जय शंकर ने पाकिस्तान को आतंकवाद के ऊपर खूब सुनाया चीन का भी खोल पोल
पाकिस्तान में आज एससीओ बैठक है. भारत की ओर से एस जयशंकर गए हैं. समिट को संबोधित करने के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान की जमकर फटकार लगाई और आतंकवाद पर खूब सुनाया.
*शंकर पंडित.. इस्लामाबाद .. पाकिस्तान*
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ समिट के लिए अभी पाकिस्तान में हैं. एससीओ समिट में शहबाज शरीफ के सामने ही एस जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकवाद पर सुना दिया. इस्लामाबाद में एससीओ मीटिंग के दौरान कड़ा संदेश देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस बात पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि दोनों देशों के रिश्ते क्यों खराब हुए हैं. अपने संबोधन में उन्होंने चीन को भी लपेट लिया. उन्होंने इशारों-इशारों में सीपीईसी प्रोजेक्ट का मुद्दा उठाया और कहा कि एकतरफा एजेंटी से एससीओ का मकसद पूरा नहीं होगा.
एससीओ के मंच से जयशंकर ने कहा, ‘अगर भरोसा नहीं है या सहयोग में कमी है, अगर दोस्ती कम हुई है और पड़ोसी जैसा व्यवहार गायब है तो वजह ढूंढनी चाहिए और उन्हें दूर करना चाहिए.’ हालांकि उन्होंने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया. मगर उनका इशारा साफ था. जयशंकर ने आगे कहा कि अगर सीमा पार से आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद को बढ़ावा दिया जाएगा तो व्यापार, ऊर्जा प्रवाह और लोगों से लोगों के बीच संपर्क कैसे बढ़ेगा. उन्होंने दो टूक कहा कि कट्टरवाद से कोई देश आगे नहीं बढ़ता है. विकास और तरक्की के लिए शांति जरूरी है.
दरअसल, भारत कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंध चाहता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पाकिस्तान आतंकवाद और हिंसा से मुक्त माहौल बनाए. जयशंकर का यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात के एक दिन बाद आया है. शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में भाग लेने के लिए जयशंकर पाकिस्तान पहुंचे हैं. पाकिस्तान में एससीओ के मंच से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को सीधा संदेश दिया कि सीमा पर आतंकवाद और अलगाववाद होने से व्यापार और सम्बन्धों को बढ़ावा नहीं मिलेगा.
*SCO समिट में जयशंकर के अहम बयान*…..
* हमलोग कठिन वक्त में मिल रहे हैं, जब दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं.
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* कोरोना महामारी ने विकासशील दुनिया को तबाह किया है.
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* SCO का मकसद आपसी विश्वास, दोस्ती और अच्छे पड़ोसी को मजबूत करना है.
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* SCO के मुख्य तीन चुनौतियां आतंकवाद, अलगाववाद और Extremism से लड़ना है.
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* अगर विश्वास में कमी है या अनुचित सहयोग है या अच्छे पड़ोसी की कमी है तो आत्मनिरीक्षण की जरूरत है.
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* दुनिया बहुध्रुवीय की तरफ बढ़ रही है.
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* सहयोग आपसी सम्मान पर निर्भर होना चाहिए.
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* हमारे सहयोग में आनेवाली बाधाओं को पहचानने की जरूरत.
*इशारों में चीन को भी लपेटा*…..
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को भी अपने संबोधन में लपेटा. बगैर सीपीईसी प्रोजेक्ट का जिक्र किए जयशंकर ने कहा कि अगर हम दुनिया की चुनिंदा प्रथाओं को खासकर व्यापार और व्यापारिक मार्गों को चुनते हैं तो फिर सदस्य देश प्रगति नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा, ‘एससीओ के सदस्य देशों का सहयोग परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए. इसके लिए यह जरूरी है कि सभी देश क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दें. इसके लिए वास्तविक साझेदारी का निर्माण होना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर आगे बढ़ा जाना चाहिए. अगर हम वैश्विक ऐसी प्रथाओं, विशेष रूप से व्यापार और पारगमन को चुनते हैं तो यह प्रगति नहीं कर सकता है.’ भारत सीपीईसी प्रोजेक्ट को लेकर अपनी चिंता जारी कर चुका है.
*कब से तल्ख हुए हैं रिश्ते*…..
दरअसल, फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया था. इसके बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव है. 5 अगस्त, 2019 को भारत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया. इसके बाद से तो दोनों देशों के रिश्ते और भी खराब हो गए. आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया.