Thursday, November 21, 2024
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किसान और सरकार आमने सामने 200किलोमीटर दूर दिल्ली से

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*बड़ी खबर / किसान आंदोलन

एक तरफ प्रदर्शन कर रहे किसान हैं, तो दूसरी तरफ आंदोलन पर अपना पक्ष रखते आम इंसान हैं. किसान कई मांगों के साथ प्रमुख रूप से फसल की गारंटी वाला दाम चाहते हैं. आम इंसान के लिए मुद्दा है प्रदर्शन के दौरान सड़क पर लगने वाला लंबा जाम, बंद होती दुकानें और आम जनजीन और व्यापार पर पड़ने वाला असर.

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*नई दिल्ली*

दो साल पहले 378 दिनों तक चले आंदोलन के बाद किसान एक बार फिर सड़क पर हैं. मोडिफाइड ट्रैक्टर, कई महीनों के राशन से लोडेड गाड़ियां और बड़े-बड़े काफिले लेकर किसान मंगलवार को ‘दिल्ली कूच’ के लिए निकल पड़े. वजह रही, एमएसपी और इसके अलावा उनकी अन्य मांगें, जिन पर उनके मुताबिक सरकार से सही-सही जवाब नहीं मिल सका. 12 फरवरी को किसानों की केंद्रीय मंत्रियों से हुईं बैठक बेनतीजा रही और फिर मंगलवार को शुरू हुआ प्रदर्शन, झड़प और पंजाब से लेकर एनसीआर तक सड़कों पर जाम का आलम……

*किसानों के प्रदर्शन से आम जन-जीवन प्रभावित*……

एक तरफ प्रदर्शन कर रहे किसान हैं, तो दूसरी तरफ आंदोलन पर अपना पक्ष रखते आम इंसान हैं. किसान कई मांगों के साथ प्रमुख रूप से फसल की गारंटी वाला दाम चाहते हैं. आम इंसान के लिए मुद्दा है प्रदर्शन के दौरान सड़क पर लगने वाला लंबा जाम, बंद होती दुकानें और आम जनजीन और व्यापार पर पड़ने वाला असर. किसान लाचार होकर कहते हैं वह प्रदर्शन को मजबूर हैं तो वहीं, प्रदर्शन की वजह से पैदा होने वाली स्थिति में आम इंसान लाचार है. किसान कहते हैं कि मांगें मानी जाएं तो समाधन निकले तो प्रदर्शन खत्म हो. आम इंसान चाहता है कि प्रदर्शन खत्म हो तो उसकी समस्या का समाधान निकले.

*समाधान कैसे निकलेगा?*

सवाल ये है कि समाधान कैसे निकलेगा ? सरकार कहती है बातचीत से. हालांकि बातचीत का आलम ये है कि कई राउंड चर्चा होकर अभी सफल नहीं हो पाई है और आज सुबह से दिल्ली से सवा दो सौ किमी दूर पंजाब-हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर पर सबसे ज्यादा किसान औऱ पुलिस के बीच भिड़ंत देखी गई.

*दो साल बाद देश में फिर किसान आंदोलन*…..

दो साल बाद देश में फिर किसान आंदोलन शुरू हो चुका है. देश के चुनाव में जब लगभग तीस दिन से कम वक्त ही बचा है तब जंग का मैदान पंजाब हरियाणा का शंभू बॉर्डर बना है. जहां नेशनल हाइवे पर एक पुल के ऊपर एक तरफ हरियाण पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान मौजूद थे और पुल के दूसरी तरफ आंदोलनकारी किसान रहे. पहले आसमान से आंसू गैस का एक गोला गिरता है, फिर दनादन कई गिरते आंसू गैस के गोले के बीच भागते प्रदर्शनकारी किसान नजर आए. मंगलवार सुबह 11 बजे से शंभू बॉर्डर पर ऐसी ही लड़ाई छिड़ी दिखाई दि कि ऊपर आंसू गैस का गोला दागा जा रहा है. दंगा नियंत्रण वाहन की गन से आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं और रबर बुलेट से फायर हो रहे हैं. जब तक शाम ढल नहीं गई, यही क्रम चलता रहा.

