Sunday, December 22, 2024
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जच्चा बच्चा दोनो का रखे ख्याल

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*जन्म से 1 साल तक के बच्चो की देखभाल कैसे करे इस पर काफी सवाल आये।*
*हम चाहते तो अलग अलग भी जवाब दिया जा सकता था लेकिन एक ही जगह बच्चे के पालण पोषण की जानकारी देना सही लगा.!*
*इसलिए पोस्ट कुछ लम्बी हो गयी है लेकिन उम्मीद करते है नई मां और पिता के लिये ये लेख काफी सहायक होगा।*

*आइये जाने कुछ टिप्स जो आपको हेल्प करेगी…*

*बच्चे का वजन जन्म के बाद 10% घटता है…*

*नवजात शिशु जन्म के कुछ दिनों के अंदर अपना 10% वजन खोता है।*
यह साधारण बात है और यह सभी बच्चों के साथ होता है
लेकिन नवजात शिशु जन्म से 14 दिनों के अंदर अपने जन्म के समय (birth weight) के वजन को वापस पा लेता है।

अगले 4 से 6 महीने में शिशु अपने जन्म के वजन (birth weight) का दुगुना हो जाता है।

*जन्म के समय वजन जरूर करायें। बेबी का फिर एक साल तक प्रति सप्ताह वजन करायें और ये सुनिश्चित करें कि बेबी का वजन प्रति सप्ताह बढ़ रहा है फिर चाहे 100gm ही क्यों न बढ़े। इसके लिये जरूरी है कि हमेशा एक ही वेट मशीन और एक ही बेबी कपडे यूज करे क्योंकि कपड़े का वजन भी रिजल्ट गलत दे सकता है।*

एक साल का होते होते शिशु अपने जन्म के वजन (birth weight) का तीन गुना हो जाता है।

दूसरे साल मे बच्चे का वजन 2 से 3 किलो ही बढता है इससे ज्यादा बढ़े तो अच्छा है लेकिन इससे कम बढे तो थोड़ा चिंता की बात है।

*कैसे जाने आपके बेबी का पेट भर रहा है..?*

अगर आप के बच्चे को पर्याप्त मात्र में दूध मिल रहा है तो वो दिन में कम से कम 6 से 8 बार अपना डायपर गीला कर रहा है तथा उसे दिन में कई बार पॉटी (potty) तो यह इस बात को दर्शाता है कि बच्चे का विकास ठीक तरह से हो रहा है।
बच्चा खुश है, अच्छी नींद ले रहा है तो भले ही उसके गाल गोलू मोलू टाइप नही है आप खुश रहे आपका बेबी स्वस्थ है।

जैसे जैसे बच्चा बड़ा होगा उसे पॉटी (potty) कम होगा। हो सकता है कि कुछ दिनों के बाद उसे पॉटी तीन दिनों में एक बार हो। यह बिलकुल सामान्य सी बात है।

*नोट: 6 महीने तक बच्चों को केवल माँ का दूध ही देना चाहिए तो फिर कैसे बढ़ा सकते हैं बच्चे का वजन.? ये एक खास समस्या है नव प्रसूता माताओं के लिये। लेकिन इसका जवाब भी यही है कि सही ढंग से फीडिंग नही करा पाना ही मुख्य कारण है बच्चे का वजन नही बढने का। आइये समझते है बेस्ट तरीका फ़ीडिग का जिससे मां के दूध के सभी न्यूट्रिएंट्स या पोषक तत्व बच्चे को मिल सकें।*

* *एक उदाहरण देते हैं… आपको अगर नहाना है, आपने गिजर आन किया तो पहले ठंडा पानी आयेगा, फिर गुनगुना, फिर गर्म। यही बात फ़ीडिग समय की भी है… स्तन से पहले ठंडा दूध आता है, पतला होगा, फिर कुछ गाढ़ा, उसके बाद आता है फैट वाला मिल्क जो कि बच्चे का वजन बढाने के काम आता है। यदि बेबी को इस क्वालिटी का दूध नही पहुंच पाता है तो उसका पेट तो भरेगा विकास भी होगा लेकिन जो मदर मिल्क का फैट है वो नही मिलेगा। इसी कारण अक्सर फ़ीडिग के बाद भी मदर वेट कम नही हो पाता क्योंकि फैट बच्चे को नही मिल पाता। इसलिए ध्यान दें कि बच्चे को कम से कम 10 से 15 मिनट फ़ीड करायें। वैसे समय बच्चे के लैच करने पर भी डिपेंड करता है दूसरी जरूरी बात ये है कि हर 2 घटे मे फीड कराती रहें। बिल्कुल वही उदाहरण, यदि आपने गीजर से पानी लिया और कुछ समय बाद आन करो तो ठंडा पानी नही आयेगा। ऐसे ही यदि जल्दी जल्दी फ़ीड करायेगी तो पतला दूध नही आयेगा और बच्चे को अच्छा दूध मिलेगा। बच्चे को रात मे भी बराबर फ़ीडिग कराये। तीसरी जरूरी बात बेबी को सभी पोषक तत्व मदर मिल्क से मिले तो जरूरी है कि जच्चा या माँ के आहार मे दूध, मेवा, दालें, फल, जूस, हरी सब्जी शामिल हो।*

