घूस नहीं दिया तो नहीं मिला सर्विस बुक,अलविदा बोलगईं गीता देवी
जौनपुर 14 अगस्त जिला महिला चिकित्सालय की रिटायर्ड महिला कर्मचारी श्रीमती गीता देवी(वार्ड आया)जिन्होंने सन 1972 से अपनी पूर्ण ईमानदारी के साथ महिला चिकित्सालय को अपनी सेवा अर्पित की और सम्पूर्ण सम्मान के साथ सन 2010 में सेवा निवृत्त हुई।परम व्यवहार कुशल और अति ईमानदारी की स्वरूपा गीता देवी को आश्चर्य तब हुआ जब अपने वित्तीय फण्ड और हर महीने मिलने वाली पेंशन की विसंगतियों को क्लियर करने के लिए उन्हें सर्विसबुक की आवश्यकता पड़ीऔर मई 2023 में उन्होंने लिखित आवेदन किया और शरीर छोड़ने से15 दिन पहले तक अपने कार्यालय के चक्कर लगाती रहीं लेकिन उनके कथना नुसार पहले तो बड़े बाबू और छोटे बाबू पांच हजार की डिमांड करते रहे हम उनके हाथ पांव जोड़ते रहे फिर बहाना किया कि आपकी सर्विस बुक प्रशासन द्वारा प्रयागराज(इलाहाबाद) भेज दिया गया गया है।अंत में परेशान होकर दिनांक चार नवम्बर को अपने पुत्र के मित्र से उन्होंने कहा अब मुझे सर्विस बुक की जरूरत नही है मेरी तबियत ठीक नही है अगर मुझे कुछ हो जाये तो दोनों बाबू को मेरे पुत्र से पांच हजार जरूर दिला देना। गीता देवी तो तेरह अगस्त2023 को हमेशा के लिए चली गयी पर वो बाबू कौन थे? जिनका उन्होंने बहोत हाथ पांव जोड़ा था अच्छी आत्मा बददुआ नहीं देती लेकिन आह तो लगी होगी?गीता देवी के पुत्र मनोज विष्वकर्मा विदेश में सर्विस करते है आज उन कर्मचारियों के व्यवहार से आहत है जिनकी चर्चा माँ करती थी। काश उन बाबुवों का चेहरा हम भी देख पाते और आपको दिखा पाते?रिटायर होते ही सरकारी कर्मचारी के साथ के लोग भी भूल जाते हैं।
श्रीमती गीता देवी की आत्मा को शांति मिले ईश्वर उनके दोनों पुत्रों मनोज विष्वकर्मा और सरोज विष्वकर्मा को सहन शक्ति दें।