ग़ज़ल
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हीरालाल यादव हीरा
दिल में तूफ़ान सा उठा है क्या
प्यार तुमको भी हो गया है क्या
ज़द में जिसकी जहान सारा है
दिल के इस रोग़ की दवा है क्या?
प्यार दरिया है आग का तुम में
पार करने का हौसला है क्या
सुख की आहट कहीं नहीं मिलती
दुख ही तकदीर में लिखा है क्या
क़द अना का तुम्हारी दुनिया में
दोस्त इंसान से बड़ा है क्या
भागते क्यूँ हो ज़िन्दगी से यूँ
ज़िन्दगी है, कोई सज़ा है क्या
मान भी ले कभी कहा दिल का
ख़्वाहिशें रोज़ मारता है क्या
मान दिल का कभी कहा हीरा
ख़्वाहिशें रोज़ मारता है क्या