जिसकी हत्या हुई वो जिंदा था तो मरने वाला कौन था? अजीब क़त्ल की कहानी
जुर्म की दुनिया वाकई अजीब है. कई बार जो दिखता है. असल में वो होता नहीं. और कई बार जो होता है असल में दिखता नहीं. ये क़त्ल की कहानी भी कुछ वैसी ही है. जिस शख्स की मौत होती है. मौके से उसकी लाश भी मिलती है. और सुसाइड नोट (Suicide Note) भी मिलता है. वहां से मौत के सबूत भी मिलते हैं. और मौत की वजह भी. इन सभी को देखकर पुलिस भी मान लेती है कि ये आत्महत्या का ही केस है. लेकिन जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस के हाथ आती है. तो पूरी घटना ही बदल जाती है. अब पुलिस फिर से तफ्तीश शुरू करती है. फिर जो कहानी सामने आती है तो उसे जानकर पुलिस भी दंग हो जाती है. आज मध्य प्रदेश के एक बेहद ही सस्पेंस थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री की सच्ची कहानी.
29 जून 2019 को भोपाल में मिला था एक कैदी का शव
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का सेंट्रल जेल. साल 2019. तारीख 29 जून. इस दिन परोल पर जेल से निकले कैदी को लौटना था. 14 दिन की परोल पर जाने के बाद जेल प्रशासन को भी उसके लौटने का इंतजार था. तभी जेल प्रशासन को लोकल पुलिस से एक सूचना मिलती है. सूचना थी कि उस कैदी की मौत हो गई है. हत्या के केस में उम्रकैद की सजा मिलने और जेल की जिंदगी से परेशान होकर उसने घर में ही आत्मदाह कर लिया. लोकल पुलिस ने बताया कि कैदी ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है. हैंडराइटिंग भी उसी की है. और मौत की वजह भी बताई है. इसलिए अब उसके शव का पोस्टमॉर्टम कराकर केस को बंद करने की तैयारी है. ये जानकर जेल प्रशासन भी उस कैदी के केस को बंद करने के लिए लोकल पुलिस के फाइनल रिपोर्ट का इंतजार करने लगा. जिस कैदी की मौत हुई थी उसका नाम था राजेश परमार. उम्र तकरीबन 34 साल. वह मध्य प्रदेश के भोपाल के नीलबड़ एरिया के हरीनगर में रहता था. इस पर साल 2014 में एक हत्या का आरोप था. उसी केस में इसकी गिरफ्तारी हुई थी. साल 2016 में उसे कोर्ट ने आजावीन कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके बाद से वो जेल में ही था. उसी समय राजेश के पिता की मौत हो गई थी. इसी वजह से उसे 14 दिनों की परोल मिली थी. इसलिए 15 जून को वो परोल पर बाहर आया था. 29 जून को उसकी परोल खत्म होने वाली थी. इस वजह से उसे हर हाल में 29 जून को जेल में लौटना था. लेकिन 29 जून की सुबह ही उसके घर से आग की लपटें निकलने लगीं थीं. जिसे देख आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां और लोकल पुलिस मौके पर पहुंची. आग बुझाने पर देखा गया तो एक युवक बुरी तरह से जल चुका था. चेहरा और शरीर भी पूरी तरह से जला हुआ था. देखकर ही वो मरा हुआ लग रहा था. फिर भी पुलिस ने आखिरी उम्मीद में उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने मृत करार दिया.
सुसाइड नोट से मौत की वजह का पता चला
अब पुलिस ने घर की तलाशी ली तो एक सुसाइड नोट भी मिला. जिसमें लिखा था कि पिता की मौत होने से वो दुखी था. अब परिवार में कोई उसे परोल भी नहीं दिलाएगा. इस वजह से वो अब दुनिया से निराश हो चुका है. लिहाजा, वो आग लगाकर आत्महत्या कर रहा है. इसके लिए कोई दूसरा जिम्मेदार नहीं है.
अब ये सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने भोपाल सेंट्रल जेल को भी सूचना दी. शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. साधारण सुसाइड केस की तरह पुलिस ने भी इसे एक तरह से बंद कर दिया. उधर, पोस्टमॉर्टम के बाद शव को रिश्तेदारों को सौंप दिया गया. रिश्तेदारों ने भी शव का अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन इस पूरे केस में 24 घंटे बाद नया मोड़ आया. जब वहां की पुलिस को राजेश परमार की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली. उस समय के भोपाल पुलिस के नए एएसपी अखिल पटेल के पास नीलबड का एरिया था. इन्होंने जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी तो चौंक गए. रिपोर्ट में लिखा था कि गला दबाने से जान गई है. यानी मौत की वजह आग या धुएं से दम घुटना नहीं बल्कि गला दबाकर हत्या हुई है. फिर वो इस केस की तफ्तीश में जुट जाते हैं. तुरंत मौके से ली हुई सभी फोटोग्राफ अपने पास मंगवाते हैं.
अगर आग से जलकर मरा तो फिर गला किसने और क्यों घोंटा?