*अभी जाने 6 महीने से बड़े बच्चे को क्या क्या दे सकते हैं…*

अगर आप का शिशु 6 महीने से बड़ा है तो आप को अपने शिशु को दिन में तीन बार देना चाहिए। इसके साथ साथ दिन में कम से कम दो बार स्तनपान भी करना चाहिए।
जब तक कि आप का शिशु एक साल का ना हो जाये आप उसे ठोस आहारों के साथ साथ स्तनपान भी कराती रहें।

*शिशु का वजन बढ़ाने वाले आहार….*

चलिए अब बात करते हैं उन साधारण से दिखने वाले चमत्कारी आहारों के बारे में जो आश्चर्यजनक रूप से आप के बच्चे का वजन बढ़ने की छमता रखते हैं।

*अब जब आप का बच्चा 6 महीने से बड़ा हो गया है तो आप उसे नीचे दिये आहार खिला सकती हैं।*

*सुनने में ये बहुत ही साधारण आहार लगेंगे लेकिन बच्चों का स्वास्थ्य बढ़ाने की इनमें विलक्षण ताकत है।*

*1. केला है उर्जा का अदभुत स्रोत…*

केला प्राकृतिक उर्जा का अदभुत स्रोत है। केवल एक केले से बच्चे को 100 कैलोरी से ज्यादा उर्जा मिलता है।
केले में कार्बोहायड्रेट, पोटैशियम, डाइट फाइबर, विटामिन C और B6 भी प्रचुर मात्र में मिलता है।

केला उन आहारों में से एक है जो शारीर को तुरंत उर्जा प्रदान करने में सक्षम है। यह बहुत आसानी से पच भी जाता है।
पूरे भारत में आप कहीं भी जाइये, केला एक ऐसा फल है जो हर जगह आसानी से उप्लंध हो जाता है। इससे शिशु के लिए आहार बनाना भी बहुत आसन है। यही वजह है कि सफ़र के दौरान बच्चों के लिए केला सर्वोतम आहार है।

*केला है उर्जा का अदभुत स्रोत…*

केले को आप बहुत आसानी से कहीं भी ले भी जा सकती हैं।
बस दो केला लीजिये, रुमाल में लपेटिये, अपने पर्स में रखिये, और कई घंटो के लिए अपने शिशु के आहार को लेकर निश्चित हो जाइये।
ना अलग से टिफिन डब्बा लेने की आवश्यकता और ना ही ये सोचने की की बच्चे को आहार कहाँ और किस तरह खिलाया जाये।

*अपने शिशु को आप केला कई तरह से खिला सकते हैं।*
जैसे कि आप केले की स्मूदी, शेक्, केक या पुडिंग बना के शिशु को दे सकती है। और अगर आप को कुछ भी ना समझ आये तो बस केले को छील कर बच्चे को खाने के लिए दे सकती हैं।

*2. देसी गाय का शुद्ध देशी घी…*

देसी गाय के शुद्ध देशी घी में पोषण बहुत ही भरपूर मात्रा में होता है। इसी लिए शिशु का वजन बढ़ने के लिए यह एक बहुत ही बेहतरीन आहार है।

*देसीगाए का शुद्ध देशी घी*

जैसे ही आपका शिशु आठ महीने (8 months) का होता है आप उसे देशी घी दे सकती हैं। शिशु को देशी घी देने के लिए उसके आहार में देशी घी के कुछ बूंद डाल सकती हैं। जैसे कि उसके खिचड़ी में या रोटी में लगा के। जैसे-जैसे आप का बच्चा बड़ा होगा आप देशी घी की मात्रा बढ़ा सकती हैं।

देसी गाय के शुद्ध देशी घी में वसा की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, इसी लिए बच्चे को देशी घी बहुत ही सिमित मात्र में दें।

*3. सेहत से भरपूर रागी…*

रागी बहुत ही पोषक और स्वास्थवर्धक है। बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए तो ये बेहतरीन आहार है।
इससे बच्चे को प्रचुर मात्र में कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B1, B2, और दुसरे बहुत से मिनिरल्स (खनिज) मिलते हैं जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरुरी है।

