तुलसी कितने प्रकार की होती है और इसके क्या महत्व है
तुलसी पाँच प्रकार की होती है:
1. राम तुलसी
2. श्याम तुलसी
3. श्वेत/वन तुलसी
4. वन तुलसी
5. नींबू तुलसी
अब बात करते है तुलसी का क्या महत्व है?
तुलसी का आध्यात्म और आयुर्वेद दोनों में बहुत ज्यादा महत्व है।
पहले बात करते है तुलसी के आध्यात्मिक महत्व की।
तुलसी को धन की देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है, यही कारण है कि हर हिन्दू के आँगन में चबूतरे के बीच तुलसी का पेड़ मिलेगा, जिसकी नित्य पूजा होती है।
ऐसा शायद ही कोई देवी-देवता हों जिसको पूजा में तुलसी का पत्ता न चढ़ाया जाता हो।
अभी भी गाँव में जब किसी कि मृत्यु होती है तो शवयात्रा से पहले तुलसी पेड़ के पास रखा जाता है।
पके हुए जिस भी खाने के वर्तन में तुलसी का पत्ता रख दें वो खाना अपवित्र नहीं होगा। मैंने खुद अपने घर में देखा है जब भी कोई सूर्य अथवा चन्द्र ग्रहण लगता है अगर घर में कुछ पका हुआ खाना बचा है तो उसमें तुलसी का पता दाल देता है। अन्यथा उस अन्न को फेकना पड़ता है।
घर के उत्तर – पूर्व कोने में तुलसी का पौधा लगाने से वास्तु दोष दूर होता है।
तुलसी का आयुर्वेदिक महत्व
तुलसी शायद अकेला पौधा है जो बिना सूर्य की रोशनी के भी प्रकाश संसलेशन की क्रिया करती है और आक्सीजन देती है। इसके अध्यात्मिक महत्व के पीछे ये भी एक कारण हो सकते है।
एक बात ध्यान रखें हिन्दू धर्म में जीतने भी वस्तुओं का महत्व बतलाया गया है उसके पीछे वैज्ञानिक आधार है। अगर विवेचना करेंगे तो सबका महत्व स्पष्ट हो जाएगा।
अगर किसी के नाक से खून आ रहा है, तुलसी के पत्ते को मसलकर दो बूंद रस नाक में दाल दें। खून आना बंद हो जाएगा।
अगर किसी के कान में दर्द है, तुलसी पत्ते के रस को हल्का गुनगुना कर कान में दाल दें । शर्तिया ठीक हो जाएगा।
कौन नहीं जानता गले में खरास हो या वाइरल infection तुलसी पत्ते का चाय पीने से ये समशया दूर हो जाती है। इसके अलावा जुकाम, बलगम और तेज बुखार को भी ये ठीक करता है।
रोज सवेरे चार तुलसी का पता निगलकर पानी पी लें, इम्यून मजबूत होगा, कोरोना दूर से ही good bye कहेगा।