Friday, November 22, 2024
अपराधलखनऊ

पशुपालन विभाग में फर्जीवाड़े का सच / पीड़ित को सचिवालय में बिना पास कराई एंट्री, नाका कोतवाली में एनकाउंटर करने की दी गई धमकी

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लखनऊ पशुधन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी के मामले में राज्यमंत्री के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालय के संविदाकर्मी धीरज कुमार देव, पत्रकार राजीव और खुद को पशुधन विभाग का उपनिदेशक बताने वाले आशीष राय, एके राजीव, रूपक राय, उमाशंकर तिवारी को यूपी एसटीएफ ने पकड़ा है। इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में 13 लोगों के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज कर दी गई है।
इस पूरे फर्जीवाड़े में इंदौर के रहने वाले मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू को उसके दो मित्रों ने किस तरह शातिराना जाल में फंसाया? इसकी कहानी मंजीत ने खुद बयान की है। उन्हें 292 करोड़ रुपए का टेंडर दिलाने को लेकर किस तरह सचिवालय से लेकर सीबीसीआईडी में वैरिफिकेशन कराने और नाका कोतवाली में एनकाउंटर कर देने की धमकी दी गई।

पुलिस ने टेंडर में फर्जीवाड़ा करने वाले सात आरोपियों को पकड़ा है।

जालसाजी की कहानी, पीड़ित की जुबानी… इंदौर से शुरू हुआ पूरा खेल
पीड़ित मंजीत ने बताया- अप्रैल 2018 में मेरे पास वैभव शुक्ला और उसके साथ मित्र संतोष शर्मा आए थे। बातचीत में एक टेंडर की बात बोली। कुछ दिन बाद वह फिर आए और बताया कि हम लोग लखनऊ में एके मित्तल (उपनिदेशक पशुपालन) से मिले थे और उन्होंने हम लोगों को बताया कि वे मंत्री के बहुत खास हैं। पार्टी हित में गेहूं, शक्कर, आटा और दाल का एक सप्लाई आर्डर दिलवाना चाहते हैं। आर्डर मिलने से पहले तीन प्रतिशत देना होगा। इसके बाद 292 करोड़ 14 लाख रुपए का वर्क आर्डर दे दिया जाएगा। जिसके लिए एक साल का समय रहेगा।

यह सुनकर मैंने कहा कि एक साल की अवधि तो बहुत कम है, इसमें तो एक साल से ज्यादा समय लगेगा। तब संतोष शर्मा ने बोला कि हम अवधि एक साल से ज्यादा करवा देंगे। ये सब जिम्मेदारी हमारी होगी। टेंडर मिलने के बाद प्रॉफिट का 60 प्रतिशत आपका होगा और 40 प्रतिशत हमारा होगा। इन लोगों की बात से आश्वस्त होने के बाद हमने अपनी कंपनी की प्रोफाइल और टर्न ओवर के कागज दे दिए।

टेंडर फॉर्म पर करवाए हस्ताक्षर, मांगी टोकन मनी
मंजीत के अनुसार संतोष एक टेंडर फॉर्म लेकर आया, जिसे पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी किया गया था। इस सादे टेंडर फॉर्म पर मुझसे और मेरी पत्नी के हस्ताक्षर करवाए। तब संतोष शर्मा बोला कि, वहां कई टेंडर आए हैं। रेट को देखने के बाद मित्तल साहब खुद भर देंगे। अभी एडवांस के तौर पर एक प्रतिशत तुंरन्त दे दो। मंजीत ने तीन मई 2018 को 50 लाख, 7 जुलाई को 50 लाख और 27 जुलाई को दो करोड़ रुपए वैभव के सुपुर्द कर दिए। इसके बाद वैभव ने फोन पर बताया कि टेंडर मिल गया, तुरंत लखनऊ आ जाइए। उपनिदेशक एके मित्तल स्वयं मिलना चाहते हैं और मंत्री जी से मिलवाना चाहते हैं। मंजीत 31 अगस्त को लखनऊ आ गए।
बिना पास के विधानसभा 9 नम्बर गेट से अंदर ले गया चपरासी
मंजीत के अनुसार, लखनऊ पहुंचने के बाद वे विधानसभा गेट नम्बर 9 पहुंचे। जहां एक चपरासी बिना पास बनवाए सचिवालय के अंदर लेकर चला गया। एक बड़े कमरे में बैठे एके मित्तल से मिलवाया। बातचीत करने के बाद वर्क आर्डर रिसीव करवाया और बाकी के रुपए देने के लिए कहा। इसके बाद एके मित्तल के साथ सभी एक प्रतिष्ठान में चले गए। जहां पर मंजीत ने कहा, टेंडर की अवधि कम है। इस पर एके मित्तल ने कहा कि, सब कुछ मेरे हाथ में है। थोड़ा बहुत जुर्माना करके मैं समय अवधि बढ़वा दूंगा, इसके बाद वह सफारी गाड़ी में बैठकर चले गए।

इसके बाद 5.5 करोड़ रुपए की व्यवस्था मैंने कई किस्तों में करके वैभव को दे दिया। इसके बाद बाकी के रुपए एके ट्रेंडर्स की फर्म में ट्रांसफर करवाए। कुल 9 करोड़ 72 लाख रुपए रुपये थे। लेकिन टेंडर ऑनलाइन शो नहीं कर रहा था। इसके बाद सीबीआईडी में टेंडर प्रक्रिया के वैरिफिकेशन करवाने के लिए मंजीत को फिर लखनऊ बुलाया गया। मंजीत को एसपी लेवल के अफसर से मिलवाया गया। इसके बाद मंजीत को डांटते हुए टेंडर आर्डर पूरा करने को कहते हुए एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाकर जाने को कहा।

कोतवाली में बैठे इंस्पेक्टर ने कहा एनकाउंटर कर देंगे
मंजीत के अनुसार उसे पिकडली होटल के पीछे ठहराया गया। दो दिन ठहरने के बाद जब कोई आर्डर और सप्लाई के कागज न मिले तो उसने वैभव, सन्तोष से इसका कारण पूछा। उसके बाद शाम छह बजे पुलिस की गाड़ी से कुछ लोग आए मुझे उठा ले गए। नाका हिंडोला कोतवाली में ले जाकर वहां बैठे इंस्पेक्टर ने कहा ज्यादा बोलोगे, तब तुम्हारा एनकाउंटर कर देंगे। मेरी आईडी प्रूफ लेकर मुझे चुपचाप रहने को कहा। इसके बाद मैं तुरंत फ्लाइट से इंदौर चला आया। कुछ दिन बाद मैंने जब पता किया तब पता चला एके मित्तल नाम का व्यक्ति फ्रॉड आशीष राय न कि मित्तल है। हिम्मत करके पूरे मामले की शिकायत की है।