Friday, December 27, 2024
कविता

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह “दिनकर” जी शब्दांजलि

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      रवि यादव “प्रीतम”

 कहो कलम! जय “दिनकर” की

होती मोती-मणियों से तुलना जिनके स्वर्ण अक्षर की

कहो कलम! जय “दिनकर” की

जिनके दीप शिखा की ज्योति से जगमग संसार सकल

जिनके काव्य तूफान जगाए मुर्दों में अंगार अनल

साबित हुई रसायन जिनकी कलम मर्ज़ कायरता पर

कायरता बन गई प्रतापी पी गई ठठ्ठा मार गरल

गगन गर्जना साक्ष है जिनके अटल इंकलाबी स्वर की

 कहो कलम! जय दिनकर की

 तेज पुंज साहित्य जगत में अमर नाम “दिनकर” का है

अतिअद्भुत,अद्वितीय,अमिट,अनमोल काम “दिनकर” का है

मेरे लिए तो किसी भी तीरथ से रत्ती भर कम न है

जो भी स्मारक है या फिर पुण्य-धाम “दिनकर” का है

मैं मस्तक पर धूल लगाया करता हूं उनके दर की

कहो कलम! जय “दिनकर” की