*सेहत से भरपूर रागी…*

बच्चे रागी को बहुत आसानी से पचा लेते हैं।
शिशु का वजन बढ़ाने के लिए आप शिशु के आहार में रागी का इस्तेमाल कर सकती हैं।
बच्चे रागी का हलवा बड़े चाव से खाते हैं।
इसके आलावा आप बच्चे को रागी का खिचड़ी भी बना के खिला सकती हैं।

*4. वजन बढ़ाये दही*

दही में दूध का वासा और पोषक तत्त्व होता है। तुलनात्मक रूप से देखा जाये तो बच्चों में दूध की तुलना में दही ज्यादा आसानी से पच जाता है।

दही शिशु को उसके विकास के लिए जरुरी सभी पोषक तत्त्व सही अनुपात में पहुंचता है। इससे शिशु को भरपूर मात्र में कैल्शियम, विटामिन्स और मिनिरल्स मिलता है।

*वजन बढ़ाये दही…*

दही शिशु का रोग प्रतिरोधक छमता भी बढ़ता है और अगर बच्चे को दस्त की समस्या है तो उससे भी आराम दिलाता है।

शिशु रोग विशेषज्ञ इस बात की राय देते हैं कि जब बच्चा 7 महीने या 8 महीने का हो जाये तब आप उसे दही देना शुरू कर सकते हैं।

शिशु दूध में उपलब्ध प्रोटीन को बहुत आसानी से पचा नहीं सकता है। लेकिन दही बनने के दौरान, फ़र्मण्टेशन प्रक्रिया में दूध का प्रोटीन इस तरह से टूटता है जिसे बच्चे का पाचन तंत्र आसानी से पचा लेता है।

आप दही से शिशु के लिए कई तरह के आहार बना सकती हैं, जैसे कि कर्ड राइस, स्मूदी, बटरमिल्क या फ्रूट फ्लेवर्ड दही।

*5. ओट्स (Oats) रखे पाचन तंत्र को दुरुस्त…*

ओट्स में फाइबर भरपूरी से होता है। इस वजह से यह शिशु को कब्ज नहीं होने देता है और उसके पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है। ओट्स में saturated fat और cholesterol की मात्र बहुत कम होती है। साथ ही यह आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, थिअमिन (thiamine) और फॉस्फोरस का भी बेहतरीन स्रोत है।

ये सभी खनिज बच्चे के विकास में तो यौगदान देते ही हैं, साथ ही वजन का सही अनुपात भी बनाये रखने में मदद करते हैं।

*ओट्स (Oats) रखे पाचन तंत्र को दुरुस्त..*

आप अपने बच्चे को ओट्स उसके आहार में कई तरह से दे सकती हैं। जैसे की आप अपने बच्चे को ओट्स का डोसा, खीर, खिचड़ी, कुकी (cookies) या बस दूध में मिला के भी खिला सकती हैं।

*6. आलू दे तंदरुस्ती…*

आलू वो आहार है जो आप अपने बच्चे को ठोस आहार शुरू करते है पहले दिन से खिलाना शुरू कर सकती हैं। इसमें स्टार्च प्रचुर मात्र में होता है। सरल भाषा में स्टार्च को आप कार्बोहायड्रेट कह सक्यती हैं। इससे शिशु को उर्जा मिलता है।

बच्चे बहुत चंचल होते हैं। दौड़ना, भागना और खेल कूद के लिए बच्चे को ढेरों उर्जा की आवश्यकता पड़ती है। ये उर्जा शिशु को कार्बोहायड्रेट से ही मिलती है।
कार्बोहायड्रेट के साथ-साथ आलू में अच्छी मात्र में विटामिन C और B6 और अनेक प्रकार के मिनिरेल्स जैसे की फॉस्फोरस, मैनगनिस होता है।

आलू से शिशु आहार बनाना बहुत आसन है। आप जो भी आहार शिशु के लिए बना रही हैं, जैसे की खिचड़ी, दाल या सब्जी, आप उसमे आलू छील के डाल सकती हैं।

आप चाहें तो अपने शिशु को आलू उबल कर के उसका चोखा बना के भी शिशु को दे सकती हैं। इसमें आप स्वाद के लिए देशी घी के कुछ बूंद भी मिला सकती हैं।

आलू बच्चों को बहुत आसानी से पच जाता है। इससे बच्चों को अलेर्जी होने की भी बहुत कम सम्भावना है।

यह बच्चों का पसंदीदा आहार में से एक है। बच्चे आलू को बहुत पसंद से खाते हैं।

*7. शक्करकंद*
*स्वीट पोटैटो*
आलू की ही तरह शक्करकंद को भी आप शिशु को ठोस आहार शुरू करते ही दे सकती हैं। यह बहुत ही पोषक आहार है और बच्चों को आसानी से पच जाता है। आप इसे उबल कर और आलू की तरह मैश कर के बच्चे को खिला सकती हैं।

