Friday, November 15, 2024
उत्तर प्रदेशप्रतापगढ़

Water supply schemes of Korea district fell prey to corruption: Villagers’ problems increased

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कोरिया जिले की जल आपूर्ति योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी: ग्रामीणों की परेशानी बढ़ी

मनीराम सोनी
कोरिया जिले में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजनाओं की नाकामी ने ग्रामीणों को पानी की गंभीर समस्या से जूझने पर मजबूर कर दिया है। सरकारी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति के लिए कई योजनाएं बनाई गईं, लेकिन इनका फलक पर प्रभाव दिखना तो दूर, ये योजनाएं भ्रष्टाचार और लापरवाही की बलि चढ़ गई हैं।
*लाखों रुपये की योजनाएं, लेकिन सूखे गले *ग्राम पंचायत मधौरा में 2 साल पहले सौर जल संरचना (सोलर वाटर स्ट्रेक्चर) लगाने की योजना पर लाखों रुपये खर्च किए गए। लेकिन अफसोस कि यह योजना जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। सौर जल संरचना का उपयोग तो दूर, यह कबाड़ में तब्दील हो रही है। ग्रामीणों ने बार-बार शिकायत की, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। आज भी गांव के 30 घरों के परिवार पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं और जुगाड़ के कुएं, हैंडपंप और ढोड़ी से पानी लाने पर मजबूर हैं।

ऑफिसर की लापरवाही और भुगतान की समस्या
पीएचई विभाग के ईई आकाश पोद्दार ने कहा कि योजना की खराब स्थिति के पीछे भुगतान का मुद्दा है। उनका दावा है कि जैसे ही भुगतान की समस्या हल होगी, कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है कि क्या लाखों रुपये की योजना सिर्फ भुगतान के मुद्दे पर फंसी रह जाएगी? ऑफिसर अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम साबित हो रहे हैं और इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नजर नहीं आ रहा है।

ग्रामीणों की दुहाई, ऑफिसरो की बेरुखी

स्थानीय ग्रामीण हजारी लाल यादव का कहना है कि यह परियोजना तीन-चार साल पहले बनाई गई थी, लेकिन न तो इसमें कोई मशीन है और न ही यह कभी चालू हुई। ग्रामीणों की मूलभूत जरूरतों की अनदेखी कर दी गई है। राम प्रदेशी ने भी यह आरोप लगाया कि इस योजना का कोई निजी लाभ उठा रहा है, जबकि गांव के लोग पानी के बिना जीवन यापन करने को मजबूर हैं।

भ्रष्टाचार का अंधेरा

यह केवल मधौरा गांव की कहानी नहीं है, बल्कि कोरिया जिले की कई योजनाओं की स्थिति एक जैसी है। भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही की वजह से ग्रामीणों को पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। सरकार की योजनाओं का फलक पर असर नहीं दिखता, और ऑफिसर अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं। इस तरह की स्थिति से निजात पाने के लिए जरूरी है कि जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझें और योजनाओं की वास्तविक स्थिति की सही से मॉनिटरिंग करें, ताकि भ्रष्टाचार और लापरवाही का अंत हो सके और ग्रामीणों को उनकी बुनियादी जरूरतें मिल सकें।