Monday, December 23, 2024
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जुर्म का नाम लीजिए, मुख्तार अंसारी हाजिर है

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उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध का नाम मुख्तार अंसारी था। बस आप जुर्म का नाम लीजिए, और वहां मुख्तार अंसारी का नाम लिखा मिल जाएगा। ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे की ठेकेदारी और हथियारों की सप्लाई, हत्या और सियासी हत्या यानी जुर्म कोई भी हो, और कैसा भी हो, मुख्तार अंसारी का उस पर दबदबा था। अपने इसी दबदबे के दम पर मुख्तार अंसारी ने अपनी सल्तनत खड़ी की थी। 

रॉबिनहुड भी बना रहा मुख्तार अंसारी 

मुख्तार अंसारी तस्वीरों में बंदूक लिए दिखाई तो पड़ता था, लेकिन वो हर दम गोली नहीं चलाता था। कहीं कही मुख्तार ने लोगों के दिलों को भी जीता था तभी तो मऊ के एक बड़े हिस्से में मुख्तार की हैसियत किसी रॉबिनहुड जैसी भी बनी हुई थी। विधायक रहते हुए मुख्तार अंसारी ने मऊ के बड़े इलाके में काफी काम भी करवाया। सड़कें, पुल, अस्पताल और स्कूल कॉलेज बनवाने में मुख्तार अंसारी ने विधायक निधी से भी 20 गुना ज्यादा पैसा खर्च किया। 

बाहूबली नेताओं में गिनती

लेकिन वक्त वक्त की बात है। कभी वक्त था जब पूरा सूबा मुख्तार के नाम से कांपता था। मुख्तार अंसारी का नाम देश के बाहुबली नेताओं में गिना जाता रहा। माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अब उसके नजदीकी और मुख्तार को करीब से जानने वाले यकीन नहीं कर पा रहे कि मुख्तार जैसा माफिया उस परिवार से था जिसका सियासी रसूख हिन्दुस्तान के सबसे आला ओहदे तक जा पहुँचा था। इतना ही नहीं जिस परिवार की इतनी इज्जत थी और जिस परिवार के बेटे ने मुल्क का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया उस घर का एक चिराग इस कदर शानदार विरासत पर पैबंद लगा सकता है, सोचा भी नहीं जा सकता, मगर ये सच है। 

मुख्तार अंसारी की क्राइम कुंडली

मुख्तार अंसारी की क्राइम कुंडली भी कम दिलचस्प नहीं है। उसके ग्रह नक्षत्रों की चाल ही कुछ ऐसी थी कि उसके कर्म के घर में 61 मुकदमें बैठे हुए थे। जिसका फैसला अदालत से लगातार हो रहा था। और उसके मुकदमों की संजीदगी को देखते हुए ये भी कहा जा सकता है कि जेल से निकलना मुख्तार अंसारी का करीब करीब नामुमकिन था। उसको अगर उसके सारे मुकदमों में फैसला हो भी जाता तो वो जब तक जिंदा रहता तब तक वो जेल की सलाखों से बाहर नहीं निकल सकता था। 

1985 में पहला मुकदमा

संगीन इल्जामों से सिर तक घिरे हुए मुख्तार अंसारी पर पहला मुकदमा 1985 में दर्ज हुआ था। 1985 में अफजाल अंसारी के विधायक बनने के बाद मुख्तार अंसारी पढ़ाई लिखाई छोड़कर ठेकेदारी में उतर आया और तभी उसके खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन 1988 में मुख्तार पर पहली बार हत्या का इल्जाम लगा। 

साधु सिंह के साथ बनाया गैंग

बताया गया कि बाजार में ठेकेदारी को लेकर मुख्तार और सच्चिदानंद के बीच झगड़ा हुआ था, जिसके चलते अगले दिन उनकी हत्या हो गई थी। इसके बाद ही मुख्तार पर अपने पुराने दोस्त साधु सिंह के साथ मिलकर गैंग बनाने का आरोप लगा। बाद में मुख्तार को इस आरोप से बरी कर दिया गया, लेकिन इस केस ने उसके करियर को एक अलग मोड़ दे दिया था। चुनाव आयोग में दर्ज हलफनामों के मुताबिक, 1996 तक मुख्तार अंसारी के खिलाफ 21 संगीन मामले दर्ज हो चुके थे और ज्यादातर मामले अपहरण, धमकी और हत्या से जुड़े हुए थे। 

मुख्तार अंसारी के नाम के आगे 61 केस की एक लंबी सूची दर्ज है। 

मुख्तार अंसारी को यूपी के गैंगस्टर की सूची में रखा गया 

इंटर स्टेट 191 गैंग गिरोह के सरगना मुख्तार पर वाराणसी, गाजीपुर समेत कई स्थानों पर संगीन धाराओं में 61 केस दर्ज किए गए  

गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के गिरोह आईएस 191 को 14 अक्टूबर 1997 को गैंग के रूप में रजिस्टर किया गया

मुख्तार के गैंग में उस समय 22 सदस्य थे। अभी उसमें 19 सदस्य ही रह गए 

2022 से अब तक मुख्तार को 8 मामलों में सजा मिल चुकी थी

13 मार्च 2024 : मुख्तार अंसारी को आर्म्स एक्ट के आठवें मामले में सजा सुनाई गई  

मुख्तार को आठ मामलों में सजा सुनाई गई थी। हालांकि, इसमें से दो मामलों में सजा पर रोक लगी हुई है। 

मुख्तार को सबसे बड़ी सजा उम्रकैद अवधेश राय हत्याकांड में मिली

फर्जी आर्म्स लाइसेंस केस में मुख्तार को उम्र मैद की सजा का ऐलान किया गया।

दो सजा पर कोर्ट की रोक के मामले को छोड़ भी दें तो मुख्तार अंसारी अभी छह मामलों में सजायाफ्ता है। जिन मामलों में मुख्तार अंसारी को अलग अलग अदालतों में सजा सुनाई जा चुकी है उन पर भी नज़र डालनी जरूरी है। 

13 मार्च 2024- मुख्तार अंसारी को फर्जी लाइसेंस केस को आईपीसी की धारा 428, 467, 468 और आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत आरोप सिद्ध होने के बाद सजा का ऐलान किया गया। कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई।

15 दिसंबर 2023- रूंगटा परिवार को बम से उड़ाने की धमकी मामले में 5 साल की जेल और 10 हजार रुपये का जुर्माना।

5 जून 2023- चचित अवधेश राय हत्याकांड में उम्र कैद की सजा।

29 अप्रैल 2023- गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर एमपी- एमएलए कोर्ट एएसजे- चतुर्थ ने 10 साल के सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना।

25 फरवरी 2023- आर्म्स एक्ट और 5-टाडा एक्ट के तहत नई दिल्ली में दर्ज केस में एएसजे साउथ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 10 साल सश्रम कारावास और 5.55 लाख रुपये की सजा सुनाई।

15 दिसंबर 2022- गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर एमपी- एमएलए कोर्ट ने सुनाई 10 साल के सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना।

21 सितंबर 2022- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को काम से रोकने और धमकाने के मामले में सुनाई सजा। लखनऊ के आलमबाग में दर्ज केस की धारा 353 के तहत दो साल की कैद एवं 10 हजार रुपये जुर्माना, धारा 504 के तहत दो साल की कैद एवं 2 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 506 में 7 साल की कैद एवं 25 हजार रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई गई।

23 सितंबर 2022- लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दो साल की कैद और 10 हजार रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई।