इस पुरानी पहाड़ी पर आज भी दिख जाते हैं इच्छाधारी नाग-नागिन ?
क्या वाकई इच्छाधारी नाग नागिन होते हैं। क्या वाकई नाग-नागिन चलते चलते इंसानी रूप धारण कर लेते हैं। यूपी के हाथरस में सदियों पुरानी पहाड़ी पर इच्छाधारी नाग नागिन देखे जाने के दावे करते रहे हैं। उसी की पड़ताल करने पर आखिर क्या सच सामने आया उसे आइए जानते हैं। कहते हैं कि जब नाग सौ साल की उम्र पूरी कर लेता है, तो उसके शरीर में जन्म लेती है नागमणि। साथ ही उसमें पैदा हो जाती हैं कुछ ऐसी चमत्कारी शक्तियां। वो ऐसी शक्तियां होतीं हैं कि वो जब चाहे नाग और जब चाहे इंसान बन सकता है। सदियों पुराना है ये विश्वास एक बार फिर ज़िंदा हुआ है। एक इच्छाधारी नाग और नागिन के रुप मे। कई लोगों की आंखों के सामने।
ज़रा सोचिए आप किसी वीराने में हों और आप के सामने एक ख़तरनाक नाग औऱ नागिन नज़र आएं…तो कलेजा कांप जाएगा ना…और ज़रा ये सोचिए कि आप जान बचाने की जुगत सोच ही रहे हों और एकाएक सामने दिख रहे ज़हरीले नाग अचानक एक लड़के औऱ लड़की में बदल जाएं…और हाथ में हाथ डाले आपकी तरफ़ आते दिखाई दें…तो क्या करेंगे आप…ऐसी ही हैरतअंगेज़ अनहोनियों का गवाह बन रहा है एक इलाक़ा..
हाथरस की पहाड़ी पर रहते है नाग–नागिन के जोड़े ?
उत्तर प्रदेश के हाथरस से लगभग 30 किलोमीटर दूर महोरम गढ़…या महौ…प्राचीन काल की इस नगरी में एक प्राचीन विश्वास आज भी ज़िंदा है…वो विश्वास जो इच्छाधारी नाग और नागिन के वजूद की तस्दीक करता है…और यहां…वही विश्वास आंखों के सामने आकर खड़ा हो जाता है…एक लड़के और लड़की के रुप में…मगर इस पहाड़ी पर अकेले एक दूसरे में पूरी तरह खोए ये हैं कौन…क्या उन्हें इस वीराने में भटकते डर नहीं लगता…तो जवाब ये है कि नहीं..इन्हें किसी का डर नहीं है क्योंकि पूरा इलाक़ा ख़ुद इनसे ख़ौफ़ खाता है…मगर कुछ ऐसे बददिमाग़ भी थे जिन्होंने इनका पीछा भी किया…मगर क़रीब पहुंचने पर पलक झपकते ही सामने थे दो ख़तरनाक नाग और नागिन…
यहां के स्थानीय निवासी इकहते हैं… इन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन जब भी लालची लोगों ने इनके क़रीब आने की कोशिश की उनका हश्र हमेशा बुरा रहा है. वा कहते हैं कि ये टीला रियासत है इस जोड़े की…ख़ासकर दिन ढलने के बाद…कितने बेफ़िक्र हैं ये…एक दूसरे में पूरी तरह खोए…कौन कहेगा या कौन मानेगा कि ये ख़तरनाक नाग और नागिन हैं…क्या आज भी इच्छाधारी सांपों का वजूद है…अगर नहीं तो एक दूसरे में खोये ये कौन हैं जिन्हें इलाक़े के सैकड़ों लोगों ने देखा है…कभी इंसान तो पल में नाग नागिन बनते…मगर हमारी दुनिया में एक बला है लालच…जिसमें अंधे हुए लोग इस ख़तरनाक दुनिया में भी झांकने से बाज़ नहीं आते…क्योंकि जब ये इच्छाधारी सांप अठखेलियां करते हैं…उनकी अनमोल मणि भी उनके पास ही चमकती नज़र आती है…दुनिया की सबसे अनमोल चीज़…नागमणि..मगर लोग ये भूल जाते हैं कि ये पल उस जोड़े के बेहद निजी पल हैं..