*जींद बॉर्डर पर भी किसानों की पुलिस झड़प*……

शंभू बॉर्डर के बाद जींद बॉर्डर पर पंजाब के किसानों की हरियाणा पुलिस से झड़प हुई. शंभू बॉर्डर के बाद, जींद पंजाब बॉर्डर पर पुलिस का किसानों पर एक्शन हुआ. यहां आंसू गैस के गोले भी दागे गए. सामने आया कि, पुलिस ड्रोन द्वारा आंसू गैस के गोले दाग रही थी. शंभू बॉर्डर पर पुलिस कार्रवाई में 60 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इसमें किसान और मीडियाकर्मी भी शामिल हैं. शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों द्वारा बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया गया. पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि, इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने हरियाणापुलिस पर भारी पथराव किया जिसके जवाब में हरियाणा पुलिस ने वाटर कैनन तथा आंसू गैस का इस्तेमाल करके स्थिति को नियंत्रण में लिया.

*24 पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें*…….

पुलिस द्वारा वाटर कैनन, अश्रु गैस तथा हल्के बल का इस्तेमाल कर कानून व्यवस्था बनाए रखी गई. पथराव के दौरान 24 पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आई हैं. इन पुलिसकर्मियों में 15 पुलिसकर्मी शम्भू बॉर्डर पर ड्यूटी के दौरान घायल हुए जबकि 9 पुलिसकर्मी दाता सिंह बॉर्डर जींद में घायल हुए हैं.

*फैक्ट चेक*……

*किसानों का कूच और 212 किमी दिल्ली*…….

बता दें कि, शंभूबॉर्डर हरियाणा और पंजाब की सीमा है. यहां से दिल्ली 212 किमी है. यानी अभी जो किसान और पुलिस के बीच जो सबसे ज्यादा भिड़ंत हो रही है, वो दिल्ली से करीब तीन से साढ़े तीन घंटे की दूरी पर है. पंजाब के पटियाला और हरियाणा के अंबाला के बीच इस जगह से करनाल 88 किमी है. फिर पानीपत और आगे दिल्ली है.

*अब कुछ सवालों पर गौर करते हैं*…….

*1. आखिर पंजाब हरियाणा के बॉर्डर पर ही सबसे ज्यादा भिड़ंत क्यों दिख रही है ?*

*2. किसानों पर आंसू गैस के गोले फेंकने की वजह क्या है ?*

*3. आखिर किसानों की मांगें क्या हैं ?*

*4. किसानों की कितनी मांग सरकार मानने को तैयार है ?*

*5. किसानों की कौन सी मांगों पर पेच फंसा है ?*

*6. क्या किसानों की कुछ मांगें अव्यवहारिक हैं ?*

*7. क्या सरकार चाहें तो किसानों की हर मांग पूरी कर सकती है ?*

*8. क्या कांग्रेस कांग्रेस की मांग पर सियासी मौका खोजने लगी है ?*

*9. क्या चुनाव की तारीख के पास ही आंदोलन एक संयोग है ?*

*378 दिन चला था पहले हुआ किसान आंदोलन*…..

दो साल पहले देश में जो किसान आंदोलन शुरू हुआ था वो 378 दिन तक चला था. आज इस दूसरे किसान आंदोलन का पहला दिन रहा. दोनों आंदोलन के बीच का फर्क इस सवाल में नजर आता है कि, क्या इस बार फिर से 2020-21 के आंदोलन वाले किसान नेता सक्रिय हुए हैं? जवाब है नहीं, इस बार एक साल पुराना संगठन किसान मजदूर मोर्चा और डेढ़ साल पहले बना संयुक्त किसान मोर्चा अराजनैतिक मिलकर आंदोलन कर रहे हैं. दूसरी सबसे बड़ी बात है कि पूरे देश के किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल भी नहीं हैं, क्योंकि मुख्य दो किसान संगठन से जुड़ी 250 यूनियन के किसान अभी आंदोलन में हिस्सा लिए हुए हैं.

*दस से ज्यादा मांगे और किसानों का ‘दिल्ली चलो’ अभियान*…….

ये किसान अभी अपनी दस से ज्यादा मांगें लेकर दिल्ली चलो के नारे के साथ प्रदर्शन करने निकले हैं. पंजाब से निकले किसानों को आम आदमी पार्टी का पूरा समर्थन है. पंजाब पुलिस ने किसानों को आगे बढ़ने से कहीं नहीं रोका है. हरियाणा में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने किसानों का समर्थन किया है. हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में किसानों को रोकने की वजह बताई है. हरियाणा ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में कहा है कि पिछली बार आंदोलन में कानून व्यवस्था के लिए ये चुनौती बने थे, इसलिए एहतियातन धारा 144 लगाकर रोका है.

