इलाहाबाद HC का ऐतिहासिक फैसला- पति कोमा में है तो पत्नी होगी संरक्षक
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक ऐतिहासिक फैसले मे कोई कानून न होने के बावजूद पत्नी को पति का संरक्षक नियुक्त कर दिया है. दरअसल पति डेढ़ साल से दिमागी ऑपरेशन के बाद कोमा में है. इलाज के कर्ज में उलझी पत्नी ने पति के बैंक खातों के संचालन व उनकी संपत्ति बेचने का अधिकार मांगने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने फरियाद सुनी लेकिन कोई कानून नहीं मिला. इस पर हाईकोर्ट ने अनुच्छेद 226 के अंतर्निहित अधिकारों का प्रयोग कर बड़ी राहत दी है.
पत्नी को पति की तरफ से निर्णय लेने का अधिकार
हाईकोर्ट ने कहा है कि याची बिना महानिबंधक की पूर्व अनुमति के अचल संपत्ति नहीं बेच सकेगी लेकिन मकान खाली कराने या किराये पर उठाने की खुली छूट रहेगी. हाईकोर्ट ने पति का पत्नी को संरक्षक नियुक्त करते हुए कहा है कि वह पति की संपत्ति से इलाज कराने के अलावा अपनी 2 बेटियों की शादी का खर्च कर सकेगी. परिवार के हित में खर्च की छूट होगी. उसे पति की तरफ से निर्णय लेने व हस्ताक्षर करने का अधिकार होगा.