सिरफिरे आशिक की कहानी ,कत्ल करके घर में ही गाड़ देता था लाशें!
उदयन 17 दिसंबर 2016 को एक पोस्ट करता है. जिसमें लिखता है, आकांक्षा मेरी जिंदगी है. किसी ने उसे पिन भी चुभाया तो मैं उसके दिल को तलवार से चीर दूंगा. इस पोस्ट में आकांक्षा के साथ उसकी तस्वीर भी है. एक और पोस्ट है, जिसमें वो लिखता है कि इस बात पर कोई शक नहीं है कि उसने मुझे पूरी तरह बदल दिया. मुझे अच्छा इंसान बनाया. मैं सिर्फ एक नियम फॉलो करता हूं. आकांक्षा के दोस्त मेरे दोस्त हैं, उसके दुश्मन मेरे दुश्मन. उदयन के इन पोस्ट से कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि वो जिसे अपनी जान बता रहा है वो उसकी जान ले सकता है. हां ये सच है कि उदयन ने आकांक्षा को हमसफर तो बनाया था. मगर उससे कभी मोहब्बत नहीं की, क्योंकि जिसके ज़हन में हवस हो उसके किरदार में कभी इश्क हो ही नहीं सकता. सिरफिरे आशिक ने अपनी प्रेमिका का मर्डर करने के बाद उसकी लाश को अपने बेडरूम में दफन कर दिया था. कातिल की कहानी आपके रोंगटे खड़े कर देगी. उदयन कितना बेरहम था इसका अंदाजा इस बात से लगाय़ा जा सकता है कि उसने अपने सबसे करीबी तीन लोगों की हत्या की. मां–बाप के इकलौती औलाद उनकी मौत की वजह बनी वहीं जिस गर्लफ्रैंड को वो बीबी बनाने का दावा करता था उसने उसे भी नहीं बख्शा.
पश्चिम बंगाल के बांकुरा की रहने वाली आकांक्षा उर्फ श्वेता बेहद खूबसूरत थी. वह बहुत मिलनसार लड़की थी. उसी साल यानी 2007 में उसकी मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए उदयन नाम के लड़के से हुई. दोनों की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला. सोशल मीडिया से शुरू हुआ ये रिश्ता मुलाकातों और लंबी बातचीत में बदल गया. यह क्रम 7 साल तक ऐसे ही चलता रहा. ऐसा लग रहा था मानो आकांक्षा उदयम के प्यार में पागल हो गई हो. वह उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थी. इसलिए उन्होंने अपनी जिंदगी का एक बड़ा फैसला लिया.
जून 2016- उदयन के साथ रहने लगी आकांक्षा
उस साल वह अपने परिवार से यह कहकर सीधे भोपाल उदयन के पास आ गई कि उसे नौकरी मिल जाएगी. वहां वह साकेत नगर में उदयन के साथ रहने लगी. लेकिन इस दौरान उसने अपने परिवार को बताया कि वह अमेरिका में काम कर रही है. उसकी बात से परिवार वाले खुश हुए. उन्हें लगा कि आकांक्षा ने बड़ी सफलता हासिल की है. लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी बेटी के साथ क्या होने वाला है.
जुलाई 2016- परिवार से बात करना बंद
तभी अचानक आकांक्षा ने अपने परिवार से बात करना बंद कर दिया. परिजनों ने काफी प्रयास किया लेकिन कुछ पता नहीं चल सका. इसके बाद आकांक्षा के भाई ने उसका नंबर ट्रेस किया तो उसकी लोकेशन भोपाल में मिली. जब उसके परिवार को शक हुआ कि आकांक्षा भोपाल में उदयन के साथ रह रही है. अब घर वालों को उसकी चिंता सताने लगी.
दिसंबर 2016- आकांक्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट
जब परिवार वाले हताश हो गए और उन्हें अपनी बेटी का कोई पता नहीं चला तो उन्होंने थाने जाकर आकांक्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस मामले की गंभीरता को समझ रही थी. बांकुरा पुलिस टीम तुरंत भोपाल आई लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. फिर भोपाल पुलिस की मदद ली गई और जांच आगे बढ़ी तो पूरे मामले का सनसनीखेज खुलासा हुआ.
बेडरूम में दफनाया गया था आकांक्षा का शव
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि उदयन ने अपनी प्रेमिका आकांशा की हत्या कर दी है. और उसके शव को अपने घर के बेडरूम में ही दफना दिया. ऊपर से फ्लोरिंग की गई थी. उनकी निशानदेही पर पुलिस ने शव के अवशेष बरामद कर लिये.
600 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश
बांकुड़ा पुलिस ने 30 अप्रैल 2017 को आरोपी उदयन के खिलाफ केस डायरी समेत करीब 600 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी. 19 गवाहों के बयान और तमाम सबूतों के आधार पर कोर्ट ने उसे दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई. कैद होना. इसी जांच में पता चला कि उदयन न सिर्फ अपनी प्रेमिका का हत्यारा है, बल्कि उसने 2010 में अपने माता–पिता की भी बेरहमी से हत्या कर दी थी और उनके शव घर के बगीचे में दफना दिए थे. बता दें, आरोपी उदयन ने 13 साल पहले मां इंद्राणी और पिता वीरेंद्र दास की गला दबाकर हत्या कर दी थी. फिर उनके शवों को सेप्टिक टैंक के नाम पर गड्ढा खोदकर दफना दिया गया.
अपने माता–पिता की भी बेरहमी से कर दी हत्या
शुरुआत में पुलिस को लगा कि यह मामला आकांक्षा की हत्या तक ही सीमित है. लेकिन जब उनसे उनके माता–पिता के बारे में पूछा गया तो वह ठीक से जवाब नहीं दे पाए. ऐसे में पुलिस को शक हुआ और फिर पूछताछ में उसने जो खुलासा किया उसने सभी को चौंका दिया. उन्होंने बताया कि मां इंद्राणी और पिता वीके दास की 2010 में हत्या कर दी गई थी और उनके शवों को रायपुर स्थित उनके घर के बगीचे में दफना दिया गया था. पहले उसने पुलिस से झूठ बोला था कि मां अमेरिका में रहती थी, जबकि पिता की बीमारी से मौत हो गई थी. जबकि उसने पहले मां और फिर पिता की हत्या कर दी थी.
हत्या के बाद मां–बाप की पेंशन लेता रहा
इतना ही नहीं, उनकी मौत के बाद वह फर्जी दस्तावेजों के जरिए 7 साल तक अपनी मां के नाम पर पेंशन लेता रहा. फिर बाद में उन्होंने मकान बेच दिया और भोपाल में रहने लगे.
उम्रकैद की दोबारा दी गई सजा
बंगाल के बांकुरा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2020 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद रायपुर जिला न्यायालय ने अपने माता–पिता की हत्या कर शव को बगीचे में दफनाने के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. उदयन दास अब पश्चिम बंगाल की एक जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.