*किसानों का दिल्ली कूच*……

किसान आंदोलन के इस दूसरे संस्करण में प्रदर्शनकारी संगठन और किसानों की कई मांगें हैं. जिनमें कई पर सरकार तैयार भी है.

*क्या हैं मांगें और किन पर सरकार है तैयार, एक नजर*…..

*1. किसान चाहते हैं कि सभी फसलों की MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी वाला कानून बने. सरकार किसानों को भरोसा बैठक में दे चुकी है कि उच्च स्तरीय कमेटी बनाते हैं, किसान भी उसमें शामिल रहें.*

*2. किसान कहते हैं कि एमएसपी पर ही खरीद की गारंटी वाला फैसला सरकार तुरंत करे. सूत्र बताते हैं कि सरकार की तरफ से कहा गया कि दालों की एमएसपी को लेकर गारंटी की बात पर तुरंत विचार हो सकता है लेकिन बाकी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए केंद्र सरकार को संशोधन के लिए कुछ वक्त चाहिए.*

*3. किसान चाहते हैं कि देश में सभी किसानों की पूरी कर्जमाफी हो, लेकिन देश में किसानों पर कुल 21 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसे एक साथ माफ करना देश की अर्थव्यवस्था के लिए कतई सही नहीं हो सकता.*

*4. बिजली अधिनियम 2020 को रद्द करने की किसानों की मांग पर जानकारी है कि सरकार तैयार है.*

*5. लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने की किसानों की मांग पर भी सरकार तैयार है.*

*6. किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मामले वापिस करने की मांग पर भी सरकार तैयार है.*

*एमएसपी के मसले पर सरकार क्या कहती है?*

एमएसपी वाले मामले में सरकार कहती है कि किसानों के लिए 2013-14 के मुकाबले दस साल में कई गुना ज्यादा एमएसपी बढ़ाकर दी जा रही है. सरकार कहती है कि एमएसपी के फैसले में कई पक्षों को शामिल करना जरूरी है. इसलिए जरूरी है कि बैठकर किसान बातचीत करें न कि आंदोलन करें.

किसानों के इस मुद्दे में सरकार का पक्ष है, किसानों का पक्ष है और फिर इन दोनों के बीच बड़ा पक्ष सियासत का है. इसे समझिए.

*साल 2004 में एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में बनी थी कमेटी*…….

जिस स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही फसलों पर एमएसपी की गारंटी का कानून किसान चाहते हैं. वह कमेटी नवंबर 2004 में एमएमस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में मनमोहन सिंह की अगुआई वाली यूपीए सरकार में बनी थी. यानी यूपीए राज में ही 2004 में ‘नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स’. का गठन हुआ था. दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 तक स्वामीनाथन आयोग ने 6 रिपोर्ट तैयार कीं, लेकिन यूपीए राज में बने आयोग की रिपोर्ट पर यूपीए राज में कभी पालन नहीं हुआ.

*यूपीए सरकार ने 2004 से 2014 तक नहीं दिया इस पर ध्यान*……

जिन स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर यूपीए सरकार ने 2004 से 2014 तक ध्यान नहीं दिया, उसी रिपोर्ट के आधार पर MSP की गारंटी वाले कानून का वादा अब कांग्रेस 2024 के चुनाव से पहले कर रही है. किसान अभी ज्यादातर हरियाणा पंजाब के बॉर्डर पर हैं, लेकिन असर दिल्ली तक पहुंच रहा है.

*किसानों का आंदोलन और सड़कों पर जाम*……

दिल्ली आने के कई एंट्री प्वाइंट हैं. जिनमें दिल्ली चंडीगढ़ हाइवे पर सिंघु बॉर्डर है. दिल्ली रोहतक हाइवे पर टिकरी बॉर्डर है. दिल्ली जयपुर हाइवे पर रजोकरी बॉर्डर है. दिल्ली फरीदाबाद हाइवे पर बदरपुर बॉर्डर है. नोएडा से डीएनडी के जरिए लोग दिल्ली आते हैं. गाजीपुर और लोनी बॉर्डर से गाजियाबाद के रास्ते दिल्ली में दाखिल हुआ जाता है. इन सारे बॉर्डर पर कड़ा सुरक्षा पहरा है और तब आज आंदोलन की वजह से दिल्ली के चारों तरफ आम लोग जाम में फंसते रहे.