On the occasion of the death anniversary of Brahmalin Mahant Avaidyanath, a seminar was organized on the topic ‘What is social harmony, why and how to create harmony’ in Central Bar Hall, Kachheri, Pratapgarh
प्रतापगढ़ शनिवार को ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की पुण्यतिथि के अवसर पर सेंट्रल बार हॉल कचेहरी प्रतापगढ़ में ‘सामाजिक समरसता क्या, क्यों और सदभाव कैसे विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर राष्ट्रधर्म के मुख्य अतिथि संभाग प्रभारी गौरक्षा आशुतोष त्रिपाठी जी ने कहा कि सामाजिक समरसता का मूल उद्देश्य हिन्दू समाज के बीच भाईचारा सद्भावना और अपनत्व का निर्माण करना है। मुख्य वक्ता नीरज द्विवेदी ने कहा कि किसी के साथ जातपात व भाषा के आधार पर भेदभाव करना नहीं ,बल्कि उनके साथ मिलजुल कर चलने से ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण होगा। विशिष्ट अतिथि नीलम गिरी ने कहा कि महंत अवैद्यनाथ छुआछूत पर बिल्कुल विश्वास नहीं करते थे। चंद्रभान सिंह जिला अध्यक्ष गौरक्षा ने कहा कि सामाजिक समरसता का अर्थ है कि जाति व वर्ण से ऊपर उठकर पूरे समाज को एक कुटुम्ब के रूप में साथ लेकर चलने को ही समरसता कहेंगे।कार्यक्रम की अध्यक्षता अनुज सिंह एडवोकेट मण्डल प्रभारी ( प्रयागराज,प्रतापगढ़,कौशांबी,फतेहपुर) ने किया और कहा कि सामाजिक समरसता का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के प्रति स्नेह, विश्वास, सामंजस्य, सम्मान तथा सभी के साथ समान व्यवहार को ही सामाजिक समरसता के रूप में हम देखते हैं।