Monday, December 23, 2024
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क्यों मिली एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को उम्र कैद की सजा

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मुंबई का एनकाउंटर स्पेशलिस्ट, जिसके नाम से पूरा अंडरवर्ल्ड कांपता था. इतना ही नहीं इस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम मुठभेड़ का एक शतक भी दर्ज है. इनका नाम है प्रदीप शर्मा. जब प्रदीप शर्मा ने मुंबई में कदम रखा तो अंडरवर्ल्ड अपने चरम पर था. दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन जैसे नामी अपराधी पुलिस की हिट लिस्ट में थे. लेकिन हीरो से जीरो बनने में देर नहीं लगती. फर्जी मुठभेड़ मामले में प्रदीप शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

फर्जी मुठभेड़ मामले में प्रदीप शर्मा को उम्र कैद 

फर्जी मुठभेड़ मामले में मंगलवार को जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के फैसले को विकृत और अस्थिर करार दिया गया है. ट्रायल कोर्ट ने प्रदीप शर्मा के खिलाफ सबूतों को नजरअंदाज कर दिया था. कॉमन चेन इस मामले में प्रदीप शर्मा की संलिप्तता को पूरी तरह से साबित करता है.

हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए 2006 के इस मामले में 21 आरोपियों में से छह को बरी कर दिया है. जबकि 11 के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया है. साथ ही कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दो दोषियों की मौत हो चुकी है.

22 लोगों पर हत्या का आरोप

13 पुलिसकर्मियों समेत 22 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया. 2013 में सेशन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी कर दिया था और 21 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. 21 आरोपियों में से दो की हिरासत में मौत हो गई.

सज़ा के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में अपील की

आरोपियों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की। अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्मा को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील दायर की। विशेष लोक अभियोजक राजीव चव्हाण ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में, जो अधिकारी कानून और व्यवस्था के संरक्षक थे, वे स्वयं एक निर्मम हत्या में शामिल थे।

2006 फर्जी मुठभेड़ मामला

अभियोजन पक्ष, जिसने मामले में शर्मा को दोषी ठहराने की मांग की थी, ने तर्क दिया था कि पूर्व पुलिसकर्मी पूरे अपहरण और हत्या ऑपरेशन का मास्टरमाइंड था. 11 नवंबर 2006 को, एक पुलिस टीम ने गुप्ता उर्फ ​​लखन भैया को पड़ोसी वाशी से इस संदेह में गिरफ्तार किया कि वह राजन गिरोह का सदस्य था. उसके साथ उसका दोस्त अनिल भेड़ा भी पकड़ा गया. उसी शाम उपनगरीय वर्सोवा में नाना नानी पार्क के पास एक फर्जी मुठभेड़ में गुप्ता की हत्या कर दी गई.

शुरुआत नौकरी, माहिम पुलिस स्टेशन

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा साल 1983 में मुंबई पुलिस में सब इंस्पेक्टर के तौर पर शामिल हुए थे. शर्मा ने अपनी नौकरी माहिम पुलिस स्टेशन से शुरू की थी। इसके बाद कुछ साल के लिए उनका तबादला स्पेशल ब्रांच में कर दिया गया. प्रदीप शर्मा घाटकोपर और जुहू पुलिस स्टेशन जैसे बड़े पुलिस स्टेशनों के प्रभारी भी थे. कहा जाता है कि उस समय घाटकोपर थाने की कमान संभालने से हर पुलिसकर्मी डरता था, लेकिन प्रदीप के आने के बाद अपराधियों ने उस इलाके से तौबा कर ली.