पैसा हर रिस्तो को निगल गया
*कैसे खून का रंग सफेद हो गया रिस्तो में !!*
*गैरों की तो बात छोड़ो आजकल तो अपनो में !!*
पैसा क्यों इतना जरुरी हो गया !!
हर रिस्ते को निगल गया !!
माँ बाप भाई बहन ख़ून के रिस्ते हल्के हो गये !!
सब पर भारी हो गया धन दौलत और पैसे !!
वृद्धआश्रम बनाने वालों ने अच्छा ही किया !!
वरना जानवरों की तरह जाने कितने माँ बाप रोड के किनारे मीलते !!
माँ बाप तो सारी जिंदगी की कमाई लुटा देते हैं !!
बच्चे मां – बाप मे बँटवारा कर लेते हैं!!
कैसे छोड़ आते हैं वृद्ध आश्रम में मां ओ को !!
कैसे निंद आ जाती है मां के बीना !!
सिसकतीं हुई मां की आँखों को नहीं देखते !!
उसकी आँखें कहती है एक बार माँ को लगे तो लगा ले !
तुम्हारी तो एक छोटी आहट से भी जाग जाया करती थी !!
दिन भर थक कर भी तुझे रात भर जाग कर सुलाती थी !!
तुझे भुख लगी हैं ये बोलने भी नहीं आता था !!
माँ समझ लेती थी कि तुझे भुख लगी हैं !!
जब तुझे बोलना नहीं आता था !!
तेरी हु हाँ भी समझ लेती थी मां !!
आज तु इतना बड़ा हो गया !!
तु बोलता है कि तुम नहीं समझोगी मां !!
आज फालतू हो गयी मां तेरे लिए !!
जैसे घर पुराने समान हैं तेरे लिए !!
एक बार तु पुछ तो कैसी हो मां !!
दुनिया की सारी खुशियाँ मील जाती हैं मां को !!
मां की दुआओं में बड़ी ताकत होती हैं !!
तो उसकी बद्दुआ से भी बरबाद हो जाती हैं जिंदगी !!
मत रुलाओ मां बाप को !!
इस दुनिया से जाने के बाद लौट कर नहीं आता कोई !!
*मीना सिंह राठौर*
*नोएडा उत्तर प्रदेश*