हाँ करते है दलाली जो उखाड़ना है उखाड़ लो,आओ थाने वहीं होगा एफ आई आर ? विजय शंकर श्रीवास्तवा।
मंत्री के कथित प्रतिनिधि के फेसबुक पर आरोप से पत्रकारों में आक्रोश लगे हाथ पत्रकारों ने प्रतिनिधि की उड़ाई खिल्ली आक्रोशित पत्रकार विजय शंकर श्रीवास्तव ने दिया मुंहतोड़ जवाब और कहा
हाँ करते है दलाली जो उखाड़ना है उखाड़ लो,आओ थाने वहीं होगा एफ आई आर ?
मंत्री के तथा कथित प्रतिनिधि का आरोप कोई गंभीर मममला नही है,काहे? दारू,मुर्गा,दलाली,हरामखोरी ये सब केवल नेताओं और उनके भक्तों के लिए है क्या? पत्रकारों के पास पेट नही है क्या,पत्रकारों के पास परिवार नही है क्या? हाँ बिक गए है पत्रकार,करते है दलाली,जो उखाड़ना हो उखाड़ लो, गा,,,में दम है तो आरोप सिद्ध करो,जेल भेजो,दम है तो FIR कराओ,पुलिस तो तुम्हारी है ना,नेताओं और उनके चमचों को पत्रकारों ने वो इज्जत दे दिया है जिसके वो काबिल नही,अगला पाँच साल हर नेता की काबलियत बता देता है।तीन इंच की जबान है जब चाहे जो चाहे आरोप लगाए,दम है तो साबित करो,जरा भी ईमान हो तो अपने गिरेबान में झांक कर देखे,पत्रकारों को कहना आसान है,रोज सुनता हूँ,पत्रकार बिक गए है,दारू ,मुर्गा? घर में परिवार भूखा हो तो बिक जाना चाहिए,समाचार बिकता है तो पत्रकार क्यों नही?जब दुनियां में बहन बेटी बिक रही है,नेता कोठो पर जा कर देखे,होटल में जा कर देखें,नेपाल की इज्जत हिंदुस्तान में,हिंदुस्तान की इज्जत दुबई में,तब कहां चली जाती है तुम्हारी नेतागिरी,सच ये है कि पत्रकारों पर उंगली उठाने वाला स्वयम दलाल है किसी पत्रकार ने उसको खुश नही किया या किसी ने उसके मन की नहीं किया तो आरोप,साला ,आरोप मत लगाओ कोई सबूत दो जेल भेजो,बकवास मत करो,कोई बिकता इस लिए है क्यों कि उसकी कीमत है, खुद आईना देखो कीमत पता चल जाएगी, किसी नेता और उसके चमचे में दम हो तो अपने बच्चे की कसम खा कर सबूत दे,सब बिकाऊ हो, पत्रकारों पर आरोप मत लगाओ, हाँ बिकता है पत्रकार बिकेगा,पत्रकार भी बिकता है और उसका समाचार भी,जो उखाड़ना है उखाड़ो,पकड़े जायेगे तो चोर नहीं तुमसे ज्यादा ईमानदार है,चौथा स्तंभ है हम, दम है तो तुम नेता गिरी छोड़ो ,करो पत्रकारिता और ईमानदारी का कोई मिसाल दिखाओ, जो पत्रकार नही बिकते थे ,जो सारी उम्र ईमानदारी का मिसाल बने रहे, आज हम उनका हाल देख रहे है,उनसे हमने यही सीखा है,जब कोई भूख से मरे,जब किसी बेटी का विवाह पैसे की वजह से ना हो,जब कोई इलाज के अभाव में दम तोड़े तो बिक जाना चाहिए।रही बात दारू मुर्गा की तो वो साथ ना बैठे तो उसको भरोसा कैसे हो,तो सभी नेता लोग भूल जाएं कि केवल उन्हीं की कीमत है,कीमत हमारी भी है। जितनी मोटी हेड लाइन बनेगी, उतनी मोटी रकम होगी, हाँ कान खोल कर सुनलो पत्रकार बिकता है औकात हो तो खरीदो, तुम जज नही हो, ना ही तुम्हारे बकवास करने से हम मुलजिम, तुम्हारी वो हैसियत नहीं कि तुम्हारे सामने हम सफाई पेश करें, शंका मत करो कि हम बिकते नही,गर्व से कहते है हम बिकते है ,औकात हो तो खरीदो,
बहोत बकवास हो चुका, तुम्हारी इतनी हैसियत नहीं कि हमपर ऊगली उठाओ, शक मत करो, हम स्वीकार करते है कि हम बिकाऊ है, दम है तो हमारा बहिष्कार करो, या अपने आरोप वापस लो,नही तो जिस दिन पत्रकार तुम्हारा बहिष्कार करेगा ना उसदिन आईने में खुद को नही पहचान पाओगे,और यही पब्लिक जो इतना सम्मान देती है ना ?घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा,पत्रकारों को हमेशा जलील करना बंद करो ,सबूत के साथ थाने आओ वहीं FIR होगा।