ग़ज़ल
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हीरालाल यादव हीरा
अजीब लोग हैं, कैसा कयास करते हैं
ज़मीं पे रह के सितारों की आस करते हैं
वफ़ा की आस किसी बेवफ़ा से रख कर हम
बड़े यकीन से ख़ुद को उदास करते हैं
किसी से कम न समझिएगा आम लोगों को
ये आम लोग ही कुछ काम ख़ास करते हैं
चला जो करते हैं कोशिश का थाम कर दामन
वो एक रोज यक़ीनन विकास करते हैं
सबूत और मुहब्बत का आपको क्या दें
कि आप दिल में हमारे निवास करते हैं
शराब का हो या मादक शबाब का हीरा
किसी नशे का नहीं ख़ुद को दास करते हैं