Sunday, December 22, 2024
चर्चित समाचार

कर्मो की डोर

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*हम एक दूसरे के साथ कर्मों की डोरी से*
*बँधे हुए हैं अपने कर्मों के लेन-देन का*
*हिसाब पूरा करने के लिए यहां आते हैं*
*संसार में कोई माँ-बाप तो कोई औलाद*
*बनकर आ जाता है कोई दोस्त और*
*कोई रिश्तेदार बनकर आ जाता है*
*जैसे ही प्रारब्ध के कर्मों का हिसाब*
*ख़त्म हो जाता है हम एक-दूसरे से*
*अलग होकर अपने रास्ते पर चल देते हैं*
*यह दुनिया एक रैनबसेरा की तरह है*
*जहां सब मुसाफ़िर रात को इकट्ठे होते हैं*
*और सुबह होते ही अपनी राह चल देते हैं*
*हम सभी पंछियों की तरह हैं*
*जो सांझ होने पर पेड़ पर आ बैठते हैं*
*और सूरज की पहली किरण आते ही*
*अपनी-अपनी राह उड़ जाते है