अजब गजब
*घुस गए तो निकल नही पाएंगे, यहां गूगल मैप भी हो जाता है फेल*
राजस्थान के भीलवाड़ा में एक ऐसी जगह है जिसे भूल-भुलैया ही कहा जा सकता है. यहां पर करीब आधा दर्जन ऐसी गलियां हैं जो इतनी संकरी हैं कि आसानी से वहां से निकला नहीं जा सकता. भीलवाड़ा शहर के गुल-मंडी क्षेत्र में जाने से हर कोई व्यक्ति 10 बार सोचता है. क्योंकि यहां की गलियां हर किसी के लिए सिर दर्द हैं. यहां पर अगर दो मोटरसाइकिल एक साथ आ जाएं तो वह आसानी से नहीं निकल पातीं. यहीं नहीं यहां आने के बाद गूगल मैप भी फेल जाता है.
*स्वप्ना गुरु .. रवि पायक .. भीलवाड़ा … राजस्थान*
लखनऊ की भूल भुलैया के बारे में तो सबने सुना है. भूल भुलैया फिल्म भी सबने देखी होगी, लेकिन क्या राजस्थान की भूल भुलैया आपने देखी है. भीलवाड़ा में ये एक ऐसी जगह है जहां आकर गूगल मैप भी फेल हो जाता है. लोगों का सिर चकरा जाता है. वो बाहर निकलने का रास्ता नहीं ढूंढ़ पाते.
राजस्थान के भीलवाड़ा में एक ऐसी जगह है जिसे भूल-भुलैया ही कहा जा सकता है. यहां पर करीब आधा दर्जन ऐसी गलियां हैं जो इतनी संकरी हैं कि आसानी से वहां से निकला नहीं जा सकता. भीलवाड़ा शहर के गुल-मंडी क्षेत्र में जाने से हर कोई व्यक्ति 10 बार सोचता है. क्योंकि यहां की गलियां हर किसी के लिए सिर दर्द हैं. यहां पर अगर दो मोटरसाइकिल एक साथ आ जाएं तो वह आसानी से नहीं निकल पातीं. यहीं नहीं यहां आने के बाद गूगल मैप भी फेल जाता है.
*सिर जो तेरा चकराए*……
भीलवाड़ा शहर के गुल मंडी से मंगला चौक के बीच और रावला चौक की गलियां इतनी पतली हैं कि यहां पर अगर कोई व्यक्ति पहुंच जाए तो वह आसानी से बाहर नहीं निकल पाएगा. गलियां इतनी संकरी और इनके मोड़ ऐसे हैं कि आदमी रास्ता भूल कर चकरा जाता है.
*यहां गूगल मैप भी फेल*……
गुल मंडी क्षेत्र में रहने वाले मोहम्मद अकरम बताते हैं यहां की गलियों में आने के बाद ना तो मोबाइल नेटवर्क आसानी से मिलता है और ना ही गूगल मैप काम करता है. यहां पर करीब ऐसी 8 से 10 गलियां हैं, जिसकी चौड़ाई बहुत ही कम है. इसके साथ ही यहां अगर दो मोटरसाइकिल एक साथ पहुंच जाती है तो वह फंस जाती हैं. कोई बड़ी गाड़ी या कार निकलना तो नामुमकिन है.
*आज भी वैसी की वैसी*…….
यह गलियां पुराना भीलवाड़ा क्षेत्र में हैं. यहीं से भीलवाड़ा की शुरुआत हुई थी. सबसे पहले लोग यहीं आकर बसे थे. गलियों की बात की जाए तो भीलवाड़ा की यह इकलौती ऐसी जगह है जहां इतनी संकरी गलियां हैं. यह गलियां बहुत पुरानी हैं और मजेदार बात ये कि आज भी वैसी की वैसी ही हैं.