सिविल जज राकेश चौरसिया ने बता दिया एसडीएम को उनकी औकात
प्रतापगढ़। उप जिलाधिकारी सदर, प्रतापगढ़ पर तीन हजार रुपये अधिरोपित किया गया है। सिविल जज् राकेश चौरसिया ने अपने आदेश में लिखा है कि पत्रावली न्यायालय में प्रेषित न करने से न्यायालय तथा पक्षकारों के समय का नुकसान हुआ है, अतः धारा 32 (ग) अंतर्गत जुर्माना के तौर पर तीन हजार रुपये एसडीएम के वेतन से काटकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का फरमान अदालत द्वारा सुनाया गया है। न्यायालय के आदेश की अवहेलना किये जाने पर एसडीएम सदर पर तीन हजार का जुर्माना लगाया गया। सिविल जज राकेश चौरसिया ने राम नाथ बनाम जगन्नाथ के मामले में किया आदेश पारित है। बताते है कि रामनाथ बनाम जगन्नाथ की मूल पत्रावली एसडीएम द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत न किये जाने पर न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए एसडीएम के वेतन से तीन हजार रुपये काट कर जमा करने का आदेश दिया।
सदर तहसील में तैनात एसडीएम उदय भान सिंह अपनी सेवा में अंतिम पड़ाव पर हैं। लालगंज तहसील के बाद मुख्यालय तवादला हुआ ओर तत्कालीन जिलाधिकारी प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव ने इन्हें सदर का चार्ज दिया। एसडीएम सदर जब लालगंज में एसडीएम के पद पर थे, तब वहां भी ये अपने कारनामें की वजह से सुर्ख़ियों में रहे। तब वहा भी ये अपने कारनामे की वजह से सुर्ख़ियों में रहे। बहुत विरोध हुआ तो वहाँ से इन्हें हटाया गया था। किस्मत के धनी उदय भान सिंह जब मुख्यालय आये तब सदर एसडीएम शेलेन्द्र वर्मा आवकाश पर चले गए और उनके स्थान पर इन्हें चार्ज दिया गया। जब वह छुट्टी से वापस आये तो जिलाधिकारी प्रतापगढ़ का तवादला हो चुका था और उनके स्थान पर संजीव रंजन जी कमान संभाल लिया था। मुख्य राजस्व अधिकारी, प्रतापगढ़ के सिफारश पर उदय भान सिंह को सदर तहसील में तैनात कर दिया गया और शैलेन्द्र वर्मा को रानीगंज में पोस्ट किया गया। अपनी पोस्टिंग के बाद से सदर तहसील में अपने नियम विरुद्ध कार्यों को लेकर एसडीएम सदर उदय भान सिंह अक्सर चर्चा में रहते हैं।
सूत्रों के मुताविक एसडीएम सदर उदय भान सिंह का वेतन महज 79750 रुपये ही है। अब इसमें तीन हजार रुपये जुर्माना जमा करा लेने के बाद 76750 रुपये ही मिलेंगे और इस महंगाई में एसडीएम साहेब को इसी में गुजर बसर करना होगा, अन्यथा दूसरा रास्ता अपनाकर ब्यवस्था को पूरा करना होगा। बेचारे एसडीएम साहेब का सितम्बर में रिटायरमेंट भी है। एसडीएम साहेब के सम्बन्ध में सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत सूचना माँगी गई थी, परन्तु निजी सूचना बताकर सूचना देने से मना कर दिया गया है, जबकि शासन का आदेश है कि सभी अधिकारी अपनी सम्पत्ति सार्वजानिक करें। यहाँ एसडीएम साहेब अपनी सम्पत्ति छिपा रहे हैं। इतने सबके बाद जिलाधिकारी महोदय की विवशता समझ के परे है जो ऐसे अफसर को सदर तहसील में एसडीएम जैसे पद पर आसीन किये हैं। मतदाता पुनीक्षण के समय तो मजबूरी समझ में आती थी, परन्तु उसके बाद की मजबूरी समझ के परे है। एक दो दिन में लोकसभा चुनाव-2024 की अधिसूचना जारी हो जायेगी तो वैसे भी डीएम का अधिकार खत्म हो जायेगा। फिलहाल सूत्रों से जो जानकारी हासिल हुई है वह यह है कि उदय भान सिंह की सर्विस बुक में वह पता गोविन्द नगर, कानपुर दर्शाए हैं और एक आवास पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में है और एक एनसीआर गाजियाबाद में है। सूत्रों के अनुसार उदय भान सिंह मूलतः गाजीपुर के रहने वाले हैं। यक्ष प्रश्न यह है कि इतने कम वेतन पाने वाला अधिकारी इतनी जगहों पर जमीन खरीद कर आवास कैसे बना लिया ? इससे प्रतीत होता है कि उदय भान सिंह एसडीएम सदर देर रात तक सदर तहसील खोलकर क्यों बैठे रहते हैं ? खुलासा इंडिया के पास लगभग एक दर्जन से ऐसे मामले हैं जिसमें एसडीएम पर गंभीर आरोप हैं कि इन्होने रिश्वत लेकर न्यायालय में प्रचलित पत्रावलियों में आदेश निर्गत किया है। हिन्दू युवा वाहिनी के पूर्व महामंत्री बृजेश कुमार गुप्ता ने बकायदा मुख्यमंत्री सहित राजस्व परिषद् उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष से इनकी शिकायत की है, परन्तु इस भ्रष्ट तंत्र इतनी आसानी से कुछ होता नहीं है। देखना है कि कब इन पर कार्रवाई होती है सेवा में रहते हुये अथवा रिटायरमेंट के बाद सिस्टम में बैठे हुक्मरानों की कुम्भकरनी नींद खुलती है।सा.खु.इ.