Friday, November 22, 2024
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*दुनिया का वो रहस्यमयी गांव, जहां पैदा होते हैं बौने*

*वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए ये अजीब पहेली!*

दुनियाभर की ऐसी कई रहस्यमयी बातें हैं, जिनके बारे में जानकर हैरत होती है. इन रहस्यों को वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए. आज हम आपको एक ऐसे ही बौनों के गांव के बारे में बताने जा रहे हैं.

*निरंजन दुबे*

आमतौर पर लोगों की पहचान उसकी कद-काठी के अनुसार होती है. कोई ज्यादा लंबा हो जाता है तो लोग उसे लंबू तक कहने लगते हैं, वहीं कुछ लोगों की हाइट कम होने पर उन्हें नाटा, बौना जैसे शब्दों का सामना करना पड़ता है. लंबे लोगों को तो समाज में ज्यादा ताना नहीं सुनना पड़ता, लेकिन बौनों को हर जगह हिकारत की नजर से ही देखा जाता है. ऐसे मामले यूं तो एक-दो ही आते हैं. लेकिन, तब क्या होगा, जब पूरा का पूरा गांव ही बौनों का हो? यकीन मानिए, आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पैदा होने वाले ज्यादातर लोग बौने होते हैं. ये बिलकुल सच है, लेकिन वैज्ञानिक भी आज तक इस रहस्य को सुलझा नहीं पाए हैं.

हम बात कर रहे हैं पड़ोसी मुल्क चीन के शिचुआन प्रांत के सुदूर इलाके में मौजूद गांव यांग्सी की, जहां की 50 फीसदी आबादी बौनों की है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में रहने वाले 80 में से 36 लोगों की लम्बाई मात्र 2 फीट 1 इंच से लेकर 3 फीट 10 इंच तक है. इसलिए, इस गांव को दुनियाभर में बौनों के गांव के नाम से जाना जाता है. वैज्ञानिक पिछले 67 सालों से इसकी वजह जानने की कोशिश कर रहे है, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई. हालांकि, पहले इस गांव के लोग बिल्कुल सामान्य थे. वहां के बुजुर्गों की मानें तो कई दशक पहले इस प्रांत को एक खतरनाक बीमारी ने चपेट में ले लिया था. उसके बाद से ही इस गांव के बच्चों की लंबाई एक समय के बाद रुक जाती है.

*वैज्ञानिक भी नहीं लगा सके इस रहस्य का पता.*

स्थानीय लोगों की मानें तो साल 1911 से ही यहां बौने लोग दिखते रहे हैं, लेकिन आधिकारिक तौर इस खतरनाक बीमारी का पता साल 1951 में चला, जब प्रशासन को पीड़ितों के अंग छोटे होने की शिकायत मिली. 1985 में जब जनगणना हुई तब इस गांव में ऐसे करीब 119 मामले सामने आए थे. हालांकि, असल वजह का आज तक पता नहीं चल सका कि लोगों की लंबाई एक समय के बाद क्यों रुक जाती है. इसे जानने के लिए वैज्ञानिकों ने कई अलग-अलग जांच किए. कभी गांव की पानी की जांच हुई तो कभी मिट्टी और अनाज की. लेकिन निष्कर्ष कुछ भी नहीं निकला.