Tuesday, June 17, 2025
कविता

अवध में राम आये हैं

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श्री गिरीश श्रीवास्तव जी

बुझी सदियों की प्यासी आंख, दर्शन आज पाये हैं।।
बजे शहनाइयां घर- घर, अवध में राम आये।।
सिया हनुमान लक्षण राम फिर से धाम आये है।।
बजे शहनाइयां घर – घर, अवध में राम आये हैं।।

हुआ है धन्य ये जीवन शरण में आ प्रभु तेरे।।
समर्पित करने दो भावों के हैं श्रद्धा सुमन मेरे।।
धरा के भार को हरने, प्रभु निष्काम आये हैं।।

मनोहर रूप अद्भुत छवि, सिया हनुमान संग लक्षिमन।
अवध पुलकित परम सौभाग्यशाली मुदित मन कन-कन।।
थिरकते पांव आखों में खुशी घनश्याम छाये है।।

मिटा सकता नहीं कोई अमिट युग-युग निशानी है।।
अवध की संस्कृति मर्यादा की जीवित कहानी है।।
गिरीश आंखों को देने सुख मेरे सुखधाम आये हैं