पुलिस-महिमा…
पड़ा – पड़ा क्या कर रहा, रे मूरख नादान दर्पण रख कर सामने , निज स्वरूप पहचान निज स्वरूप पह्चान
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Read Moreगौरव–गाथा सुन लो सुनने वालो मैंकुछ बातें आज सुनाता हूं भारत मां के आंचल की कुछ गौरव गाथा गाता हूं
Read Moreगाँव गया था, गाँव से भागा गाँव गया था, गाँव से भागा रामराज का हाल देखकर पंचायत की चाल देखकर
Read Moreमात शारदे नतमस्तक हो, काका कवि करता यह प्रेयर ऐसी भीषण चले चकल्लस, भागें श्रोता टूटें चेयर वाक् युद्ध के
Read Moreरवि यादव अपने खून पसीने से पौधों को सींचा करते हैं। पाल-पोष कर धीरे-धीरे बड़ा बगीचा करते हैं।। जिसके ऋणी
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