Thursday, November 21, 2024
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माता पिता जैसा कोई धर्म नही

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जहाँ सजदा हो बुज़ुर्गों का,
वहाँ की तहज़ीब अच्छी है।

जहाँ लांघे न कोई मर्यादा,
उस घर की दहलीज़ अच्छी है।।

घर बैठे ही, पूरी हो जायेगी यात्रा,
चार धामों की…..

परिक्रमा *मात-पिता* की कर लो,
गजानन की तरक़ीब अच्छी है….परिक्रमा जे दो अर्थ है उनकी सेवा में घूमते रहना और उनके आसपास ही रहना जब भी फुर्सत मिले चरण तन सेवा करना।
*माता पिता की जय हाे*🪷🙏🏻🪷