शक्करकंद (Sweet Potatoes) पोषक तत्वों का भंडार है। इससे बच्चे को विटामिन A (जिसे beta carotene भी कहते हैं), विटामिन C, कॉपर, मनगनिस, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और विटामिन B6 मिलता है। इसके आलावा बच्चे को डाइटरी फाइबर भी मिलता है।

*8. दाल बनाये मांसपेशियाँ* *Muscles support*

दालों (pulses) में बहुत कैलोरी होती है, जिस वजह से यह बच्चे का वजन बढ़ाने में बहुत सहायक है। अगर आप का बच्चा 6 महीने से बड़ा हो गया है तो आप अपने बच्चे को मूंग दाल का सूप बना के दे सकती हैं। आप चाहें तो बच्चे को दाल का पानी भी दे सकती हैं।

मूंग का दाल और उरद का दाल बच्चों को बहुत आसानी से पच जाता है। इसमें पोषक तत्त्व बहुत होते हैं, साथ ही इससे शिशु को प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और पोटैशियम भी मिलता है। दाल में वसा की मात्रा बहुत कम होती है और फाइबर बहुत होता है।

दाल बच्चों को बहुत तरीके से दिया जा सकता है।
आप बच्चों को दाल की खिचड़ी, दाल का सूप, या दाल का हलवा बना के दे सकती हैं।
शिशु आहार तैयार करने के लिए आप स्वाद की रेसिपी देख सकती हैं:

*9. अवोकाड़ो (Avocado) स्वस्थ वसा से युक्त…*

*अवोकेडो में दो चीज़ भरपूर मात्र में है -*
स्वस्थ वसा और फाइबर।
इसके साथ यह बच्चे महत्वपूर्ण (essential) मिनरल्स और विटामिन्स भी प्रदान करता है। आप शिशु को छेह महीने होते ही अवोकेडो दे सकती हैं।

अवोकेडो को कई तरह से बच्चों को दिया जा सकता है। शुरुआत में आप अवोकेडो को पीस के (puree) या आलू के चोखे की तरह मैश कर के खिला सकती हैं।

इसके आलावा आप अगर आप बच्चों के लिए शेक्, स्मूदी या डिजर्ट बना रही हैं, तो आप उसमे अवोकेडो मिला सकती हैं ठीक उसी तरह जिस तरह से आइस क्रीम मिलाया जाता है।

*10. खिचड़ी बढ़ाये, शिशु का वजन…*

शिशु में ठोस आहार शुरू करते वक्त खिचड़ी उन आहारों में से एक है जो शिशु को सबसे पहले दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि छेह महीने के बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। लेकिन खिचड़ी इतना सरल है की इसे पचाने के लिए शिशु के पाचन तंत्र पे कोई बल नहीं पड़ता है। यह छेह महीने के शिशु में भी आसानी से पच जाता है।
खिचड़ी में चावल और दाल के साथ साथ आधा चम्मच गाए का शुद्ध देशी घी भी डाल देने से शिशु-आहार का ना केवल जायका बढ़ता है बल्कि यह एक ऐसा आहार में तब्दील हो जाता है जो शिशु के वजन को बहुत ही कम समय में बढ़ाने की छमता रखता है।

सबसे अच्छी बात ये है की इस आहार को शिशु बहुत चाव से खाते हैं।

*11. बटर – मक्खन*

बटर या मक्खन शिशु के शारीरिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिशु के दिमागी विकास के लिए तो स्वस्थ-वासा तो सबसे जरुरी है।

मक्खन वासा का सबसे घनिष्ट स्रोत है। सच बात तो ये है की मक्खन शिशु को वो सारे प्रकार के वासा को प्रदान करता है जो उसके तेज़ शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक है। जैसे की cholesterol, Vitamin A और essential fatty acids –
जी हाँ, कोलेस्ट्रॉल भी शिशु के विकास के लिए बहुत जरुरी है।
एक उम्र के बाद कोलेस्ट्रॉल हानिकारक हो सकता है, लेकिन बच्चों के विकास के लिए तो ये बहुत जरुरी है।

बस एक बात का शयन रहे की शिशु को जरुरत से ज्यादा मक्कन ना मिले। शिशु का स्वस्थ विकास महत्वपूर्ण है, लेकिन अत्याधिक मोटा होना भी ठीक नहीं है। यूँ कहें की मोटा होना अनेक बीमारियों की जड़ है।

बस एक चाय की चमच भर मक्खन हर दिन शिशु के विकास के लिए बहुत है। आप अपने शिशु को मक्खन उसके आहार में जैसे की खिचड़ी, दाल, सूजी का हलुआ, या सूप में मिला के खिला सकती हैं।

