Friday, November 22, 2024
हीरा का पन्ना

गजल

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हीरालाल यादव “हीरा”

औरों से तो क्या,ख़ुद से भी धोखा नहीं करते
ईमान का संसार में सौदा नहीं करते

तकदीर से बेकार का झगड़ा नहीं करते
हम चाँद-सितारों की तमन्ना नहीं करते

मंज़िल पे पहुंचने की जिन्हें धुन है जहां में
वो राह किसी और की देखा नहीं करते

झगड़े हैं घरेलू तो उन्हें घर में मिटाएँ
सड़कों पे खड़े हो के तमाशा नहीं करते

दुख है तो कभी सुख के भी आएँगे ज़माने
घबरा के कभी मन को यूँ छोटा नहीं करते

हम डाल के दरिया में चले आते हैं नेकी
भूले से भी संसार में चर्चा नहीं करते

हीरा है ज़माने से धरे सब्र का दामन
फल आ के वो क्यों सब्र का मीठा नहीं करते