मीरा मन मोहन में खोई।
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रवि यादव
मीरा मन मोहन में खोई।
मिट्टी के एक मूरत खातिर,
पटक पटक पग रोई।।
मीरा मन मोहन में खोई।
मीरा मन मोहन में खोई ।।
ऐसे फूट-फूट कर रोई,
जैसे जीवन छूटे।
मोटी-मोटी अश्रु बिन्दु की,
लड़ियां नैन से टूटे।।
लुट गई निंदिया,घुट घुट
जागी,रतिया भर न सोई।
मीरा मन मोहन में खोई।।
बचपन से ही त्याग,तपस्या
पग पग पर कुर्बानी।
प्रबल प्रेम में जहर अधर से
चुम गई ठकुरानी ।।
मगर मरण न आयी
पगली को,देखा हर कोई।
मीरा मनमोहन में खोई।।