अन्न खाओ, बीमारी भगाओ
कृषि विभाग द्वारा मंगलवार को कृषि भवन सभागार में उत्तर प्रदेश मीलेट्स पुनरोद्धार योजना अन्तर्गत जनत होने वाली गोष्ठियों में मोटा खाद्यान्न पैदा करने की तकनीकीयो से किसानों को प्रशिक्षित एवं जागरूक किया जा रहा है संचालन करते हुए उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चंद्र यादव ने कहा कि मोटे अनाजों की खेती से किसान कम लागत व स्वच्छ पर्यावरण में वेहतर उत्पादन लेकर कृषि का सतत विकास कर सकते है। इस मौके पर उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी डा. स्वाति पाहुजा, वरिष्ठ सहायक अमित मिश्रा,सुरेन्द्र शर्मा, अरविन्द विश्वकर्मा, प्रगतिशील कृषक राम दुलार सिंह, राम बचन यादव, लालधारी, गोविन्द, नागेन्द्र, सुरेश, जीतलाल आदि मौजूद रहें।पद स्तरीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें श्री अन्न के महत्व एवं उपयोगिता से किसानों को प्रशिक्षित किया गया। उप कृषि निदेशक हिमांशु पांडेय ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार की कोशिशों के बाद 2023 दुनिया भर में मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। सरल शब्दों में कहें तो गेहूं और चावल को छोड़कर ज्वार, बाजरा, मक्का, सावा, कोदो,रागी, जौ, जई आदि को मोटे अनाज में शुमार किया जाता है। गेहूं और चावल की तुलना में मोटे अनाजों की सतह तुलनात्मक रूप से खुरदरी होती है। आहार व पोषण विशेषज्ञ मोटे अनाजों की खूबियों से इतने प्रभावित हैं कि इन्हें सुपरफूड्स के रूप में मान्यता दे रहे। जिला कृषि अधिकारी के.के. ने कहा कि मोटे अनाजों की उपयोगिता को देखते हुए सरकार ने श्री अन्य योजना का नाम दिया है दूसरे अनाजों की तरह ही मोटे अनाज चीला, खीर, खिचड़ी, दलिया, कटलेट, सूप, उपमा, डोसा, इडली, बिस्कुट स्नेक्स, चिक्की आदि रूपो में खाया जा सकता है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सुरेश कुमार ने कहा कि श्री अन्न से बने खाद्यान्न एमडीएम में भी सम्मिलित किया जाएगा। जिससे किसानों में मोटे अनाजो के उत्पादन में रुचि बढ़ेगी और उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. आरके सिंह ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च (आईआईएमआर) हैदराबाद के अनुसार मोटे अनाज सिलिएक डिजीज के इलाज में लाभ प्रद है। इसका कारण है मोटे अनाज ग्लूटेन फ्री है। गेहूं में ग्लूटेन नामक तत्व पाया जाता है जिससे कुछ लोगों में सीलिएक बीमारी रोग हो जाता है। विशेषज्ञ मोटे अनाज को मधुमेह और कैंसर रोकने वाले तत्वों से भरपूर मानते हैं। जिला उद्यान अधिकारी डा. सीमा सिंह राणा ने कहा कि पौस्टिक तत्व भरपूर मात्रा में होने के कारण मोटे अनाज को एनीमिया व कुपोषण की समस्या को दूर करने में सहायक माना जा रहा है। डा. सुरेन्द्र प्रताप ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार मोटे अनाज वात एवं कफ दोष को संतुलित करने में सहायक है। मोटे अनाजों में फाइबर की प्रचुरता उन्हें मधुमेह और मोटापे से बताती है मोटे अनाजों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है तभी मधुमेह व हृदय रोगियों को खाने की सलाह दी जाती है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अंतर्गत जनपद में नदियों के किनारे वाले गांव जहां मोटे अनाज की खेती के लिए अनुकूल होती है, ऐसे गांव का चयन कर निदेशालय को भेजा गया है। कार्य योजना तैयार कर आगामी मौसम से जनपद में मोटे अनाजों के बढ़ावा देने के लिए आच्छादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा आयोजि