कहते हैं कि इच्छाधारी सांपों का ये जोड़ा एक विशाल ख़ज़ाने की हिफ़ाज़त के लिए सदियों से यहां तैनात है…वो बेशुमार ख़ज़ाना जो इसी टीले पर इसी गुफ़ा में आज भी मौजूद है…द्वापर युग के पराक्रमी सम्राट जरासंध का…इलाक़े का बच्चा बच्चा ये जानता है कि ख़ज़ाने और मणि की तलाश में जो भी गया..कभी नहीं लौटा..मगर फिर भी लोग बाज़ नहीं आते…बार बार छिप कर मौत का पीछा करते हैं इस ग़रज़ से कि अनमोल मणि शायद उनकी ही क़िस्मत में लिखी हो… लालच…रातों रात मालामाल होने की चाहत इंसान को बावला बना देती है…दुनिया की सबसे भयानक शै मौत…उसका डर भी नहीं रहता…मणि के बारे में जानकारी रखने वाले लोग बताते हैं कि मणि में नाग की जान बसती है…उससे लाल रंग की रोशनी निकलती है जिसकी मदद से नाग अपने शिकार को पकड़ता है…लेकिन कोई उस मणि को हथियाने की कोशिश करे…तो नाग साक्षात मौत बन जाता है…
शाम होते ही दिखने लगते हैं प्यार के जोड़े
naag nagin ka joda Story : महारोम गढ़ यानि महौ के लोगों का कहना है कि उन्होंने अक्सर शाम के धुंधलके में एक लड़के औऱ लड़की को यहां देखा है..एक दूसरे के प्यार में ऐसे समाए…कि ज़माने की कोई फ़िक्र ही नहीं…कई लोगों ने उनका पीछा भी किया गया…मगर नाग गुफ़ा के पास पहुंचते ही पलक झपकते ही दोनों नाग और नागिन में बदल जाते और रेंगते हुए अंदर चले जाते…उसी गुफ़ा में जहां है बेशुमार ख़ज़ाना औऱ बेशक़ीमती नागमणि…
इच्छाधारी नाग-नागिन और उनकी नागमणि के जिस हैरतअंगेज़ किस्से का हम ज़िक्र कर रहे हैं वो ताल्लुक रखता है उत्तरप्रदेश के हाथरस ज़िले के महौ इलाक़े से…जिसे कभी महोरमगढ़ कहा जाता था…द्वापर युग में यहां राजा जरासंध का शासन हुआ करता था…इसी टीले पर था उनका दुर्ग…जिसे अब खंडहर ही कहा जाएगा…और इन खंडहरों के आसपास ही अक्सर नज़र आते हैं…एक लड़का और एक लड़की…जिन्हें इंसान से ख़तरनाक नाग में तब्दील होते कईयों ने देखा है…और साथ ही दिखाई देती है वो मणि…जिसकी चाहत ना मालूम कितने इंसान की जान ले चुकी है…
लोग नागमणि पाने करने के चक्कर में गंवाते हैं जान
इच्छाधारी सांप के बारे में जानने वाले बताते हैं कि जब सांप 100 साल की उम्र पूरी कर लेता है तो उसके शरीर में पैदा होती है एक चमकदार मणि…जिसे सांप अपने गले में रखता है..और रात में उसे बाहर निकाल कर उसकी रोशनी में अपना शिकार पकड़ता है…मणि एक ऐसा बेशक़ीमती चमत्कारी रत्न है…जो अगर इंसान को मिल जाए…तो दुनिया की हर ख़्वाहिश उसके क़दम चूमती है…मणि को अपनी आंखों से देखने का दावा करने वाले बताते हैं कि उन्होंने यहां कई लोगों को मणि हासिल करने के चक्कर में अपनी जान गंवाते देखा है..फिर चाहे वो कितना बड़ा तांत्रिक या सपेरा क्यों न हो…
इन मज़ारों से ये साबित होता है ये क़िस्सा हवा से पैदा नहीं हुआ…इसके पीछे कुछ न कुछ हक़ीक़त तो ज़रूर है…जिस तरह यहां लालच ने तमाम लोगों को तड़प तड़प कर गुमनाम मौत मरने पर मजबूर किया ठीक उसके उलट जिसने इस रहस्यमय जोड़े को लेकर श्रद्धा बनाए रखी…उसे इतनी दौलत मिली कि पीढ़ियां तर गईं…ये झाड़ी देख रहे हैं आप..इसे नागझाड़ी कहा जाता है…ऊपर से बेहद घनी मगर अंदर से किसी लंबी चौड़ी गुफ़ा जितनी गहरी…इसी झाड़ी के पीछे है नाग गुफ़ा…जहां ये इच्छाधारी नाग-नागिन रहते हैं…और इसी गुफ़ा में हैं सम्राट जरासंध का अनमोल ख़ज़ाना…जिसकी तलाश में गया कोई भी इंसान अंदर घुसने पर कहां ग़ायब हो गया…आजतक नहीं पता..