*12. पूरा गेहूं – Whole Wheat*

पूरा गेहूं यानी की बिना चलनी से छाना हुआ गेहूं। इस गेहूं में (Whole Wheat) में चोकर होता है जो की पोषक तत्वों से भरपूर होता है और जिसमे फाइबर भी प्रचुर मात्रा में होता है।

अगर हम पूरे गेहूं (Whole Wheat) में पोषक तत्वों के बारे में बात करें तो इसमें फाइबर के साथ-साथ प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, जिंक, आयरन, और मैग्नीशियम होता है। ये सभी तत्त्व ऐसे हैं जो शरीर को जरुरत पड़ता है शिशु का वजन बढ़ने के लिए।

गेहूं से शिशु का वजन तो तुरंत नहीं बढ़ेगा लेकिन यह एक बहुत ही स्वस्थ तरीका है शिशु का वजन बढ़ाने के लिए।

शिशु जब दस महीने (10 months) का हो जाये तभी उसे गेहूं से बने आहार दें। ऐसा इस लिए क्योँकि कुछ बच्चों में गेहूं के प्रति अलेर्जी होने की सम्भावना रहती जो बढ़ते उम्र के साथ कम होती जाती है।

शिशु को गेहूं से बने आहार देते समय आहार के तीन दिवसीय नियम का पालन अवश्य करें। गेहूं से बने आहार देने के बाद अगर आप को शिशु में कोई भी एलेर्जी के लक्षण दिखे तो तुरंत बिना समय गवाएं डॉक्टर की राय लें।

*13. फलों का जूस…*

अक्सर आप ने पढ़ा होगा विशेषज्ञ इस बात पे जोर देते हैं की फलों के रस की बजाये, उनका स्मूदी (smoothie) बना के पीना चाहिए। इससे मोटापा कम होता है।

लेकिन जब बच्चे का वजन बढ़ाना हो तो फलों जूस एक बहुत अच्छा विकल्प भी है। फलों के जूस में कैलोरी की कोई कमी नहीं होती है। इसमें पोषक तत्त्व भी भरपूर होते हैं जैसे की विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर।
यह उन माँ-बाप के लिए बहुत ही बढ़िया विकल्प है जिनके बच्चे फलों को खाना पसंद नहीं करते हैं।

आप बच्चों के लिए घर पे ही फलों का जूस बना सकती हैं। फलों का जूस बनाने के लिए आप संतरे, आनर, अन्नानास का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। आप इन सबके अलग अलग जूस बना के अपने बच्चे को पीला सकती है या सबको मिला के भी जूस बना के बच्चे को पीला सकती हैं।

बच्चों के लिए जूस बनाते वक्त आप को अलग से उसमे चीनी डालने की कोई जरुरत नहीं है। आप जूस का स्वाद नियंत्रित करने के लिए फलों के अनुपात में बदलाव कर सकती हैं जैसे की संतरे और आनर का मिश्रण।

*देसी गाय का दूध शक्तिवर्धक होता है…*

एक साल से बड़े बच्चों को गाए का दूध दिया जा सकता है।
गाए का दूध बच्चों का वजन चमत्कारी रूप से बढ़ाने की छमता रखता है। तभी तो 20 किलो का बछड़ा, छह महीने में 100 किलो का हो जाता है।

इससे बच्चे को वो सब कुछ मिलता है जो वजन बढ़ाने के लिए जरुरी है। जैसे कि कैल्शियम हड्डियोँ के विकास के लिए, प्रोटीन मांसपेशियोँ के विकास के लिए, कुछ महत्वपूर्ण विटामिन्स और मिनरल्स शिशु के सम्पूर्ण विकास या डेवलपमेंट के लिए।

एक साल से बड़े बच्चों को हर दिन कम से कम दो गिलास दूध देना चाहिए।

अगर आप के बच्चे को सादा दूध पसंद नहीं है तो आप उसे कई तरीकों से परोस सकती हैं। उदहारण के लिए आप बच्चे को दूध का शेक बना के दे सकती हैं, जैसे की चॉकलेट शेक, फ्रूट शेक इत्यादि।

*16. पनीर है बढ़िया…*

पनीर इस लिए बढ़िया है क्योँकि इसमें गाए के दूध के सभी गुण विधमान है। जैसे की कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन A, विटामिन D, विटामिन B12 और फॉस्फोरस।

जब शिशु आठ महीने (8 months) का हो जाये आप तभी से उसे पनीर दे सकती हैं। मगर दूध बच्चे को एक साल के बाद ही दें।

