Thursday, November 14, 2024
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Who is responsible for the death of the tiger? The National Park was not informed about the movement of the tiger. A third tiger died in the same area!

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बाघ की मौत का जिम्मेदार कौन

राष्ट्रीय उद्यान को नही थी बाघ के विचरण की सूचना हो गई उसी इलाके में तीसरे बाघ की मौत

मनीराम सोनी
एमसीबी /कोरिया जिले में कोरिया वन मंडल के सोनहत सीमा में बाघ की मौत व गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के जिम्मेदार ऑफिसर को बाघ के सीमा में विचरण करने की कोई जानकारी न होना प्रदेश में बन रहे चौथे राष्ट्रीय उद्यान के लिए चिंता का विषय बना हुआ है जबकि शासकीय कार्यालयों में किसी भी अधिकारी की पोस्टिंग इस आशय से की जाती हैं कि वह अपनी जिम्मेदारी सेवा आचरण नियम व शासन के दिशा निर्देश के अनुसार जरूर निभाएंगे । वही विभाग के उच्च भी नई सरकार के आते ही ध्वस्त हो चुके तंत्र को ठीक करने का हर सम्भव प्रयास करते है। इस आशय के फरमान भी समय समय पर जारी होने लगते है कि जो भी ऑफिसर या कर्मचारी कार्य के प्रति लापरवाही बरतेगा उसे दण्डित किया जायेगा। साथ ही कार्यालयो में समय पर उपस्थित होने की हिदायत दी जाती है लेकिन इन हिदायतों और फरमानों का वन विभाग के अधिकारी की पूर्व निर्धारित कार्य प्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ता।जिससे वन सीमा अंतर्गत वन व वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना लाजमी हैं ।

यह मामला जिले के स्तिथ गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान व कोरिया वन मंडल के वन परिक्षेत्र का हैं जहा पदस्थ प्रभारी ऑफिसर व निचले स्तर के ऑफिसर मुख्यालय से ज्यादातर गायब ही रहते है।वही अपनी जिम्मेदारी अपने निवास से निभा रहे जिसका ही परिणाम यह है कि गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान व कोरिया वन मंडल की सीमा में एक बाघ की मौत हो गई व पदस्थ अधिकारी को इसकी जानकारी तीन से चार दिनों बाद हुई जब शव से दुर्गंध ज्यादा आने लगी व इसकी सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी वही वन कर्मियों के मुख्यालय में नही रहने के आरोप वन के ग्रामीणों द्वारा भी लगाया जा रहा किन्तु उच्च अधिकारी के रुतबा के आगे पदस्थ कर्मचारियों की कार्यवाही की हिम्मत नही । जबकि क्षेत्रों में स्थित वन कटाई व वन्य जीवों की सुरक्षा की व्यवस्था सुधारने के लिए समय समय पर स्थानान्तरण करके अधिकारियों-कर्मचारियों को पदस्थ करता है। लेकिन ये ऑफिसर एवं कर्मचारी पदस्थ मुख्यालय से दूर रहकर सप्ताह में 2 – 3 दिन से ज्यादा उपस्थिति नहीं दे पाते है।जब कि हाल में ही राष्ट्रीय उद्यान में कोरिया जिला सहित सूरजपुर व बलरामपुर जिले तक बाघ की आवा जाही बढ़ रही हैं । वही वन्य जीवों की भी आमद बड़ी है जब कि इसके पूर्व गर्मी के दिनों में
जंगल के आधे हिस्सों मे आग लगने से वन्य जीव भी नदारत थे ऐसे में किसी अधिकारी के बिना मुख्यालय में रहे कैसे वन व वन्य जीवों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाता होगा इससे अंदाजा जिले के इसी स्थान में विगत वर्ष 2018 से 2024 तक तीन बाघ की मौत जहर खुरानी से हुई इसी से अंदाजा लगाया जा सकता हैं जब कि वर्तमान में जिले के इस राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व के रूप में पहचान मिलने की सीढ़ी की सुरुवात हो चुकी हैं ।

शासकीय वाहन बढ़ा रही घर की शोभा -मिली जानकारी अनुसार शासन द्वारा प्रभारी अधिकारी को शासकीय वाहन पदस्थ मुख्यालय में रहकर वन व वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु उपलब्ध कराया गया है किंतु अब यह वाहन प्रभारी अधिकारी के निवास व ज्यादातर जिला कार्यालय की शोभा बढ़ा रहा हैं जिससे प्रभारी अधिकारी के शासकीय वाहन के उपयोग को लेकर भी इनके निवास ग्राम में यह काफी चरचा का विषय बना हुआ हैं की क्या कार्यालय अब घर मे खोलने की अनुमति हैं । जब कि शासन द्वारा लाखो रुपये हर वर्ष डीजल के रूप भुगतान भी किया जा रहा ।

कब और कितने दिन पुरानी घटना – वन विभाग की विज्ञप्ति में बाघ की मौत का समय दिन नही बताया गया है, क्योंकि बाघ के शव की दुर्गंध एक कि.मी के क्षेत्र में फैली हुई थी, जिससे साफ है कि बाघ की मौत तीन से चार दिन पूर्व हो चुकी है। परंतु विभाग बाघ की मौत की सही जानकारी छुपाने की कोशिश कर रहा है। वही वन कर्मचारी पदस्थ मुख्यालय में नही रहने से बाघ जैसे संवेदनशील मामले में सड़क किनारे बाघ की मौत व बाघ के विचरण तक कि जानकारी इन्हें नही है जिससे वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठना लाजमी हैं

बाघ के विचरण की जानकारी नही
प्रेस विज्ञप्ति में दोनो विभाग ने बाघ के विचरण की जानकारी छिपाई है। टाइगर रिज़र्व बनने के लिए अग्रसर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के विचरण गतिविधियों की जानकारी में लापरवाही बरती जा रही है यही कारण है कि,? मृत बाघ की आवा जाही का रिकॉर्ड विभाग के पास नही है ।