Monday, December 23, 2024
उत्तर प्रदेशप्रतापगढ़

वृंदा के श्राप से भगवान नारायण बने शालिग्राम:– धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

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प्रतापगढ़

सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा विगत वर्षो की भांति भगवान शालिग्राम एवं माता तुलसी का विवाह सर्वोदय भवन पलटन बाजार में धूमधाम से मनाया गया। वेद मंत्रो के बीच भगवान शालिग्राम का दूध दही घी शक्कर मधु एवं गंगाजल से अभिषेक संपन्न हुआ। पूजन अर्चन की पश्चात धर्माचार्य ने कहा थी पूर्व काल में जालंधर नाम का एक महाबली दैत्य था। जिसने इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। उसकी पत्नी वृंदा परम पतिव्रता एवं भगवान श्री मन्नारायण की परम भक्त थी। जिसके कारण युद्ध में उसे कोई पराजित नहीं कर पा रहा था। सारे देवता भगवान भगवान शंकर को आगे कर ब्रम्हाजी सहित प्रभु श्रीमन्नारायण की शरण में गए और निवेदन किया। भगवान नारायण ने कहा कि आप लोग युद्ध करने जाइए। इधर वृंदा अपने पतिदेव का पूजन करके भगवान नारायण की पूजा में बैठ गई ।शंकर जी से घनघोर युद्ध हुआ। भगवान नारायण जालंधर का भेष बनाकर पूजन के समय पहुंचे, जैसे जालंधर कि के रुप में भगवान नारायण के चरणों का स्पर्श किया वैसे ही जालंधर का सिर कट करके उसके सामने आकर के गिरा।
वृंदा ने पूछा आप कौन हैं और यह कौन है।भगवान श्री मन्नारायण अपने स्वरुप में आ गए भगवान को देखकर के वृंदा ने कहा आज तक हमने आपकी सेवा किया किंतु आपका हृदय पत्थर के समान है। इसलिए आप पत्थर के हो जाइए। भगवान ने कहा तुम्हारे श्राप को हम स्वीकार कर रहे हैं लेकिन तुम तुलसी के रूप में मृत्यु लोक में अवतरित होगी। दामोदर कुंड जो गंडकी नदी में है भारतवर्ष के अंदर अब वह स्थान नेपाल में है वहां पर तुलसी दल डालने से शालिग्राम के रूप में हम प्राप्त होगें। तुम्हारा जब तक तुलसी दल या तुम्हारा एक पत्ता मेरे सिर पर नहीं चढ़ेगा हमारा सिर दर्द करता रहेगा और बिना तुम्हारे हम भोग प्रसाद नहीं ग्रहण करेंगे। वृंदा जालंधर के शरीर को गोद में रखकर के सती हो गई। भगवान उसकी चिता राख में कई दिनों तक लोटते रहे तब उसी में से तुलसी का वृक्ष उत्पन्न हुआ आगे चलकर वही तुलसी का वृक्ष द्वापर में वृंदावन के रूप में परिवर्तित हुआ। भगवान को तुलसी बहुत ही प्रिय है । कार्तिक मास में जो एक तुलसी के पत्ते से भी ठाकुर जी की सेवा करता है उसको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। सुतल लोक में भगवान चातुर्मास बिता कर प्रवोधनी एकादशी के दिन योग निद्रा से उठ गए। आज माता तुलसी एवं शालिग्राम भगवान का वैदिक रीति से विवाह संपन्न हो रहा है। जो माता तुलसी और भगवान नारायण के विवाह को संपन्न करता है या उसका दर्शन करता है उसको भगवान के गोलोक की प्राप्ति होती है।
कार्यक्रम में मुख्य रुप से आचार्य आलोक ज्योतिषी नारायणी रामानुज दासी रामनरेश रामानुज दास ज्ञानेश्वर गोवर्धन रामानुज दास आनंदवल्ली रामानुज दासी पिंकी दयाल कुसुम गुप्ता सारिका केसरवानी विनोद पांडे नीरू पांडे जयप्रकाश पाण्डेय लता पांडे विमलेश पांडे इं पूजा पांडे फूल कुमारी पांडे विजय नारायण पांडे छोटी पांडे कनक लता केसरवानी यश केसरवानी शशि गुप्ता ओपी यादव उषा तिवारी नीलम गुप्ता खुशी गुप्ता सहित अनेक भक्त गण उपस्थित रह कर पूजन अर्चन किया।