तलाश के बाद भी नहीं दिखा नाग–नागिन का जोड़ा
इच्छाधारी नाग और नागिन की तलाश में हम बहुत भटके मगर हमें वो कहीं नज़र नहीं आए…वजह पूछे जाने पर गांववालों का जवाब था…कि अगर मन साफ़ हो और परमात्मा ने चाहा…तो शिवरात्रि को इस मंदिर में आना..और देख लेना कि कैसे नाग नागिन का जोड़ा यहां आता है…और इंसान रुप में इस शिवलिंग की पूजा करता है…ये जानने के बाद हमारा अगला क़दम था इस विशालकाय शिवलिंग के रहस्य को समझना… इन खंडहरों से थोड़ी ही दूर पर है…एक प्राचीन शिवमंदिर…जिसमें हैं एक जागृत शिवलिंग जिसे जाना जाता है पूर्ण इच्छेश्वर के नाम से…हर महाशिवरात्रि में यहां ख़ास आयोजन होता है…औऱ दो ख़ास मेहमान भी आते हैं…आधी रात को…इंसानों के भेष में
जिन इच्छाधारी नाग नागिन का हम ज़िक्र कर रहे हैं…उनका ताल्लुक है महाराज जरासंध के ख़ज़ाने से…जिसकी वो द्वापर युग से रक्षा करते आ रहे हैं औऱ तब तक करते रहेंगे जब तक उस ख़ज़ाने का सही हक़दार यहां न आ जाए…लोग बताते हैं कि ख़ज़ाने की चाहत में यहां कई तांत्रिक सपेरे आए…मगर कुछ का तो पता ही नहीं चला…और कुछ की समाधियां यहां आज भी मौजूद हैं…
ये रहस्यमयी जोड़ा…जिसे हम आप अंधविश्वास या इंसानी ज़ेहन से उपजे किरदार मान सकते हैं…मगर महौ के लोगों के लिए तो ये हक़ीक़त है…ऐसी हक़ीक़त जिसके गवाह भी हैं…और इतिहास खंगालने पर कहानी की तमाम कड़ियां मिलकर एक पुख़्ता यक़ीन की शक्ल ले लेती हैं…इतिहास की ऐसी ही एक कड़ी है ये शिवमंदिर…पूर्ण इच्छेश्वर शिवलिंग…जिसकी स्थापना की थी सम्राट जरासंध ने…क्योंकि यहीं उसे आशीर्वाद मिला था अमरत्व का. क्योंकि इलाक़े का हर शख़्स ये मानता है कि शिवरात्रि के दौरान इच्छाधारी नाग-नागिन यहां आराधना करने ज़रूर आते हैं…क्योंकि जिस ख़ज़ाने की वो युगों से रखवाली कर रहे हैं..उसके मालिक यानि जरासंध ने ही इस शिवलिंग की भी स्थापना की थी..इस पूर्ण इच्छेश्वर शिवलिंग को लेकर ये विश्वास है कि जिसकी भी बांहों में ये शिवलिंग समा गया…वो कुछ भी मांग सकता है..कुछ भी…उसकी इच्छा..पूर्ण इच्छेश्वर ज़रूर पूरी करते हैं…
आखिर क्या है ? इच्छाधारी नाग नागिन का सच
इच्छाधारी सांप होते हैं या नहीं…इस पर एक राय ये है कि होते हैं..दूसरी ये कि मुमकिन नहीं…अगर धर्मग्रंथों को आधार बनाकर आगे बढ़ें तो नाग लोक और उसका इस लोक से संबंध साबित होता है…साथ ही यहां के लोगों की बातों पर यक़ीन करें…तो वो तो एक नाग और नागिन को एक लड़के और लड़की में बदलते और तमाम लोगों का उनका शिकार बनते देखने का दावा करते हैं..सच क्या है…हम परखेंगे महाशिवरात्रि के दिन…अगर शिव की कृपा हुई तो…
इच्छाधारी नाग-नागिन और चमत्कारी नागमणि के क़िस्सों पर आज के युग में यक़ीन करना मुश्किल लगता है…क्योंकि विज्ञान के युग में सच वही है जो हमारी आंखे देख सकती हैं…भले ही पचासों लोग दावा करें उस रहस्यमयी जोड़े को देखने का…मगर वो दावे हमारे आपके लिए हक़ीक़त नहीं बन सकते…मगर फिर भी ख़तरों के खिलाड़ियों को हम आगाह करना चाहेंगे कि ग़लत मंशा के साथ इस टीले पर जाने वालों में बचने वालों की तादात न के बराबर है।