सभी फोटो को बारीकी से देखते हैं. एक फोटो में वो देखते हैं कि मरने वाले शख्स का पैर बिल्कुल एक दूसरे से चिपका हुआ था. जबकि जब भी कोई जलकर मरेगा तो वो तड़पने लगेगा. फिर उसके पैर एक दूसरे से चिपकने के बजाय अलग-अलग होने चाहिए. लेकिन इस केस में ऐसा नहीं था दूसरी तस्वीरें भी देखते हैं. उनसे पता चलता है कि उस शख्स का चेहरा और सीने वाला हिस्सा ही पूरा जला था जबकि हाथ और पैर ज्यादा जले नहीं थे और अजीब तरीके से मुड़े भी थे. इससे शक यही होता है कि कहीं हाथ और पैर बंधे तो नहीं थे जिस वजह से ऐसा हुआ. अब इसका पता लगाने के लिए वो पुलिस अधिकारी पूरी टीम के साथ मौके पर जाते हैं. घटनास्थल को बारीक से देखते हैं. फिर आसपास के लोगों से पूछताछ करते हैं. तो पता चलता है कि एक दिन पहले जब राजेश परमार के साथ एक या दो और लोग भी देखे गए थे. अब पुलिस इस केस की फाइल को बंद करने की जगह फिर से खोलती है. जांच शुरू करती है. अब पुलिस को ये शक हुआ कि जिसकी मौत हुई उसकी पहले गला घोंटकर हत्या की गई. लेकिन राजेश को जब सुसाइड ही करना था तो उसकी पहले हत्या क्यों की गई. अगर किसी ने गला दबाया तो वो कौन था. अब पुलिस के सामने ये भी सवाल था कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मरने वाला राजेश ही ना हो. अगर ये राजेश नहीं है तो फिर कौन था? इन सब सवालों का पता लगाने के लिए पुलिस ने उसके मोबाइल नंबर का पता लगाया. फिर रिश्तेदारों के जरिए उसका एक नंबर मिला जो जेल से आने के बाद एक्टिव था लेकिन अब बंद था. उसकी आखिरी लोकेशन भी भोपाल की ही थी. पुलिस ने जब उसके फोन की कॉल डिटेल चेक की तो एक नंबर पर कई बार बात होने की जानकारी हुई. लेकिन जब उस नंबर पर संपर्क किया गया तो वो भी बंद था. वो नंबर था निहाल नामक युवक का. अब पुलिस के सामने निहाल को खोजने की चुनौती थी. और मन में सवाल ये भी आ रहा था कि कहीं निहाल ही तो नहीं मारा गया. इसके अलावा और भी कई सवाल.फिलहाल पुलिस उसकी तलाश में जुट गई. फिर पता चला कि निहाल मूलरूप से बिहार का रहने वाला है और पहले राजेश के मकान में ही किराये पर रहता था. लेकिन कुछ महीने से यहां से दूसरे मकान में शिफ्ट हो गया था.अब पुलिस की जांच में निहाल की लोकेशन गुजरात में मिली. इसके बाद पुलिस की एक टीम गुजरात पहुंची और दबोच लिया. इसके बाद जब उससे कड़ाई से पूछताछ हुई तब उसने जो कहानी बताई वो बेहद ही चौंकाने वाली थी.
मरने वाले के दोस्त ने चौंकाने वाली बताई ये कहानी
निहाल ने बताया कि जेल से परोल पर आने के बाद राजेश ने उससे संपर्क किया था. फोन पर बात हुई और वो उससे मिलने भी गया था. बातचीत के दौरान वो काफी परेशान था. इमोशनल भी था. क्योंकि पिता की मौत के बाद उसे अब जिंदगी में शायद ही कभी परोल मिलने की उम्मीद थी. इसीलिए उसने सोचा था कि वो दुनिया की नजरों में हमेशा के लिए मर जाए और असल में जिंदा भी रहे.इसके लिए उसने कुछ क्राइम सीरीज देखी थी. जिसके बाद एक खौफनाक आइडिया अपनाया. इसके लिए उसने घर में रहने वाली एक मात्र मां को पूजा करने के बहाने 23 जून को ही बाहर भेज दिया था. इसके बाद साजिश रची कि 29 जून को परोल खत्म होने के बाद भी उसे जेल नहीं जाना पड़े. इसलिए 28 जून को ही किसी दूसरे शख्स को अपनी जगह मारकर दूर कहीं चले जाने की तैयारी में जुट गया. इस काम में मदद के लिए उसने मुझे बुलाया. लेकिन मैंने साफ मना कर दिया. इसके बाद उसने एक लाख रुपये का लालच दिया और कुछ पैसे एडवांस में भी दिए. इसीलिए उसके झांसे में आ गया. इस तरह 29 जून को परोल खत्म होने से ठीक एक दिन पहले यानी 28 जून को ही हमदोनों की मुलाकात हुई. 28 जून की शाम को ही दोनों घर पर ही फोन छोड़कर घूमने निकले ताकी लोकेशन ट्रेस ना हो सके. इसके बाद एक पेट्रोल पंप