*यह एक बेहतरीन आहार विशेषकर उन बच्चों के लिए जिन्हे वजन बढ़ाने की आवश्यकता है।*
आप अपने बच्चे को पनीर छोटे-छोटे टुकड़े में काट के भी दे सकती हैं, Finger Food की तरह। इससे बच्चे के खाने के आदत का भी विकास होगा।

पनीर उन बच्चों को भी दिया जा सकता है जिन बच्चों को गाए के दूध से एलेर्जी है। लेकिन फिर भी बच्चे को पहली बार पनीर देते समय आहार के तीन दिवसीय नियम का पालन अवशय करें। पनीर देने के बाद अगर शिशु में किसी भी एलेर्जी के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

*17. जैतून का तेल*
*Virgin Olive oil*

जैतून के तेल में सही अनुपात में good fatty acids पाया जाता है जो शिशु का वजन बढ़ाने के लिए जरुरी है। इसमें अत्याधिक मात्र में antioxidants और phytonutrients भी मिलता है।

जैतून का तेल (Virgin Olive oil)

कोशिश करें की शिशु का आहार हमेशा जैतून का तेल (Virgin Olive oil) में ही पकाया जाये। यह तेल दुसरे वनस्पति तेलों से बेहतर है।

*18. सूखे मेवे*
*Dry Fruits*

सूखे मेवे जैसे की काजू, बादाम, अख्रोड़, चिरौंजी, पिस्ता से शिशु को स्वस्थ वासा का लाभ मिलता है। सूखे मेवे खाने से शिशु का वजन बहुत तेज़ी से बढ़ता है।
*इसके अलावा बेबी को पालक लौकी तुरयी आदी सब्जी उबालकर भी मैस करके दे।*

*कुछ गलतियां जो बच्चे के वजन को नही बढने देती इसे भी जानिये…*

*भोजन के जल्द बाद बच्चे को नहलाना…*

क्या आप भोजन के तुरंत बाद अपने बच्चे को स्नान करते हैं? यदि हां, तो उस आदत को बदलने का समय है |

*तथ्य:*
जब किसी बच्चे को फीड करवाया जाता है, तो उसे वयस्क के शरीर की तरह दूध को पचाने मे समय लगता है |

यदि बच्चा फीडिंग के ठीक बाद स्नान करता है, तो यह शरीर की पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देता है। यह भ्रूण और शिशुओं में धीमे उपापचय उत्पान करता है |

खाने के ठीक बाद स्नान करने से, कब्ज, उल्टी, अपच, गैस जैसे समस्याएँ होती है।

यह अंततः शिशुओं में कम वजन का कारण बन जाता है।

इतना अप्रासंगिक लगता है ये, लेकिन हाँ, यह बच्चे की पाचन प्रक्रिया में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसलिए पहले हमेशा बच्चे को स्नान करना बेहतर होता है, फिर भोजन या स्तनपान कराए ताकि बच्चे द्वारा पोषक तत्व अच्छी तरह से अवशोषित किया जाए या अच्छी तरह से पचाए जा सके।

*2. स्तनपान या मुख्य भोजन से पहले जल देने पर…*

यह 6 महीने से उपर के बच्चों के मामले में लागू किया जाता है।

*तथ्य:*
स्तन का दूध बच्चे के पेट को भर सकता है, यदि स्तनपान मुख्य भोजन से पहले दिया जाता है तो बच्चे द्वारा भोजन का सेवन कम होता है।

पानी के मामले में भी यही बात है। एक मुख्य भोजन से पहले अगर पानी दिया जाता है, तो बच्चे का पेट भर जाता है जिससे भोजन का सेवन कम होता है।

सबसे खराब मामलों में, अगर बच्चे को ज़बरदस्ती खिलाया जाता हैं तो बच्चा उल्टी कर देते हैं। इसलिए भोजन के अंत में बच्चों को जल दिया जाना चाहिए।

यह भोजन के बीच मे भी दिया जा सकता है, लेकिन भोजन की शुरुआत में पानी बिल्कुल नहीं देना चाहिए।

*3. खाने के बीच में लंबा अंतराल…*
यह बच्चों मे वजन घटने के मुख्य कारणों में से एक है।

*तथ्य:*
भोजन के बीच लंबा अंतराल बच्चों मे गैस का कारण बनता है जिससे उनका पेट घंटों तक फूँक जाता है।

बदले में बच्चों के द्वारा भोजन की अस्वीकृति जिससे कम पोषण लाभ और अंततः वजन घटने का एक और कारण।

भोजन के बीच लंबे अंतराल की वजह से शिशुओं में अपच और कब्ज भी हो सकता है।

*एक बच्चा के सुबह जागने के तीस मिनट के भीतर कुछ भी खिलाया जाना चाहिए जैसे या तो एक गिलास दूध / स्तनपान / या एक ताजा फल।*

