्शा के ग्राम विकास अधिकारी रसवदिया द्वारा दिया गया है । ग्राम विकास अधिकारी रसवदियां ने सूचना पत्र के माध्यम से सूचित किया कि कुल सूचना प्राप्त करने हेतु 1400/रू0 जमा करने होगे जिसे आवेदक द्वारा 30 जून 2023 को जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय मे भारतीय पोस्टल आर्डर के माध्यम से 1400/रू0 जमा किया गया परंतु आज तक कोई सूचना आवेदक को उपलब्ध नही करायी गयी। ग्राम विकास अधिकारी अथवा ग्राम पंचायत अधिकारी पंचायती राज विभाग के ऐसे चोर है जो ग्राम विकास के नाम पर आयी धनराशि को ग्राम प्रधान से मिलकर पूरी तरह से बंदरबाट करने मे माहिर होते है। अब सोचने की बात यह है कि अगर ग्राम विकास अधिकारी अथवा ग्राम पंचायत अधिकारी जैसे चोर पूरी ग्रामिण स्थिति को बदलने की क्षमता रखते है तो इनके सरदार यानी जिला पंचायत राज अधिकारी की हालत क्या होगी इसका अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुस्किल होगा। ऐसे मे जिला पंचायत राज अधिकारियो को यह समझ मे नही आता कि कोई जनता अगर सूचना हेतु आवेदन करती है उसका विधिवत शुल्क जमा करती है इतना ही नही निर्धारित प्रतिलिपि शुल्क बताने पर पूरा शुल्क भी जमा किया जाता है इतने के बावजूर अगर सूचना उपलब्ध नही करायी जाती तो यह खुलेआम लूट नही तो और क्या है?