के पास राजेश को अपने ही उम्र और लंबाई वाला एक युवक मिला. उस युवक ने अपना नाम राजू रैकवार बताया था. और दोनों फिर बातचीत करते हुए दोस्त बन गए. बातों ही बातों में दोनों ने राजू को घर पर पार्टी करने और शराब पीने के लिए तैयार कर लिया. राजू मजदूरी करता था. इसलिए खाने और शराब के लालच में तुरंत तैयार हो गया. राजू भी दोनों के साथ राजेश के घर पर आ गया. यहां पर राजू को इन दोनों ने खूब जमकर शराब पिलाई. जब उसने अपना होश खो दिया तभी राजेश ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी. इसके बाद उसके हाथ और पैर को रस्सी से बांध दिया. ताकी अगर जिंदा भी हो तो आग से बच ना सके. हाथ-पैर बांधने के बाद उसे फर्श पर लिटाया और घर में रखी किताबों को उसके ऊपर डाल दिया. फिर राजेश ने खुद ही एक सुसाइड नोट लिखा और उसे कुछ दूरी पर रख दिया ताकी वो सही सलामत पुलिस को सुसाइड के सबूत के रूप में मिल जाए. इसके बाद दोनों ने बाइक से निकाला हुआ पेट्रोल भी डाल दिया ताकी आग से वो पूरी तरह से जल जाए. चूंकि घर का दरवाजा बाहर से बंद होने पर साजिश का शक हो सकता था. इसलिए दोनों ने घर के दरवाजे को अंदर से बंद किया और छत के रास्ते बाहर निकल आए. इसके बाद खिड़की से माचिस जलाकर तीली को अंदर फेंक दिया. इस तरह जब आग की लपटें बढ़ गईं तब दोनों एक साथ वहां से फरार हो गए थे. साजिश के तहत राजेश ने निहाल का एक पुराना सिमकार्ड सिर्फ लिया और साउथ इंडिया में चला गया. वहीं, निहाल गुजरात आ गया था. अब पुलिस ने निहाल की कहानी की सच्चाई का पता लगाने के लिए उस मृत युवक के बारे में पता लगाया. तो ये सच निकला. क्योंकि राजू रैकवार की पत्नी ने 28 जून की रात में ही लोकल पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दी हुई थी. इसके अलावा पुलिस को राजेश के घर से राजू की चप्पल भी मिली थी जिसे उसकी पत्नी ने पहचान लिया था. ये जानकर पुलिस अब जांच में तेजी से जुट गई.
चेन्नई में भोपाल पुलिस ने लुंगी पहन और तिलक
लगा राजेश को ऐसे दबोचा
अब पुलिस को पूरी कहानी समझ में आ गई थी. लेकिन जब तक राजेश आंखों के सामने नहीं आ जाता तब तक जांच अधूरी ही थी. अब पुलिस को ये यकीन था कि आज नहीं तो कल राजेश किसी भी तरह निहाल से जरूर संपर्क करेगा. राजेश भी निहाल का एक पुराना सिमकार्ड ले गया था.इस तरह अगले ही दिन आखिरकार राजेश का फोन निहाल के पास आ ही गया. पुलिस की मौजूदगी में ही निहाल उससे बात करने लगा. राजेश ने वहां के हालात के बारे में पूछा कि कुछ गड़बड़ तो नहीं है. निहाल ने बताया कि कोई गड़बड़ नहीं है. पुलिस को कुछ पता नहीं चला. इसके बाद राजेश ने कहा कि चेन्नई में उसे कुछ मदद चाहिए.अगर कोई दोस्त हो तो बताना. इस पर निहाल ने कहा कि वो उसे जल्द ही बताएगा. इसके बाद फोन कट हो गया. अब पुलिस ने भी राजेश को पकड़ने के लिए पूरी फिल्मी कहानी रची. इसके तहत पुलिस के कुछ लोगों को चेन्नई भेजा और उन्हें लोकल बनकर राजेश से मिलने के लिए बोला.इस तरह निहाल ने राजेश को चेन्नई में रहने वाले अपने एक दोस्त का जिक्र करते हुए उसका फोन नंबर शेयर किया. जिसके बाद राजेश पुलिसवाले को ही निहाल का दोस्त समझकर उससे बात की और मिलने गया. जैसे ही राजेश ने लुंगी और माथे पर तिलक लगाए दो युवकों को निहाल का दोस्त समझकर मदद मांगने पहुंचा तभी उसे पकड़ लिया गया.इस तरह पुलिस ने एक ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा करते हुए 8 जुलाई 2019 को पूरे केस को मीडिया के सामने लाया था. इस केस के बारे में खुद आईपीएस अधिकारी अखिल पटेल कहते हैं कि ये केस कानून की आंखों में धूल झोंकने वाला था लेकिन जब बारीकी से केस की जांच हुई तो पूरा सच सामने आ गया. इसके बाद राजेश फिर से सलाखों के पीछे भेज दिया गया.