एक बच्चे के लिए भोजन के बीच आदर्श अंतराल 3 से 4 घंटे होना चाहिए।

यदि आप उपरोक्त 3 बातों का ध्यान रख रहे हैं, तो चिंता की कोई बात नही।

इसके अलावा बच्चे को सोने दें।
अच्छी नींद मतलब अच्छा विकास।
बच्चे के पेट मे कीड़े ना हो इसे सुनिश्चित कर लें अन्यथा अच्छे भोजन के बाद भी वजन नही बढेगा बच्चे का।

*शिशु को गाय का दूध देना कब शुरु कर सकते हैं.?*

शिशु जब 6 माह का हो जाए, तो उसका खाना बनाने के लिए आप थोड़ी मात्रा में सिर्फ देसी गाय का दूध इस्तेमाल कर सकती हैं।
मगर, एक पेय के तौर पर इसे तब ही दीजिए, जब शिशु एक साल का हो जाए।
स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह है कि शिशु के दो साल का होने तक उसे स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए।

*शिशु को देसी गाय का दूध देने के लिए इंतजार क्यों करना चाहिए?*

गाय के दूध में शिशुओं के लिए पर्याप्त आयरन नहीं होता। शिशु के एक साल का होने से पहले स्तन दूध की बजाय गाय का दूध देने से, शिशु में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इससे एनीमिया (रक्त में आयरन की कमी) भी हो सकता है।

शिशु के डिब्बाबंद दूध (फॉर्म्युला) में गाय के दूध की तुलना में अधिक आयरन और विटामिन होते हैं। इसलिए शिशु के पहले साल में अगर जरुरत हो, तो स्तन दूध के विकल्प के तौर पर इसका इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर है।

स्तन दूध या डिब्बाबंद दूध की तुलना में गाय का दूध शिशु के गुर्दों पर जोर डालता है और दूध के प्रति एलर्जी भी हो सकती है।

*शिशु को गाय का कितना दूध देना चाहिए?*

शिशु के एक साल का होने के बाद, उसे प्रतिदिन कम से कम 350 मि.ली. और अधिकतम 400 मि.ली. गाय के दूध की आवश्यकता होती है। यह उसे जरुरी प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्निशियम और विटामिन बी12 व बी2 (राइबोफ्लेविन) प्रदान करेगा।

*शिशु को गाय के दूध का स्वाद नापसंद है, तो इसे स्तन दूध या डिब्बाबंद दूध के साथ मिलाकर दें।*

*वजन की तुलना में बच्चे की लंबाई धीरे-धीरे बढ़ती है। जन्म के समय बच्चे की लम्बाई जितनी भी हो, लेकिन उसकी लंबाई हर माह लगभग 2 सेंटीमीटर या तीन महीनों में 5 सेंटीमीटर तक बढ़ सकती है।*

*आपको हम एक अनुमानीत चार्ट शेयर कर रहे है जिससे आप बच्चे के लिंग एवं आयु अनुसार जान सकते है कि आपके बच्चे का सही विकास हो रहा है या नही।*

*उम्र के हिसाब से लड़कियों का वजन कितना होना चाहिए (लड़कियों का ग्रोथ चार्ट)*

*उम्र- औसत वजन (किलो में)- औसत लंबाई*
जन्म 3.3 19.4 इंच (49.2 से.मी)

1 महीने 4.3 21.2 इंच (53.8 से.मी)

2 महीने 5.3 22.1 इंच (56.1 से.मी)

3 महीने 6.0 23.6 इंच (59.9 से.मी)

4 महीने 6.6 24.5 इंच (62.2 से.मी)

5 महीने 7.1 25.3 इंच (64.2 से.मी)

6 महीने 7.5 25.9 इंच (64.1 से.मी)

7 महीने 7.9 26.5 इंच (67.3 से.मी)

8 महीने 8.2 27.1 इंच (68.8 से.मी)

9 महीने 8.5 27.6 इंच (70.1 से.मी)

10 महीने 8.8 28.2 इंच (71.6 से.मी)

11 महीने 9.0 28.7 इंच (72.8 से.मी)

12 महीने 9.2 29.2 इंच (74.1 से.मी)

13 महीने 9.5 29.6 इंच (75.1 से.मी)

14 महीने 9.7 30.1 इंच (76.4 से.मी)

15 महीने 9.9 30.6 इंच (77.7 से.मी)

16 महीने 10.2 30.9 इंच (78.4 से.मी)

17 महीने 10.4 31.4 इंच (79.7 से.मी)

18 महीने 10.6 31.8 इंच (80.7 से.मी)

19 महीने 10.8 32.2 इंच (81.7 से.मी)

20 महीने 11.0 32.6 इंच (82.8 से.मी)

