सदाबहार वृक्ष माना जाता है, कटहल
कटहल इसके पेड़ के नीचे गर्मी के दिनो मे बरगद वृक्ष से अधिक ठंड मिलती है।यह पेड़ सबसे ज्यादा काम का है.
वर्ष भर पत्ते गिरते है, मतलब वर्ष भर पत्ते का खाद मिलता है, फल बड़ा होता है तो फूड वैल्यू ज्यादा है, फल कच्चे से पका हुआ तक खाया जाता है,पेड़ बड़ा होता है तो छाया देता है,शायद और कोई पेड़ ऐसा हो।
कटहल एक उष्ण कटिबन्धीय फल है, जिसे शुष्क और नम, दोनों तरह की जलवायु में उगाया जा सकता है।
हमारे देश में कटहल एक सदाबहार वृक्ष माना जाता है।कटहल के उत्पत्ति स्थान के बारे मे कोई ठोस जानकारी नही है, पर यह माना जाता है कि कटहल की उत्पत्ति पश्चिमी घाट के वर्षा वनों में हुई है.
इसकी खेती कम ऊंचाई वाले स्थानो पर सम्पूर्ण भारत, श्रीलंका एवं दक्षिणी चीन में की जाती है।
कटहल बंग्लादेश का राष्ट्रीय फल है। कटहल को शाकाहारियों का मांस भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी सब्जी का स्वाद मांस की तरह होता है, साथ ही सब्जी को बनाया भी बिल्कुल मांस की तरह ही जाता है, यही कारण है कि शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही लोग कटहल की सब्जी को खाना पसंद करते है ।
पोषक तत्वों से भरपूर पके कटहल विटामिन सी, विटामिन ए, पोटेशियम और डायट्री फाइबर जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है।कटहल के साथ दूध या अन्य डेयरी उत्पाद नहीं लेना चाहिए।
दरअसल, कटहल में ऑक्सालेट होता है जो डेयरी उत्पादों में मौजूद कैल्शियम के साथ प्रतिक्रिया करता है। इससे पेट खराब होने के अलावा त्वचा पर सफेद दाग, खुजली, एक्जिमा हो सकता है। पके कटहल खाने के बाद पान नही खाना चाहिए ।।
दक्षिण भारत में कटहल का भोग लगाया जाता है , बहुत ही श्रेष्ठ फल मानते हैं, बहुत शौक से खाते हैं।
बाल्मीकि रामायण मे कटहल की चर्चा पनस नाम से आती है और साधु संत जो जंगल मे निवास करते थे उनका यह प्रिय फल था।
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