सफलता की कहानी
*कभी कमरतोड़ मेहनत के बाद मिलती थी ₹1000 महीना पगार* ……
*फिर उधार पैसे ले शुरू किया काम, अब हर महीने कमाते हैं 6 करोड़*…..
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डोड्डाबल्लापुरा में श्रीकांत के पास आज 52 एकड़ जमीन है. इसमें से वे 40 एकड़ में फूलों की खेती करते हैं. श्रीकांत अपने खेत में 12 प्रकार के फूल उगाते हैं.
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*रूली बिश्नोई*
*श्रीकांत का बेंगलुरु में ओम श्री साईं फ्लावर्स नाम से फार्म है*…..
*श्रीकांत 40 एकड़ में 12 तरह के फूलों की खेती करते हैं*……
*फूलों की खेती और बिजनेस से वे सालाना 70 करोड़ रुपये कमाते हैं*……
*नई दिल्ली।* बेंगलुरु के डोड्डाबल्लापुरा में रहने वाले श्रीकांत बोलापल्ली आज 52 एकड़ जमीन के मालिक हैं. फूलों की खेती और बिजनेस से वे सालाना 70 करोड़ रुपये कमाते हैं. यानी हर महीने करीब छह करोड़ रुपये. करीब 500 लोगों को श्रीकांत ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रखा है. आप सोच रहे होंगे कि श्रीकांत का जन्म किसी संपन्न परिवार में हुआ है और वे पुश्तैनी जमीन पर खेती कर रहे हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. तेलंगाना के एक गरीब किसान के घर जन्में श्रीकांत को घर चलाने को दसवीं की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर मेहनत-मजदूरी शुरू करनी पड़ी. उनका मन हमेशा से ही खेती में ही रमता था, लेकिन इससे उनके घर का गुजारा नहीं हो रहा था. यही वजह थी कि उन्हें काम के सिलसिले में साल 1995 में बेंगलुरु आना पड़ा.
बेंगलुरु आना श्रीकांत के जीवन का अहम पड़ाव था. यहां उनको एक फ्लावर फार्म पर नौकरी मिल गई. यह हाईटेक फार्म था जहां कई तरह के फूलों की खेती होती थी. फार्म पर उन्हें दिन में 18-18 घंटे तक काम करना पड़ता. कमरतोड़ मेहनत के बाद उन्हें बस 1,000 रुपये महीना ही वेतन मिलता था. यह काफी कम था, लेकिन खेती से लगाव और फ्लावर फार्मिंग और बिजनेस के गुर सीखने को श्रीकांत खूब मेहनत करते रहे.
*सालभर मे सीख गए गुर*…….
एक साल तक काम करने के बाद श्रीकांत फूलों को लगाने से लेकर काटने, विपणन और यहां तक की निर्यात की भी मोटी-मोटी जानकारी हासिल कर ली. फार्म पर काम करते हुए उन्होंने जान लिया था कि फूलों की खेती का भविष्य बहुत उज्ज्वल है. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपना काम शुरू करने की ठानी. उनके पास जो जमा-पूंजी थी उससे वे किसानों से फूल खरीदकर बाजार में बेचने लगे. लगभग दो साल तक उन्होंने यह काम किया.
*1997 में खोली दुकान*…….
करीब सालभर काम करने के बाद श्रीकांत ने कुछ पैसा जोड़ लिया था. अपनी बचत और कुछ पैसे जानकारों से उधार लेकर उन्होंने बेंगलुरु में ‘ओम श्री साईं फ्लावर्स’ नाम से फूलों की दुकान खोल ली. फूलों की खेती से लेकर बिजनेस तक की उन्हें गहरी जानकारी थी. लिहाजा, उनका बिजनेस खूब चला. लेकिन, श्रीकांत संतुष्ट नहीं थे. वे कुछ बड़ा करना चाहते थे. खेती से लगाव भी उन्हें खूब था. इसीलिए उन्होंने जमीन खरीदकर खुद फूलों की खेती करनी की ठानी.
*लोन ले शुरू की फ्लावर फार्मिंग*……
श्रीकांत के पास एक अच्छा-खासा फ्लावर फार्म शुरू करने के लिए पूरे पैसे नहीं थे. उन्होंने बेंगलुरु के पास 10 एकड़ जमीन अपनी सेविंग से खरीदी. एक हाईटेक फार्म स्थापित करेन को हार्टिकल्चर बोर्ड से लोन लिया. सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी का फायदा उठाया और एक शानदार फार्म तैयार कर दिया. इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
*आज है 52 एकड़ जमीन*…….
डोड्डाबल्लापुरा में श्रीकांत के पास आज 52 एकड़ जमीन है. इसमें से वे 40 एकड़ में फूलों की खेती करते हैं. श्रीकांत अपने खेत में 12 प्रकार के फूल उगाते हैं. इन फूलों में गुलाब, जरबेरा, कारनेशन, जिप्सोफिला सहित अन्य कई वैरायटीज शामिल हैं. ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस में जैविक तरीके से उगाए गए उनके फूलों का निर्यात सउदी अरब में भी होता है. फूलों की खेती और बिजनेस से श्रीकांत सालाना 70 करोड़ रुपये कमाते हैं.