21 महीने 11.3 32.9 इंच (83.5 से.मी)

22 महीने 11.5 33.4 इंच (84.8 से.मी)

23 महीने 11.7 33.5 इंच (85.1 से.मी)

2 साल 12.0 33.7 इंच (85.5 से.मी)

3 साल 14.2 37.0 इंच (94 से.मी)

4 साल 15.4 39.5 इंच (100.3 से.मी)

5 साल 17.9 42.5 इंच (107.9 से.मी)

6 साल 19.9 45.5 इंच (115.5 से.मी)

7 साल 22.4 47.7 इंच (121.1 से.मी)

8 साल 25.8 50.5 इंच (128.2 से.मी)

9 साल 28.1 52.5 इंच (133.3 से.मी)

10 साल 31.9 54.5 इंच (138.4 से.मी)

11 साल 36.9 56.7 इंच (144 से.मी)

12 साल 41.5 59.0 इंच (149.8 से.मी)

13 साल 45.8 61.7 इंच (156.7 से.मी)

14 साल 47.6 62.5 इंच (158.7 से.मी)

15 साल 52.1 62.9 इंच (159.7 से.मी)

16 साल 53.5 64.0 इंच (162.5 से.मी)

17 साल 54.4 64.0 इंच (162.5 से.मी)

18 साल 56.7 64.2 इंच (163.0 से.मी)

19 साल 57.1 64.2 इंच (163.0 से.मी)

20 साल 58.0 64.3 इंच (163.3 से.मी)

*लडके का कितना वजन होना चाहिए (लड़को का ग्रोर्थ चार्ट)*

*उम्र- औसत वजन (किलो)- औसत लंबाई*

जन्म 3.3 19.6 इंच (49.8 से.मी)

1 महीने 4.4 21.6 इंच (54.8 से.मी)

2 महीने 5.6 23.0 इंच (58.4 से.मी)

3 महीने 6.4 24.2 इंच (61.4 से.मी)

4 महीने 7.0 25.2 इंच (64.0 से.मी)

5 महीने 7.5 26.0 इंच (66.0 से.मी)

6 महीने 7.9 26.6 इंच (67.5 से.मी)

7 महीने 8.3 27.2 इंच (69 से.मी)

8 महीने 8.6 27.8 इंच (70.6 से.मी)

9 महीने 8.9 28.3 इंच (71.8 से.मी)

10 महीने 9.1 28.8 इंच (73.1 से.मी)

11 महीने 9.4 29.3 इंच (74.4 से.मी)

12 महीने 9.6 29.8 इंच (75.7 से.मी)

13 महीने 9.9 30.3 इंच (76.9 से.मी)

14 महीने 10.1 30.7 इंच (77.9 से.मी)

15 महीने 10.3 31.2 इंच (79.2 से.मी)

16 महीने 10.5 31.6 इंच (80.2 से.मी)

17 महीने 10.7 32.0 इंच (81.2 से.मी)

18 महीने 10.9 32.4 इंच (82.2 से.मी)

19 महीने 11.2 32.8 इंच (83.3 से.मी)

20 महीने 11.3 33.1 इंच (84.0 से.मी)

21 महीने 11.5 33.5 इंच (85.0 से.मी)

22 महीने 11.7 33.9 इंच (86.1 से.मी)

23 महीने 11.9 34.2 इंच (86.8 से.मी)

2 साल 12.5 34.2 इंच (86.8 से.मी)

3 साल 14.0 37.5 इंच (95.2 से.मी)

4 साल 16.3 40.3 इंच (102.3 से.मी)

5 साल 18.4 43.0 इंच (109.2 से.मी)

6 साल 20.6 45.5 इंच (115.5 से.मी)

7 साल 22.9 48.0 इंच (121.9 से.मी)

8 साल 25.6 50.4 इंच (128.0 से.मी)

9 साल 28.6 52.5 इंच (133.3 से.मी)

10 साल 32.0 54.5 इंच (138.4 से.मी)

11 साल 35.6 56.5 इंच (143.5 से.मी)

12 साल 39.9 58.7 इंच (149.1 से.मी)

13 साल 45.3 61.5 इंच (156.2 से.मी)

14 साल 50.8 64.5 इंच (163.8 से.मी)

15 साल 56.0 67.0 इंच (170.1 से.मी)

16 साल 60.8 68.3 इंच (173.4 से.मी)

17 साल 64.4 69.0 इंच (175.2 से.मी)

18 साल 66.9 69.2 इंच (175.7 से.मी)

19 साल 68.9 69.5 इंच (176.5 से.मी)

20 साल 70.3 69.7 इंच (177.0 से.मी)

*जच्चा और बच्चा की खूबसूरती और स्वास्थ्य दोनों का रखते है ख्याल..p