बुजुर्ग महिला की दुकान को परसासन ने हटाया रोजी रोटी के लाले
*20 रुपये में देती थीं भरपेट खाना…….*
*बुजुर्ग भगवान देवी ने बताई पूरी कहानी*……
*आगरा में ‘रोटी वाली अम्मा’ के नाम से फेमस 82 साल की महिला अब खुद रोटी के लिए हो गई हैं मोहताज.*
*एक सरकारी फरमान ने बुजुर्ग महिला की गुजर- बसर का सहारा उनकी रोटी की दुकान को उजाड़ कर फेंक दिया है.*
*अरविंद शर्मा …. आगरा ….. उत्तर प्रदेश*
उत्तर प्रदेश के आगरा में ‘रोटी वाली अम्मा’ के नाम से फेमस 82 साल की महिला अब खुद रोटी के लिए मोहताज हो गई हैं. एक सरकारी फरमान ने बुजुर्ग महिला की गुजर-बसर का सहारा उनकी रोटी की दुकान को उजाड़ कर फेंक दिया है. दुकान उजड़ जाने के बाद महिला के सामने जीवनयापन का संकट पैदा हो गया है.
बता दें कि सेंट जोंस रोड पर फुटपाथ पर रोटी बेचकर 82 वर्षीय भगवान देवी अपना जीवन यापन कर रही थीं. भगवान देवी 2020 में ‘रोटी वाली अम्मा’ के नाम से सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं. वायरल होने के बाद कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आए थे. शासन और प्रशासन की तरफ से भी अम्मा को मदद मिली थी.
लेकिन पिछले 4 महीने से अम्मा का ठिकाना उजड़ा हुआ है. रोटी वाली अम्मा अब ठिकाना पाने के लिए लगातार नगर निगम के चक्कर काट रही हैं. मेट्रो के काम चलने के कारण अम्मा के ठिकाने यानी उनकी दुकान को हटा दिया गया है.
*कौन हैं ‘रोटी वाली अम्मा’?*
82 वर्षीय भगवान देवी मोहन मंदिर बाग मुजफ्फर खां की रहने वाली हैं. पति की मौत के कुछ समय बाद, बेटे ने अम्मा को घर से निकाल दिया था. घर से निकल जाने के बाद भगवान देवी ने भीख ना मांगने का इरादा किया और सेंट जोंस कॉलेज के पास फुटपाथ पर रोटी बनाने का काम शुरू कर दिया.
वह महज 15 से 20 रूपये में भरपेट खाना लोगों को देने लगीं. रिक्शा चालक, ठेलेवाले और कई लोग उनके यहां खाना खाने आने लगे. इस बीच कोरोना की वजह से भगवान देवी के सामने संकट के बादल छा गए. तभी भगवान देवी का वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल हो गया और वो छा गईं.
वायरल होने के बाद सैकड़ों की संख्या में लोग उनकी दुकान पर आने लगे. उनकी दुकान पर लाइन लगने लगी. लोग अम्मा की मदद के लिए हाथ बढ़ाने लगे. नगर निगम और डूडा विभाग ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में अम्मा का पंजीकरण करा दिया. पंजीकरण के बाद अम्मा को 10 हजार रूपये की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई. आगरा की कई समाजसेवी संस्थाओं ने अम्मा के लिए ठेले और ग्राहकों के बैठने के लिए व्यवस्था करवाई. नगर निगम की ओर से अम्मा की दुकान का पंजीकरण भी किया गया था. अम्मा को कोरोना योद्धा का प्रमाण पत्र भी दिया गया. मिशन शक्ति का प्रमाण पत्र भी अम्मा को मिल चुका है.
*दुकान पाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रही अम्मा*
लेकिन चार महीने पहले अम्मा की दुकान बंद हो गई. मेट्रो के काम की वजह से अतिक्रमण हटाओ अभियान के चलते अम्मा की दुकन बंद करा दी गई. जिसके बाद अम्मा लगातार अधिकारियों और नगर निगम के चक्कर काट रही हैं. वह बेसहारा हालत में सड़कों पर लोगों से मदद की गुहार लगा रहीं हैं.
मामले में अपर नगर आयुक्त सुरेंद्र यादव ने कहा कि अम्मा को स्ट्रीट वेंडिंग जोन योजना के तहत जगह देने का प्रयास किया जाएगा. वहीं, ‘रोटी वाली अम्मा’ भगवान देवी ने कहा कि बहुत परेशानी हो रही है. नगर निगम ने दुकान को हटवा दिया. दुकान के नाम पर 10 हजार रूपये मांग रहे थे. अब मदद के लिए कोई नहीं आ रहा है. दुकान मिल जाएगी तो कुछ काम धंधा कर लेंगे. रोटी बनाने की जगह नहीं मिली तो कोई सूखा सामान रखकर काम शुरू करूंगी.