Political war on health system: Manendragarh’s community health center became ‘only a referral center’, health system in bad shape, politics heated up
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सियासी जंग: मनेंद्रगढ़ का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना ‘सिर्फ रेफर सेंटर
स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल, सियासत गरमाई
M.R.SONI ( C.G. )
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति अब सियासी मुद्दा बन चुकी है। एमबीबीएस डॉक्टरों की भारी कमी,स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ का अभाव, और विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुपस्थिति ने जनता को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित कर दिया है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल और पूर्व विधायक गुलाब कमरों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। मनेंद्रगढ़ में डॉक्टरों की कमी, मरीज परेशान स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले मनेंद्रगढ़ का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ‘सिर्फ रेफरल सेंटर’ बनकर रह गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि न तो डॉक्टर उपलब्ध हैं, न ही मरीजों का सही इलाज हो रहा है। पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, “मैंने मंत्री से आग्रह किया था कि कम से कम अपने गृह जिले में डॉक्टरों की नियुक्ति करवाएं। मेरा ससुर एक्सीडेंट का शिकार हुआ था, लेकिन अस्पताल में सिर्फ दो डॉक्टर मिले। बाकी डॉक्टर छुट्टी पर हैं, और मरीजों को रायपुर या बिलासपुर रेफर किया जा रहा है। बयान से नहीं, काम से हल होगी समस्या’: पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने कहा, “मीडिया में बयान देने से काम नहीं चलेगा। मंत्री को अपने गृह जिले के स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा करना चाहिए और व्यवस्था सुधारनी चाहिए। जब उनके ही जिले की यह हालत है, तो बाकी प्रदेश का क्या हाल होगा?”स्वास्थ्य मंत्री का जवाब: जल्द सुधार का वादा स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने समस्या स्वीकारते हुए कहा, “प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है, लेकिन हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। एमबीबीएस डॉक्टरों की भर्ती हो चुकी है और विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए वेतन बढ़ा दिया गया है। दूसरे राज्यों से डॉक्टरों को लाने पर भी विचार किया जा रहा है।उन्होंने यह भी जोड़ा कि कुछ डॉक्टरों की छुट्टियां और मातृत्व अवकाश जैसे कारणों से अस्पतालों में समस्या हो रही है। हम डॉक्टरों से बात करेंगे और उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित करेंगे,” मंत्री ने कहा विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझता प्रदेश छत्तीसगढ़ में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी का मुद्दा भी गहराता जा रहा है। सरकार द्वारा किए गए प्रयास नाकामी साबित हो रही हैं। हालात यह हैं कि छोटे जिलों के अस्पताल सिर्फ रेफर सेंटर बन गए हैं, जहां मरीजों को बड़े शहरों में भेजा जा रहा है।क्या बदलेगी व्यवस्था? स्वास्थ्य सेवाओं की इस बदतर स्थिति ने प्रदेशवासियों को गुस्से और निराशा से भर दिया है। राजनीतिक बयानबाजी और वादों के बीच असल सवाल यह है कि क्या जनता को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी या फिर यह समस्या केवल सियासी मुद्दा बनकर रह जाएगी।