ग़ज़ल
Top Banner
हीरालाल यादव हीरा
ये माना कि तुझको भरोसा नहीं है
मगर मेरी फ़ितरत में धोका नहीं है
चला हूँ सदाकत के पथ पर हमेशा
मेरा झूठ से कोई रिश्ता नहीं है
रहा जाए ख़ुद में सिमटकर हमेशा
ये जीने का वाजिब तरीका नहीं है
वो राही हूँ जिसकी नहीं कोई मंज़िल
वो रजनी हूँ जिसका सवेरा नहीं है
मुहब्बत की राहों पे चलता मैं लेकिन
मेरा ख़ुदकुशी का इरादा नहीं है
सभी ग़लतियों के हैं पुतले यहाँ पर
जहां में कोई भी फरिश्ता नहीं है
दिया तूने जो उसमें ख़ुश हूँ विधाता
सितारों की मुझको तमन्ना नहीं है